हिन्दी दिवस का बर्थ डे केक
मंत्री जी ने कई दिनों पहले कार्ड न्योता भेज दिया था। चौदह सितंबर को सभी "गणमान्य" श्रेणी के मेहमान मंत्री जी के आवास पर आ गए! सरकारी आवास के विशाल लान मे लोग कुर्सियों पर बैठे ! एक बड़ी मेज पर एक बड़ा केक रखा गया। मंत्री जी के मुहँ लगे उनके निजी कवि ने सबसे पहले हिन्दी मे एक ताजी कविता सुनाई जो हिन्दी दिवस की अपेक्षा मंत्री जी को ज्यादा समर्पित थी,- ----
हिन्दी आज महान है!
भारत की पहचान है!!
मंत्री जी के प्रयासों से !
जन जन की पहचान है !!
आमंत्रित कवि विद्वानों का!
करते वो सम्मान हैं !!
कविता के तीसरे अंतरे में ही कवि ने मंत्री जी को याद दिला दिया कि पिछले साल जैसा प्रोग्राम मत करना! ( पिछले हिन्दी दिवस पर अंग वस्त्र के साथ सम्मान राशि नहीं दी गई थी!)
आमंत्रित मेहमान जहां सम्मान की कल्पना में मगन थे वहीं मंत्री चिंतित होकर अपने पी ए के कान मे कह रहे थे,- ' अब गलती मत करना,अगले साल किसी नए कवि को हायर करना "!
कविता के बाद मंत्री जी के सचिव हिन्दी भाषा की उपयोगिता और महत्व पर प्रकाश डालने लगे, -' हिन्दी लैंग्वेज बोलने में बहुत इजी है, तभी ये नैशनल लैंग्वेज बन पायी है, यू नो ! हमें इस लैंग्वेज पर प्राउड फील होना चाहिए-! हमारे विद्वान मंत्री जी का गवर्नमेंट से अपील है कि वो हिन्दी को वर्ल्ड लैंग्वेज बनाए ! हम सबको अपने फॅमिली मेंबर्स से सिर्फ हिन्दी में डिस्कशन करना चाहिए-यू नो ! !हिन्दी के ग्लोबल लैंग्वेज बनते ही हमारे विश्वगुरु होने के सारे स्पीड ब्रेकर खत्म हो जायेंगे ! हिन्दी के डेवलपमेंट के लिए मेरे साथ नारा लगायें -
हिन्दी ही अपनायेंगे !
इंग्लिश मार भगाएंगे !! "
सचिव ने बैठने से पहले बड़ी गर्वित नजरों से उन श्रोताओं पर नजर डाली जो अभी भी इंग्लिश को मार भगाने का आवाहन कर रहे थे! इसके बाद हिन्दी के समर्थन में एक प्रचंड पहलवान ने माइक थाम लिया -" माँ सरस्वती की अपार अनुकंपा से हम हिंदी को राष्ट्रभाषा से विश्व भाषा बनाने के प्रगति पथ पर अग्रसर हैं ! हमारे आदरणीय मंत्री जी और सशक्त राष्ट्र के सतत प्रयास और संघर्ष से ये संभव हो पाया है ! मंत्री जी शतायु हों, जिससे पूरे ब्रह्माण्ड में चर अचर सभी जीवों की भाषा हिंदी और केवल हिंदी हो !यही मंत्री जी और सरकार दोनों का संयुक्त प्रयास है! अंतरिक्ष में हिंदी भाषा के विकास के लिए चांद पर हिंदी भाषा विकास संस्थान खोला जाए , - जय हिंदी! जय राष्ट्र भाषा-!"
अब लोगों की नजरें वक्ताओं पर कम केक पर ज्यादा थी ! लोगों की अगाध श्रद्धाकेंद्र का सही आकलन कर मंत्री जी ने समापन भाषण दिया,-"आप लोगोँ का हिंदी प्रेम देख कर मुझे पूरा यकीन है कि हिंदी देश की राष्ट्रभाषा भले न बन पाये , यूनिवर्सल भाषा पहले बनेगी ! शायद आप लोग भी देश की अपेक्षा हिंदी को यूनिवर्सल भाषा बनाने के लिये ज्यादा समर्पित हैं ! आपकी उस विलक्षण दूरदृष्टि को सलाम है, हिंदी के विकास के लिए जिसका प्रथम प्रयास अपने बच्चों को अंगेजी मीडियम से पढ़ाना होता है ! अंग्रेजी भाषा के प्रति इतना प्यार,आकर्षण और समर्पण देख कर मुझे पूरा विश्वास है कि हिंदी को विश्व भाषा बनाने का कितना बड़ा समुद्र मंथन आप चला रहे हो- ! मेरे परिवार में सारे धार्मिक कर्मकांड निपटाने वाले पंडित जी के दोनों बच्चे भी कॉन्वेंट में पढ़ते हैं! उनको भी सादर प्रणाम है-! आइए अब हिंदी के इस समग्र विकास की खुशी का केक काटते हैं-"!
आज एक विद्वान ने सोशल मीडिया पर पोस्ट में सवाल पूछा है, - क्या दुनियां में किसी और भाषा का पखवारा मनाया जाता है ? हो सकता है, मुझे तो नहीं पता! मुझे तो ये भी नहीं पता कि पखवारा मनाने से हिंदी का कितना विकास होता है ! हिंदी विकास के नाम पर बने सफेद हाथी जैसे संस्थानों की ओर से कोई प्रगति रिपोर्ट आती हो तो मुझे उसका भी पता नहीं! हिंदी भाषी लेखकों का इस पखवारे में कितना विकास हो रहा है, मुझे कुछ नहीं पता! अलबत्ता ये पता है कि हिंदी के अधिकांश लेखक अपने लेखक होने की सज़ा काट रहे हैं! उनके साहित्य और हिंदी समर्पण को इन संस्थानों से कोई ऑक्सीजन नहीं
मिलती! पेंशन भी नहीं ! ( कर्म और फल के अध्यात्म पर संदेह कैसा!)
हिन्दी भाषा विकास की सारी औपचारिकता जिवित हो उठी है ! सरकारी बैंक ने इंट्री गेट पर हिंदी पखवारे का बैनर लगा दिया है , - कृपया फॉर्म , चैक और विदड्रॉल हिंदी में भरें -! लेकिन अंदर सारा काम अँग्रेजी में चल रहा था ! जैसे बैनर खुद कह रहा हो- 16 दिन की तो बात है, हंसते हंसते कट जाये रस्ते-! तीस सितंबर के बाद सरकारी विभाग ये बैनर अगले साल सितंबर के लिए समेट कर आलमारी में रख देंगे ! ऐ राष्ट्रभाषा! हम तेरे लिए एक पखवारे का बलिदान तो दे ही सकते हैं न ! इसी से अपने पूरे साल का हीमोग्लोबिन दुरुस्त कर लेना !
हिंदी विकास के कथित प्रयास पर एक शे'र पेश करते हैं,,,,,,,
ये तो माना कि तगाफुल न करोगे लेकिन !
खाक हो जायेंगे हम तुमको खबर होने तक !!
( Sultan bharti)
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