Thursday, 14 September 2023

(व्यंग्य भारती) "हिन्दी दिवस का बर्थ डे केक"

व्यंग्य भारती
          हिन्दी दिवस का बर्थ डे केक 

   मंत्री जी ने कई दिनों पहले कार्ड न्योता भेज  दिया था।  चौदह सितंबर को सभी "गणमान्य" श्रेणी के मेहमान मंत्री जी के आवास पर आ गए! सरकारी आवास के विशाल लान मे लोग कुर्सियों पर  बैठे ! एक बड़ी मेज पर एक बड़ा केक रखा गया।  मंत्री जी के मुहँ लगे उनके निजी कवि ने सबसे पहले हिन्दी मे एक ताजी कविता सुनाई जो हिन्दी दिवस की अपेक्षा मंत्री जी को ज्यादा समर्पित थी,- ----
हिन्दी आज महान  है!
भारत की पहचान  है!!

मंत्री जी के  प्रयासों से !
जन जन की पहचान है !!

आमंत्रित कवि विद्वानों का!
करते    वो   सम्मान    हैं !!

  कविता के तीसरे अंतरे में ही कवि ने  मंत्री जी को याद दिला दिया कि पिछले साल जैसा प्रोग्राम मत करना! ( पिछले हिन्दी दिवस पर अंग वस्त्र के साथ सम्मान राशि नहीं दी गई थी!)
     आमंत्रित मेहमान जहां सम्मान की  कल्पना में मगन थे  वहीं मंत्री चिंतित होकर अपने पी ए के कान मे कह रहे थे,- ' अब गलती मत करना,अगले साल किसी नए कवि को हायर करना "!
       कविता के बाद मंत्री जी के सचिव हिन्दी भाषा की उपयोगिता और महत्व पर प्रकाश डालने लगे, -' हिन्दी लैंग्वेज बोलने में बहुत  इजी है, तभी ये नैशनल लैंग्वेज बन पायी है, यू नो ! हमें इस लैंग्वेज पर प्राउड फील होना चाहिए-! हमारे विद्वान मंत्री जी का गवर्नमेंट से अपील है कि वो हिन्दी को वर्ल्ड लैंग्वेज बनाए ! हम सबको अपने फॅमिली मेंबर्स से सिर्फ हिन्दी में डिस्कशन करना चाहिए-यू नो ! !हिन्दी के ग्लोबल लैंग्वेज बनते ही हमारे विश्वगुरु होने के सारे स्पीड ब्रेकर खत्म हो जायेंगे ! हिन्दी के डेवलपमेंट के लिए मेरे साथ नारा लगायें -

हिन्दी ही अपनायेंगे !
इंग्लिश मार भगाएंगे !! "

      सचिव ने बैठने से पहले बड़ी गर्वित नजरों से उन श्रोताओं पर नजर डाली जो अभी भी इंग्लिश को मार भगाने का आवाहन कर रहे थे! इसके बाद हिन्दी के समर्थन में एक प्रचंड पहलवान ने माइक थाम लिया -" माँ सरस्वती की अपार अनुकंपा से हम हिंदी को राष्ट्रभाषा से विश्व भाषा बनाने के प्रगति पथ पर अग्रसर हैं ! हमारे आदरणीय मंत्री जी और सशक्त राष्ट्र के सतत प्रयास और संघर्ष से  ये संभव हो पाया है !  मंत्री जी  शतायु हों, जिससे पूरे ब्रह्माण्ड में चर अचर सभी जीवों की भाषा हिंदी और केवल हिंदी हो !यही मंत्री जी और सरकार दोनों का संयुक्त प्रयास है! अंतरिक्ष में हिंदी भाषा के विकास के लिए चांद पर हिंदी भाषा विकास संस्थान खोला जाए , - जय हिंदी! जय राष्ट्र भाषा-!"
     अब लोगों की नजरें वक्ताओं पर कम केक पर ज्यादा थी ! लोगों की अगाध श्रद्धाकेंद्र का सही आकलन कर मंत्री जी ने समापन भाषण दिया,-"आप लोगोँ का हिंदी प्रेम देख कर मुझे पूरा यकीन है कि हिंदी देश की राष्ट्रभाषा भले न  बन पाये , यूनिवर्सल भाषा पहले बनेगी ! शायद आप लोग भी देश की अपेक्षा हिंदी को यूनिवर्सल भाषा बनाने के लिये ज्यादा समर्पित हैं ! आपकी उस विलक्षण दूरदृष्टि को सलाम है, हिंदी के विकास के  लिए जिसका प्रथम प्रयास अपने बच्चों को अंगेजी मीडियम से पढ़ाना होता है ! अंग्रेजी भाषा के प्रति इतना प्यार,आकर्षण और समर्पण देख कर मुझे पूरा विश्वास है कि हिंदी को विश्व भाषा बनाने का कितना बड़ा समुद्र मंथन आप  चला रहे हो- ! मेरे परिवार में सारे धार्मिक कर्मकांड निपटाने वाले पंडित जी के दोनों बच्चे भी कॉन्वेंट में पढ़ते हैं! उनको भी सादर प्रणाम है-! आइए अब हिंदी के इस समग्र विकास की खुशी का केक काटते हैं-"!
         आज एक विद्वान ने सोशल मीडिया पर पोस्ट में सवाल पूछा है, - क्या दुनियां में किसी और  भाषा का पखवारा मनाया जाता है ? हो सकता है, मुझे तो नहीं पता! मुझे तो ये भी नहीं पता कि पखवारा मनाने से  हिंदी का कितना विकास होता है ! हिंदी विकास के नाम पर बने सफेद हाथी जैसे संस्थानों की ओर से कोई प्रगति रिपोर्ट आती हो तो मुझे उसका भी पता नहीं! हिंदी भाषी लेखकों का इस पखवारे में कितना विकास हो रहा है, मुझे कुछ नहीं पता! अलबत्ता ये पता है कि हिंदी के अधिकांश लेखक अपने लेखक होने की सज़ा काट रहे हैं! उनके साहित्य और हिंदी समर्पण को इन संस्थानों से कोई ऑक्सीजन नहीं 
मिलती! पेंशन भी नहीं ! ( कर्म और फल के अध्यात्म पर संदेह कैसा!)
       हिन्दी भाषा विकास की सारी औपचारिकता  जिवित हो उठी है !  सरकारी बैंक ने  इंट्री गेट पर हिंदी पखवारे का बैनर लगा दिया है , - कृपया फॉर्म , चैक और  विदड्रॉल  हिंदी  में भरें -!  लेकिन अंदर सारा काम अँग्रेजी में चल रहा था ! जैसे बैनर खुद कह रहा हो- 16 दिन की तो बात है, हंसते हंसते कट जाये रस्ते-! तीस सितंबर के  बाद सरकारी विभाग ये बैनर अगले साल सितंबर के लिए समेट कर आलमारी में रख देंगे ! ऐ राष्ट्रभाषा! हम तेरे लिए  एक पखवारे का बलिदान तो दे ही सकते हैं  न ! इसी से अपने पूरे साल का  हीमोग्लोबिन दुरुस्त कर लेना !
    हिंदी विकास के कथित प्रयास पर एक शे'र पेश करते हैं,,,,,,,
ये तो माना कि  तगाफुल  न करोगे  लेकिन !
खाक हो जायेंगे हम तुमको खबर होने तक !!

     ( Sultan bharti)


Tuesday, 5 September 2023

आगाज तो अच्छा था- अंजाम खुदा जाने

                 " आज का मुस्लिम "
आगाज़ तो अच्छा था- अंजाम,,,,,,,खुदा जाने 

     अवध के एक  जमीनी  शायर  एम जे  सिद्दीकी ने 1965 के इंडिया पाक जंग के हीरो अब्दुल हमीद ( परम वीर चक्र विजेता) की शहादत पर लिखा था _

मुसलामां हिंद का गाजी मुजाहिद !
लहू  में   दौड़ती  'ईमां'  की  धारा !!
शहादत   सुर्खरू  अपनी  रवायत !
वतन ने जब कभी  हमको पुकारा !!

       इसमें कोई दो राय नहीं कि इस्लाम की नीव में इबादत,सखावत, शुजाअत और शहादत की बहुत बड़ी भूमिका है! अपने मजहब और मुल्क के लिए शहादत देने में इस जंगबाज कौम का कोई मुकाबला नहीं है! सातवीं सदी (610 ईस्वी) में उदय और सोलहवीं सदी (1570 ईस्वी) में शौर्य, शासन, सभ्यता और न्याय के शिखर पर चमकते इस्लामी हुकूमत का अगले दो सौ साल में ऐसा पतन हुआ कि दुनियां आज भी हैरान है ! आज उसी शासक कौम के लोग बदहाली के ऐसे दौर से गुजर रहे हैं जहां से वापसी के लिए कोई शॉर्ट कट रास्ता नहीं है । अपनी बदहाली के लिए खुदा और नाखुदा दोनों को कोसती ये कौम अपने गिरेबां में झांकने को बिल्कुल तैयार नहीं! इस्लाम के मूलभूत सिद्धांतों से भटक गई ये अपार भीड़ अपनी सियासी और सामाजिक नेतृत्व विहीनता के चलते  राजनैतिक पार्टियों के बीच फुटबाल बन कर  रह गई है! आज इस जमात में आला और पसमांदा दोनों शरीक हैं ! शोषण और दमन की इस फेहरिस्त में इदरीसी बिरादरी अकेली नहीं है! पूरी कौम ए मुस्लिमाँ उनके साथ खड़ी मिलेगी ! आइए,आज हम अपने देश में चल रहे   'प्रचंड' विकास,सामाजिकऔर आर्थिक भागेदारी तथा राजनीतिक भूमिका में  इस ' नेतृत्व विहिन भीड़' की दिशाहीनता और दुर्दशा का आकलन करते हैं!

शिक्षा,,,,,
       2011 के सर्वे के मुताबिक़ मुसलामानों की कुल जनसंख्या का 43% भाग अशिक्षित था ! कैसी विडंबना है कि जिस कौम की पवित्र पुस्तक कुरआन के आगाज का  पहला शब्द ही "इकरा" (यानि - "पढ़") हो, आज उस कौम के अनुयायी शिक्षा के क्षेत्र में इतने उदासीन  क्यों ! आबादी के पहले ब्रिटिश हुकूमत में, आई ए एस IPS जैसे उच्च पदों पर मुस्लिमों की भागीदारी 5% थी, आज इतनी  अधिक आबादी के बावजूद 3% है ! शिक्षा के क्षेत्र में जो लोग मदरसों की भूमिका पर उंगली उठाते हैं, तो उनके लिए हैरान करने वाला आंकड़ा ये है कि मुसलमानों के सिर्फ 4% बच्चे ही मदरसा जाते हैं, बाकी 96% बच्चे सरकारी और प्राइवेट स्कूल्स का रुख करते हैं ! इनमे एक बड़ा तबका उन बच्चों का है जो मिडिल क्लास के बाद आगे जाते ही नहीं! अब खुद सोचो कि ऐसे में अगर कोई  'अब्दुल' के साथ "पंचर" शब्द जोड़ रहा है तो उसके लिए कौन जिम्मेदार है! राजा राम मोहन राय जैसे विश्वविख्यात समाज सुधारक देश को देने वाले मदरसों को पेट्रो डॉलर और आतंकवाद से जोड़ा जा रहा है!

सरकार की भूमिका,,,,,,

          आजादी के बाद जब कॉंग्रेस की सरकार बनी तो देश का पहला केंद्रीय शिक्षा मंत्री एक मुसलामान को बनाया गया ! ( मौलाना अबुल कलाम आजाद) उसके पहले ऊर्दू को मुख्य भाषा का दर्जा हासिल था ! कॉंग्रेस के शासन में ऊर्दू का वो रुतबा और दर्जा खत्म होता रहा! बंटवारे मे  मुस्लिम समुदाय को नेतृत्व दे रही शख्सियत और असरदार लोग पाकिस्तान चले गए और भारत से मुहब्बत करने वाले आला और पसमांदा मुस्लिम यहीं रुक गए ! राष्ट्रनिर्माण और कुर्बानी देने मे अग्रणी रहे इस कौम के अनुयायी आज भी पाकिस्तान के निर्माण के लिए ताने सुन रहे हैं ! इस  कौम को सत्ता और सर्विस मे वो भागीदारी क्यों नहीं दी जाती जिसकी हकदार है! मुस्लिमों का तुष्टिकरण करने का आरोप झेल रही कांग्रेस ने मुसलामानों को आखिर दिया क्या है? जो दिया है, पूरा देश जानता है! मुस्लिमों की दयनीय दुर्दशा को उजागर करने वाली रंगनाथ और सच्चर कमेटी की रिपोर्ट पर आज तक कितना अमल हुआ ?

नेतृत्व की भारी कमी,,,,,

       केन्द्रीय अल्पसंख्यक मंत्री स्मृति ईरानी के अनुसार आज मुसलामानों की आबादी देश की कुल आबादी का 19% है ! ( यह संख्या पाकिस्तान की कुल आबादी से ज्यादा है! पर इस बेहाल और बदहाल कौम के पास आज की तारीख में न कोई एक सर्वस्वीकृत धार्मिक नेता है न सियासी ! इतनी बड़ी आबादी चौराहे पर खड़े उस निरीह चौपाये की तरह है जो भ्रमित है कि किधर जाये ! उसने हमेशा दूसरे धर्म के लोगों को अपना नेता बनाया,फिरभी उसी से देशभक्ति की सनद मांगी जाती है! हर पार्टी चुनाव के वक़्त उससे यही आकांक्षा रखती है कि वो वोटर बन कर  रहे जन प्रतिनिधि नहीं !

हाल क्या है,,,,,,?

 1-   हमें अपने मतभेद बलाए ताक रख कर  एक।       मंच पर आना होगा!
2-     'अशिक्षा'  का कलंक मिटाने के लिए युद्ध             स्तर पर काम करने की जरूरत है! हमारे       नबी का  शिक्षा के लिए जो फरमान था,( शिक्षा     के लिए हिजरत करने का सुझाव) उसे  अपनी जिंदगी में उतारना होगा ! 
3-     हर  मुस्लिम माँ बाप को अहद करना होगा।           कि हमारा बच्चा ऊंची तालीम हासिल।                 करेगा !
4-      सफेद हाथी साबित हो  रहे  बड़ी बड़ी मुस्लिम संगठन अगर स्कूल नहीं खोल रहे तो उनसे दूरी बनाए!
5-        सिर्फ वोटर बनकर मत रहें, सत्ता में अपनी भागीदारी के लिए संघर्ष करें, जागरूक             होकर अपना हक मांगे!
6-       मस्जिद जाना शुरू करें और नमाज के बाद  देश,कौम, समाज और अपने बेहतर भविष्य के लिए  चर्चा करें ! याद  रखें, हमें अपने हक और संवैधानिक अधिकार के लिए खुद संगठित होकर संघर्ष करना होगा ! अल्लामा इकबाल ने कहा था-
7-     हमें अपने बच्चों को वीर अब्दुल हमीद और           ब्रिगेडियर उस्मान बनाना होगा, जो हमारे               मुल्क और कौम का नाम दुनियां में रोशन             करें ! हम सरकार से मांग करते हैं कि वीर            अब्दुल हमीद के नाम से गाजीपुर या दिल्ली        में एक यूनिवर्सिटी खोली जाए !
अपनी हिम्मत अपनी कूवत अपने बाजू तौलकर!
कूचा ए हस्ती में उड़ना है तो उड़  पर खोल कर!!

        इदरीसी समाज संगठित हो रहा है, ये देख कर खुशी होती है ! अब बहुत सी राजनैतिक दलों के लोग आप के पास आयेंगे ! आपको पसमांदा बताकर आपके सर्व विकास का वादा करेंगे! आप  मिलें, सुनें और अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें  ! अपने नेतृत्व की वकालत करें ! अपने संवैधानिक अधिकार को हासिल करना होगा! हमें आरक्षण क्यूँ नहीं मिलता? ये कौन बतायेगा ! देश की आर्थिक शक्ति में रीढ़  की भूमिका निभा रहे इस श्रमजीवी समुदाय मे अब घनघोर जनजागरण शुरू करने का  वक़्त आ गया है ! 
     हमारे आज के हालात को अर्सा पहले विश्व विख्यात शायर और क्रान्तिकारी योद्धा मौलाना अल्ताफ हुसैन "हाली"  ने  हूबहू  कुछ  यूं बयान किया है,,,,,,,

न अहले हुकूमत के हमराज़ हैं हम !
न  दरबारियों  में  सरफराज  हैं हम !!
न रखते हैं कुछ मंजिलत नौकरी में!
न   हिस्सा  हमारा  है  सौदागरी  में !!

 तो,,,,बस तैयार हो जाओ शिक्षित और संगठित होकर हमें इस परिभाषा को बदल देना है ! हमें याद रखना होगा कि,,,,,,,

कोई तन्हा मुसाफिर कारवाँ बन जाता है जिस दिन 
उसी  दिन  मुश्किलों  के  हौसले  भी  टूट जाते  हैं!!

        और,,,खुदा  की   कसम ! आज हम   तन्हा नहीं हैं !!

            ,,,,,,,, अबुल हाशिम ,,,,,,

Friday, 1 September 2023

(व्यंग्य 'भारती') "चंदा मामा या मामू "

व्यंग्य 'भारती'

 "चाँद"- तुझे "मामा" कहूँ - या  "मामू" 

          अब तो पहचान बतानी होगी ! बहुत हो गया छुपा छुपी ! चंदा मामा तुम्हें भी डॉक्यूमेंट दिखाना पड़ेगा ! तुम्हारे धर्म को लेकर बहुतै कन्फ्यूजन है  ! तुम मामा हो या मामू ? कौन से धर्म में आते हो ! बताना पड़ेगा ! मामा और मामू  में से एक को  चुनना पड़ेगा ! एक म्यान  में मामा मामू दोनों नहीं रह सकते ! चन्द्रयान, विक्रम और प्रज्ञान  तीनों नाम सनातनी हैँ ! इसलिए तुम भी मामा बन कर रहो, मामू नहीं ! अब मामा और मामू में से किसी एक को सिलेक्ट कर लो !  शराफत से मान जाओ तो ठीक है मामा, वर्ना चलनी से देखना ही नहीं, चलनी मे पानी भरवाना भी हमें आता है !
              राजधानी दिल्ली के एक संत का सुझाव है कि तुम्हें हिन्दू राष्ट्र घोषित कर दिया जाए ! क्या हुआ? इतने में ही नर्भसा गए  का ! मामा समझा करो ! यहां हमारे प्लेनेट पर  बहुतै पंगा है ! हम  का  करें, विपक्ष है कि मानता नहीं ! सरकार जनता को हिंदू राष्ट्र देना चाहती है, मगर  विपक्ष  है  कि  टमाटर नींबू और प्याज का रोना रो रहेहैं ! विपक्ष कभी नौकरी मांगता है कभी सस्ता टमाटर ! घोर कलियुग है जी ! स्वर्ग और मोक्ष की जगह उन्हें सस्ता सिलेंडर चाहिए !
         सुनो मामा जी ! आराम से मान जाओ तो बढ़िया है ! वर्ना हम तुम्हारे पूरे ग्रह को दिल्ली के प्रॉपर्टी  डीलरों को 99 साल के लीज पर दे देंगे! उसके बाद तो तुम पूरे ब्रह्माण्ड  में ओरिजिनल काग़ज़ लेकर दौड़ते रहोगे, मगर अपनी ही प्रॉपर्टी पर कब्ज़ा नहीं  पाओगे ! हमारे ग्रह पर ऐसे ऐसे प्रॉपर्टी डीलर हैँ जो तुम्हें तुम्हारे ग्रह के मालिकाना हक का काग़ज़ उस  वक़्त  का  दिखा देंगे जब तुम्हारे ग्रह का जन्म भी नहीं हुआ था ! अब बताओ क्या करोगे ! घबरा गए न! इसलिए कहता हूं मामा जी अभी समय है ! वैसे  हिन्दू राष्ट्र घोषित होने में तुम्हारा कोई नुकसान भी नहीं है ! सोचो पृथ्वी से कितने श्रद्धालु हम से वीज़ा लेकर तुम्हें देखने आयेंगे !  महिलाएँ चलनी से देख देख कर बोर हो गई हैं ! अब साक्षात दर्शन करेंगी ! रक्षा बंधन पर कितना रश रहा करेगा !
          अब काहे चिंतित हो ! देखो ऐसा है कि  कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है! दोनों हाथों में लड्डू नहीं  होगा ! मामा होने के लिए मामू का मोह छोड़ना पड़ेगा ! हमें तुम्हारी कला और कलाकारी दोनों का पता है ! तुम कब भगवान के माथे पर होते हो कब भाग्यचक्र में -हमें मालूम है! इतना सम्मान रास नहीं आ रहा है  का ! ईद से एक दिन पहले दिखाई देने का मोह छोड़ना पड़ेगा ! अब ये- खाओ ब्रिटानिया फिफ्टी फिफ्टी - नहीं चलेगा !
        अब काहे सोच में पड़ गए ! हिन्दू राष्ट्र घोषित होने से क्या होगा ? ये सब कुछ जनता के लिए होगा ! वैसे,,,,हो सकता है कि जनता को भी न पता हो कि वो हिन्दू राष्ट्र चाहती है ! एक दिन ईंटभट्टा पर काम करने वाले कई मज़दूरों से मैंने भी यही सवाल पूछा था- " आपको क्या चाहिए-'?
  -" अगर ठेकेदार समय पर पैसा दे दे तो इस बार गिरवी रखा खेत छुड़ा लूँगा बाबूजी ! दो साल पहले बेटी की शादी के लिए गिरवीं रखा था!"
    "और तुम ?"
    " एकलौता बेटा सफ़ाई कर्मी था, तीन साल पहले सीवर की सफ़ाई करते वक़्त जहरीली गैस से मर गया था ! हम चाहते हैं कि मुआवजे के साथ किसी एक को नौकरी भी मिल जाए!"
     ' और  आप?' वो एक बुजुर्ग मजदूर था 
     " बाबूजी मेरी नज़र कमज़ोर हो गई है  ! मैं पिछले अट्ठारह साल से ईंट भट्टा पर हूँ। हर साल सर्दी में सोचता हूं कि आंख खुलवा लूँगा, पर इतना बचता ही नहीं! कस्बा भी दूर है यहां से !'
    "और काकी तुम?"
       " आदमी के मरने के बाद पतोहू ने निकाल दिया घर से! जब तक हाथ पाँव चल रहा है , भीख नहीं मांगूंगा- बेटे से न गाँव वालों से "!
     सुन लिया न , तो मामा जी उनमे से तो किसी को हिन्दू राष्ट्र नहीं चाहिए ! हो सकता है कि ये लोग जनता की  गिनती न आते हों ! तो,,,,प्रस्ताव आना शरू है ! चुनाव से पहले तुम्हें  हिन्दू राष्ट्र  बनना होगा ! और हाँ,  फिर पूछ रहा हूँ- कहीं किसी और मजहब का ऑफर तो नहीं पकड़ा न ! पहले कोई नील आर्म स्ट्रॉन्ग और बज एल्डरिन आए थे ! वैसे तो पहले पूरा ब्रह्मांड सनातनी था ! तलवार के डर से बीच में कुछ लोग फिसल गए थे ! तो क्या हुआ, अब घर वापसी कर लो  ! ऐसा कुछ हो  गया हो तो बता देना, संपूर्ण शुद्धीकरण के लिए तुलसी पत्र, गंगाजल और गौमूत्र की  कोई  कमी नहीं है l