"सपनों का नया पैकेज"
अब का बताएं भइया ! आम में भले बौर न आए, विकास मे भरपूर आता है! परसों मोहल्ले के नेता के बेटे का बर्थडे था, भूतपूर्व विधायक जी भी आए थे! ( भूतपूर्व होने के बाद प्राणी मुख्य धारा में आने के लिए कितना व्याकुल होता है!) मुहल्ले के लोगों को थोक में देख कर वो केक की जगह सपने बांटने लगे, -' आधा जून निकल गया,बारिश नहीं हुई! मैं जब विधायक था तो आंधी,तूफान, बारिश,आम का बौर हो या गोमती मे बाढ़ सब कुछ वक्त पर आती थी ! कोई समस्या हो तो बताएं?'
समवेत स्वर में कई समस्याएं पेश हुईं, -' आपने जितने फार्म भरवाए थे, किसी को पेंशन नहीं मिली '!
' अभी तक मुझे आवास नहीं मिला '!
' गांव तक आने वाली जो सड़क विधायक फंड से बनवाया था, वो एक बरसात में बह गई '!
' मनरेगा में काम तो हुआ लेकिन मजदूरी नहीं मिली'!
' पुष्टाहार योजना का चना नही मिल रहा '!
" बिजली बराबर नहीं आ रही '-!
आख़िरी शिकायत में फाइबर था, नेता जी को ऑक्सीजन मिली, - ' देखिए, ये सरकार जन विरोधी है।देश को बाइसवीं सदी में ले जानें की जगह गुफा युग में ले जा रही है ! अगले साल आपको इनके षड्यंत्र से बाहर निकलना है"!
मुहल्ले के एक बुजुर्ग ने नेता जी की दुखती रग पर हाथ रखा दिया, -' नये विधायक ने कहा है कि वो आपकी जांच करवाएगा, किस चीज की जांच?"
नेता जी को लगा केक का कोई टुकड़ा गले में फंस गया है, गुस्सा पीकर वो मुस्कराए, -' सत्ता पक्ष का काम है विपक्ष पर झूठे आरोप लगाना, मैं इसका बुरा नहीं मानता ! अभी तीन साल बाकी है, तब तक जानें कितने आरोप लगेंगे! मैंने तो जनता के उद्धार के लिए ही अवतार लिया है -'!
इस वक्त देश में अमृतकाल चल रहा है ! कहां से आया और क्यों चल रहा है, छोड़ो ये न पूछो ! इस वक्त विकास को लेकर परस्पर विरोधी
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