Sunday, 18 June 2023

"व्यंग्य भारती"। 72 हूरों का पैकेज

(व्यंग्य "चिंतन")

    " 72   हूरों   का पैकेज"

               मीडिया का कब्ज इस बार हूरों की बदौलत दूर हो रहा है ! कुछ लोगों के लिए तो हूर का ज़िक्र ही झंडू पंचारिष्ठ का काम करता है और अगर मामला इकट्ठा 72 हूरों का हो तो महान लोग  स्वर्ग की अप्सराओं का मोह छोड़ कर हूरों के हवनकुंड में कूदने आ जाते हैं ! इस स्वादिष्ट शास्त्रार्थ में चैनल के मीडिया प्रभारी कुछ अधेड़ "हूरों" को भी शामिल कर लेते हैं ताकि बूढ़े दर्शकों की भी आस्था बनी रहे। हूरें सदैव से आकर्षण का केंद्र रही हैं, अब बहस इस बात को लेकर है कि किसी सम्प्रदाय विशेष को ऐसा बड़ा पैकेज क्यों ! ये तो ईश्वर द्वारा किया गया  सरासर तुष्टिकरण का केस है ! ज़िंदगी में चार हूरों का पैकेज और मरने के बाद 72 हूरों का ! इस तुष्टिकरण के खिलाफ चैनलों ने जेहाद छेड़ दिया है! ऊपरवाला बरामद नहीं हो रहा है, इसलिए नीचे दाढ़ी वालों के पीछे माइक लेकर दौड़ रहे हैं!
       चैनल वाले लिफाफा में 'पंजीरी' भी देते हैं, इसलिए दोनों संप्रदाय के धर्मयोद्धा डिबेट में आ जाते है ! देवपुरुष से ज़्यादा , डिबेट में आईं (एक्सपायरी डेट छूती) हुरें गुस्सा हैं ! एक हूर कुपित होकर दाढी वाले पर गुस्सा निकाल रही है, - ' तुम मर्दों के लिए बहत्तर हूरें, हमारे लिए क्या -!'
     दाढी वाले सन्न ! बुढ़ापे के दहलीज़ पर खड़ी "हूर" जन्नत में मिलने वाले पैकेज को लेकर अभी से चिंतित है ! चिंता वाजिब भी है , कहीं स्वर्ग के संविधान में हूरों के पैकेज में पृथ्वी की तरह ब्वॉयफ्रेंड और लिव इन रिलेशनशिप की सुविधा न हुई तो ,,,! ( क्या जीना तेरे बिना -!) हूरों पर हुंकार भरते लोग और फुफकार मारती टीआरपी देखकर हर चैनल ने व्हिप जारी कर दिया, - ' मंहगाई, अपराध और समंदरी तूफ़ान जैसे सांसारिक विषय में कोई प्रोटीन नहीं है ! सारे लोग कैमरा और माइक लेकर मुस्लिम मोहल्लों में फेरी लगाओ, मस्जिदों की परिक्रमा करो !  सारे सवाल 72 हूरों को लेकर पूछो ! मगर सावधान, पढ़े लिखे से नहीं अनपढ़ और मज़दूर लोगों की बाइट ज़्यादा लेना ! हमारी टीआरपी और तुम्हारी सेलरी का फाइबर वहीं से आएगा , वरना यू आर फायर्ड -'!
     दिव्य पत्रकारों की अक्षौहिणी सेना कुरुक्षेत्र की ओर प्रस्थान कर गई ! ठेले पर आम बेचते एक दाढ़ी वाले को देख कर एक पत्रकार ने अपना माइक संभाला, -' क्या नाम है आपका?' 
       ' कलीम नाम है, सब कल्लू कहते हैं '!
          " हूर के बारे में क्या कहना है?"
      कल्लू भाई ने समझा कि कोई नए नस्ल का आम आया है , - ' मंडी में ढूंढ लो बाबू, अभी शायद गोदाम से निकला नहीं । वैसे मेरे पास तोतापरी है, बढ़िया जायका है -'!
     " हूर आम की नस्ल में नहीं आती ! मैं उस हूर की बात कर रहा हूं जो आप लोगों को मरने के बाद जन्नत में मिलती हैं -'!
       " तब तो मेरे दादा ही बता सकते हैं आपको, चलिए मैं उनकी कब्र दिखा देता हूं, आप खुद ही पूछ लेना - ! मुझे तो बहुत गाली देते थे -'!
        एक पत्रकार अपने केमरामैन के साथ पंचर बनाने वाले अब्दुल की दूकान पर जा पहुंचा ! लंच का वक्त था कल्लू भाई बिरयानी खा रहे थे! भूखे पत्रकार ने अब्दुल से पूछा,- ' अब्दुल भाई, बडे़ की बिरयानी है क्या?'
    ' बड़े की बिरयानी तो बडे़ लोगों को नसीब होती है बाबू जी ! हम तो पंचर जोड़ने वाले छोटे लोग हैं, बकरा और मुर्गा से ही काम चला लेते हैं '!
      ' हैसियत'  की ऐसी कबीर वाणी सुन एंकर हीनता के चलते सदमे में आ गया ! थोड़ी देर में खुद को संभाल कर अब्दुल से पूछा, -'  बहत्तर हूरों के बारे में कुछ बताएंगे -?'
      " हां हां बिल्कुल !"
एंकर ने चैन की सांस ली, -' सुना है कि मरने के बाद बहत्तर हूरें मिलती हैं आप लोगों को ! कैसी होती हैं देखने में -?'
    " काहे जल्दी मचा रहे हैं बाबू जी ? मरने के बाद हूरें मिलती हैं न ! पहले मरने तो दीजिए -! अभी से परेशान हो , चलिए ऑक्सीजन आने दीजिए -'!
     गली में रद्दी पेपर खरीदने वाले अच्छन मियां से एक पत्रकार ने पूछा, - ' ये बहत्तर हूरों का क्या मामला है मियां जी ?' 
     " पता नहीं बाबू! हमारे मोहल्ले में सत्तार मियां ही अकेले ऐसे मर्द हैं जो "दो" हूरों को झेल रहे हैं ! हालांकि चार हूरों की छूट है, पर दो हूरों के सिलबट्टे में पिस कर पहलवान सत्तार मियां दस साल में पचासी किलो से पचास किलो  पर  आकर अटके हैं ! बड़ा कलेजा है भाई का, पिसे जा रिया है !"
        पत्रकार बहत्तर हूरों तक पहुंच ही नहीं पा रहा था !  अच्छन मियां बता रहे थे, -' मुहल्ले के जो नवजवान लौंडे चार शादियों का नमकीन ख्वाब देखते थे, अब सत्तार मियां का हस्र देखकर तौबा तौबा करते हैं ! पर मियां तुम बताओ ये बहत्तर हूरों वाला कौन मर्द मुजाहिद है, अभी जिंदा है क्या?'
      एक यू ट्यूबर सब्जी बेचने वाले बाबू मियां से पूछ रहा था, -'  ये हूरें दिखने में कैसी होती हैं खां साहब?'
    "बिल्कुल टमाटर की तरह सुर्ख़ रंग , मूली के पत्ते की तरह हरी आंखें, शहतूत जैसे होंठ ,तरोई जैसी पतली कमर,  गरदन जैसी कोई सब्जी फिलहाल दूकान में नहीं है! कुल मिलाकर ये समझो बाबू जी, कि उनमें कोई आदत हमारी बीवियों जैसी नहीं होगी, कि घर में घुसे नहीं कि जेब पर डाका पड़ा -'!
          " तुम्हें तो मरने के बाद 72 हूरें मिल जाएंगी, औरतों को क्या मिलेगा ?'
      " यहां की दुनियां में ज़्यादा से ज़्यादा चार हूरों की इजाजत है, वहां ये आंकड़ा बहत्तर तक है ! पर न तो यहां हर कोई चार हूरों के साथ चैन से जीता है न वहां बहत्तर के साथ जन्नत में जी पाएगा।  बाकी मैं तो ठहरा जाहिल, मौलाना साहब  सही जानकारी देंगे आपको -'!

      उधर एक चैनल के डिबेट में दाढ़ी वाले एक युवक ने ये कह कर आग पर घी डाल दिया था, - ' जैसा अमल होगा वैसा ईनाम मिलेगा ! गीता में भी कहा गया है कि - जैसा करम करोगे वैसा फल देगा भगवान' -! बस फिर क्या था, डिबेट में बैठीं तीन अधेड़ "हूरों" ने इसे अपने "कर्म" पर कटाक्ष समझ कर दाढ़ी वाले पर सर्जिकल स्ट्राइक शुरू कर दी थी ! 

        दर्शकों में उत्साह छा गया , एक धर्मविशेष का चीर हरण देख कर विरोधियों को घर का कनस्तर बगैर आटे के भरता हुआ नज़र आ रहा था, देश आत्मनिर्भर हो रहा था और ऐसा लगता था कि विश्व गुरु होने के रास्ते की सारी बाधाएं अब जाकर दूर हुई हैं !   

   72 हूरों  के चलते प्रगति के कितने सारे मेगा प्रोजेक्ट रूक  गए थे !

       -  Sultan bharti - [Satirist]

 

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