Tuesday, 5 September 2023

आगाज तो अच्छा था- अंजाम खुदा जाने

                 " आज का मुस्लिम "
आगाज़ तो अच्छा था- अंजाम,,,,,,,खुदा जाने 

     अवध के एक  जमीनी  शायर  एम जे  सिद्दीकी ने 1965 के इंडिया पाक जंग के हीरो अब्दुल हमीद ( परम वीर चक्र विजेता) की शहादत पर लिखा था _

मुसलामां हिंद का गाजी मुजाहिद !
लहू  में   दौड़ती  'ईमां'  की  धारा !!
शहादत   सुर्खरू  अपनी  रवायत !
वतन ने जब कभी  हमको पुकारा !!

       इसमें कोई दो राय नहीं कि इस्लाम की नीव में इबादत,सखावत, शुजाअत और शहादत की बहुत बड़ी भूमिका है! अपने मजहब और मुल्क के लिए शहादत देने में इस जंगबाज कौम का कोई मुकाबला नहीं है! सातवीं सदी (610 ईस्वी) में उदय और सोलहवीं सदी (1570 ईस्वी) में शौर्य, शासन, सभ्यता और न्याय के शिखर पर चमकते इस्लामी हुकूमत का अगले दो सौ साल में ऐसा पतन हुआ कि दुनियां आज भी हैरान है ! आज उसी शासक कौम के लोग बदहाली के ऐसे दौर से गुजर रहे हैं जहां से वापसी के लिए कोई शॉर्ट कट रास्ता नहीं है । अपनी बदहाली के लिए खुदा और नाखुदा दोनों को कोसती ये कौम अपने गिरेबां में झांकने को बिल्कुल तैयार नहीं! इस्लाम के मूलभूत सिद्धांतों से भटक गई ये अपार भीड़ अपनी सियासी और सामाजिक नेतृत्व विहीनता के चलते  राजनैतिक पार्टियों के बीच फुटबाल बन कर  रह गई है! आज इस जमात में आला और पसमांदा दोनों शरीक हैं ! शोषण और दमन की इस फेहरिस्त में इदरीसी बिरादरी अकेली नहीं है! पूरी कौम ए मुस्लिमाँ उनके साथ खड़ी मिलेगी ! आइए,आज हम अपने देश में चल रहे   'प्रचंड' विकास,सामाजिकऔर आर्थिक भागेदारी तथा राजनीतिक भूमिका में  इस ' नेतृत्व विहिन भीड़' की दिशाहीनता और दुर्दशा का आकलन करते हैं!

शिक्षा,,,,,
       2011 के सर्वे के मुताबिक़ मुसलामानों की कुल जनसंख्या का 43% भाग अशिक्षित था ! कैसी विडंबना है कि जिस कौम की पवित्र पुस्तक कुरआन के आगाज का  पहला शब्द ही "इकरा" (यानि - "पढ़") हो, आज उस कौम के अनुयायी शिक्षा के क्षेत्र में इतने उदासीन  क्यों ! आबादी के पहले ब्रिटिश हुकूमत में, आई ए एस IPS जैसे उच्च पदों पर मुस्लिमों की भागीदारी 5% थी, आज इतनी  अधिक आबादी के बावजूद 3% है ! शिक्षा के क्षेत्र में जो लोग मदरसों की भूमिका पर उंगली उठाते हैं, तो उनके लिए हैरान करने वाला आंकड़ा ये है कि मुसलमानों के सिर्फ 4% बच्चे ही मदरसा जाते हैं, बाकी 96% बच्चे सरकारी और प्राइवेट स्कूल्स का रुख करते हैं ! इनमे एक बड़ा तबका उन बच्चों का है जो मिडिल क्लास के बाद आगे जाते ही नहीं! अब खुद सोचो कि ऐसे में अगर कोई  'अब्दुल' के साथ "पंचर" शब्द जोड़ रहा है तो उसके लिए कौन जिम्मेदार है! राजा राम मोहन राय जैसे विश्वविख्यात समाज सुधारक देश को देने वाले मदरसों को पेट्रो डॉलर और आतंकवाद से जोड़ा जा रहा है!

सरकार की भूमिका,,,,,,

          आजादी के बाद जब कॉंग्रेस की सरकार बनी तो देश का पहला केंद्रीय शिक्षा मंत्री एक मुसलामान को बनाया गया ! ( मौलाना अबुल कलाम आजाद) उसके पहले ऊर्दू को मुख्य भाषा का दर्जा हासिल था ! कॉंग्रेस के शासन में ऊर्दू का वो रुतबा और दर्जा खत्म होता रहा! बंटवारे मे  मुस्लिम समुदाय को नेतृत्व दे रही शख्सियत और असरदार लोग पाकिस्तान चले गए और भारत से मुहब्बत करने वाले आला और पसमांदा मुस्लिम यहीं रुक गए ! राष्ट्रनिर्माण और कुर्बानी देने मे अग्रणी रहे इस कौम के अनुयायी आज भी पाकिस्तान के निर्माण के लिए ताने सुन रहे हैं ! इस  कौम को सत्ता और सर्विस मे वो भागीदारी क्यों नहीं दी जाती जिसकी हकदार है! मुस्लिमों का तुष्टिकरण करने का आरोप झेल रही कांग्रेस ने मुसलामानों को आखिर दिया क्या है? जो दिया है, पूरा देश जानता है! मुस्लिमों की दयनीय दुर्दशा को उजागर करने वाली रंगनाथ और सच्चर कमेटी की रिपोर्ट पर आज तक कितना अमल हुआ ?

नेतृत्व की भारी कमी,,,,,

       केन्द्रीय अल्पसंख्यक मंत्री स्मृति ईरानी के अनुसार आज मुसलामानों की आबादी देश की कुल आबादी का 19% है ! ( यह संख्या पाकिस्तान की कुल आबादी से ज्यादा है! पर इस बेहाल और बदहाल कौम के पास आज की तारीख में न कोई एक सर्वस्वीकृत धार्मिक नेता है न सियासी ! इतनी बड़ी आबादी चौराहे पर खड़े उस निरीह चौपाये की तरह है जो भ्रमित है कि किधर जाये ! उसने हमेशा दूसरे धर्म के लोगों को अपना नेता बनाया,फिरभी उसी से देशभक्ति की सनद मांगी जाती है! हर पार्टी चुनाव के वक़्त उससे यही आकांक्षा रखती है कि वो वोटर बन कर  रहे जन प्रतिनिधि नहीं !

हाल क्या है,,,,,,?

 1-   हमें अपने मतभेद बलाए ताक रख कर  एक।       मंच पर आना होगा!
2-     'अशिक्षा'  का कलंक मिटाने के लिए युद्ध             स्तर पर काम करने की जरूरत है! हमारे       नबी का  शिक्षा के लिए जो फरमान था,( शिक्षा     के लिए हिजरत करने का सुझाव) उसे  अपनी जिंदगी में उतारना होगा ! 
3-     हर  मुस्लिम माँ बाप को अहद करना होगा।           कि हमारा बच्चा ऊंची तालीम हासिल।                 करेगा !
4-      सफेद हाथी साबित हो  रहे  बड़ी बड़ी मुस्लिम संगठन अगर स्कूल नहीं खोल रहे तो उनसे दूरी बनाए!
5-        सिर्फ वोटर बनकर मत रहें, सत्ता में अपनी भागीदारी के लिए संघर्ष करें, जागरूक             होकर अपना हक मांगे!
6-       मस्जिद जाना शुरू करें और नमाज के बाद  देश,कौम, समाज और अपने बेहतर भविष्य के लिए  चर्चा करें ! याद  रखें, हमें अपने हक और संवैधानिक अधिकार के लिए खुद संगठित होकर संघर्ष करना होगा ! अल्लामा इकबाल ने कहा था-
7-     हमें अपने बच्चों को वीर अब्दुल हमीद और           ब्रिगेडियर उस्मान बनाना होगा, जो हमारे               मुल्क और कौम का नाम दुनियां में रोशन             करें ! हम सरकार से मांग करते हैं कि वीर            अब्दुल हमीद के नाम से गाजीपुर या दिल्ली        में एक यूनिवर्सिटी खोली जाए !
अपनी हिम्मत अपनी कूवत अपने बाजू तौलकर!
कूचा ए हस्ती में उड़ना है तो उड़  पर खोल कर!!

        इदरीसी समाज संगठित हो रहा है, ये देख कर खुशी होती है ! अब बहुत सी राजनैतिक दलों के लोग आप के पास आयेंगे ! आपको पसमांदा बताकर आपके सर्व विकास का वादा करेंगे! आप  मिलें, सुनें और अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें  ! अपने नेतृत्व की वकालत करें ! अपने संवैधानिक अधिकार को हासिल करना होगा! हमें आरक्षण क्यूँ नहीं मिलता? ये कौन बतायेगा ! देश की आर्थिक शक्ति में रीढ़  की भूमिका निभा रहे इस श्रमजीवी समुदाय मे अब घनघोर जनजागरण शुरू करने का  वक़्त आ गया है ! 
     हमारे आज के हालात को अर्सा पहले विश्व विख्यात शायर और क्रान्तिकारी योद्धा मौलाना अल्ताफ हुसैन "हाली"  ने  हूबहू  कुछ  यूं बयान किया है,,,,,,,

न अहले हुकूमत के हमराज़ हैं हम !
न  दरबारियों  में  सरफराज  हैं हम !!
न रखते हैं कुछ मंजिलत नौकरी में!
न   हिस्सा  हमारा  है  सौदागरी  में !!

 तो,,,,बस तैयार हो जाओ शिक्षित और संगठित होकर हमें इस परिभाषा को बदल देना है ! हमें याद रखना होगा कि,,,,,,,

कोई तन्हा मुसाफिर कारवाँ बन जाता है जिस दिन 
उसी  दिन  मुश्किलों  के  हौसले  भी  टूट जाते  हैं!!

        और,,,खुदा  की   कसम ! आज हम   तन्हा नहीं हैं !!

            ,,,,,,,, अबुल हाशिम ,,,,,,

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