Saturday, 20 May 2023

"व्यंग्य भारती" दो हजार का नोट

"व्यंग्य" भारती

              दो हज़ार का नोट

         आज सुबह ही सुबह चौधरी ने आकर मुझे टटोला, - ' उरे कू सुण भारती ! तेरी तो लुटिया ही डूब गी , इब के करेगो !'
      मैं हैरान था, मेरी लुटिया डूब गई थी और मुझे बिल्कुल पता नहीं था! मैंने हैरत से बताया, - ' कैसे डूब गई, जब कि मेरे पास तो एक भी लुटिया नहीं थी -! फिर भी मुझे उसके डूबने का अफसोस है -!'
      " घणा पत्रकार बना हांड रहो, अर इतनो भी ख़बर नो है अक दो हज़ार कौ लोट बंद हो गयो, इब के करेगो '!
      " सरकार को धन्यवाद दूंगा ! सच कहूं आंखों को ठंढक पहुंचाने वाली ख़बर सुनाई है तुमने! कंबख्त को मैं फूटी आंख भी नहीं देखना चाहता था ! जब भी किसी को वो गिनते हुए देखता तो मन ही मन सोचता, काश उसकी उंगलियां जकड़ जाएं या जेब में आग लग जाए-'!
      " क्यों" 
   " क्यों कि मेरी जेब में लाल रंग के ये क्रान्तिकारी नोट कभी आये ही नहीं ! मेरी तो समझ में नहीं आता कि ये नोट निकाला ही क्यों जो सबका साथ सबका विकास के अनुकूल न हो ! सामने वाले को गिनते देख हमेशा हीनता आ जाती थी! पचास रुपए से ऊपर का नोट छपना ही नही चाहिए, तभी डिजिटल इंडिया बन पाएगा -'!
   " कूण बना रहो डिजिटल इंडिया -'?
  ' कई लोग इस काम में लगे हैं! तुम्हें तो दूध का दही बनाने से फुर्सत मिले तभी तो डिजिटल इंडिया बनाओगे! तुम तो हर चुनाव में बेवकूफ बनते रहो,बस !'
       " के करूं, मने कदी बनाया कोन्या ! लोग उधार खा खा कर उल्लू बना दें! अच्छा याद दिलाया तने, कद चुका रहो पिछले साड़ की उधारी"?
        " इस साल उधारी की नहीं, प्यार मुहब्बत की बात करो, सुना नहीं, उधार प्यार की कैंची है! हमें तो कैंची का जिक्र भी नहीं करना चाहिए, खैर अब ये तो बता दो कि घर में दो हज़ार वाले कितने पड़े हैं? उन्हें देख कर घबराना मत, मैं हूं न !"
       " अच्छा याद दिलाया, नू बता, वो सीआईडी वाड़ा के मामला हा ?"
      " सीआईडी वाला ! मैं समझा नहीं?"
     " वर्मा नू बता रहो अक - बंद हुए दो हजार वाड़े नोट में सरकार ने सीआईडी फिट किया हा "!
     " अच्छा, तुम्हारा मतलब चिप्स ! हां, सुना तो मैने भी था, पर टटोल कर कभी देखा नहीं "! 
      " पर लगाया किस लिए था ?"
    " सरकार ने चिप्स लगा कर नोट को छोड़ दिया था, कि जहां जहां नोट जाएगा, सरकार को ख़बर लग जाएगी कि उस नोट के इर्द गिर्द कितने काले धन वाले नोट हैं ! चिप्स की आपसी बात चीत रिकॉर्ड होते ही ईडी वाले जाकर जमाखोरों को पकड़ लेने वाले थे "।
    " जमाखोर कूण सै "? 
     " कैसे बताऊं ! ऐसा समझ लो जैसे किसी दूध बेचने वाले के धौरे बगैर हिसाब के नोट आ जाए और वो फिर भी शरीफ़ लोगों से उधारी वसूलने की चिन्ता में दुबला होता रहे ! साठ साल की उम्र में तो  मोह माया से दूर रहना चाहिए "!
    चौधरी ने घूर कर देखा, - ' जो पूछ रहा, वो बता दे ! जिब नोट बढ़िया काम कर रहा था, फेर बंद करने की के ज़रूरत पड़   गी "?
     " वही तो रोना है चौधरी, नोट नाकारा साबित हुआ ! बिलकुल बिलल्ला !!"
        "  कैसे ?"
     " नोट को इसलिए स्पेशल बनाकर छोड़ा गया था कि वो काले धन को ख़त्म करेगा, पर वो खुद काले धन कुबेरों के साथ गलबहियां डाल कर गाने लगा, -' हम बने तुम बने इक दूजे के लिए -'!
    " कती धोखेबाज लिकडा -"!
  "जमाना घणा बुरा सै चौधरी! कितने लाड प्यार और उम्मीद से पाल पोस कर उसे मिशन में लगाया गया था, पर - सब धन धूल समान- ! इसलिए महाबली के आदेश पर नोट की किडनी निकाल ली गईं, और उसे  देश निकाला दे दिया गया - चल उड़ जा रे पंछी कि अब ये देश हुआ बेगाना -- "!
    " काड़े धनवाड़ा ?"
  " उसे पकड़ने के लिए कोई नया नोट और नया तरीका निकाला जायेगा! वैसे देखा जाए तो बड़ी विकट समस्या है, जिसे काले धनकुबेर पर लगाम लगाने के लिए भेजा जाता है, वही अपनी पीठ पर काठी लगा कर उनके सामने हिनहिनाने लगता है "!
    " कितै छुपा बैठो है यू काड़े धन वाड़ा ?"
एक बारगी तो मेरे मन में आया कि 'वर्मा जी' का नाम ले लूं, फिर सोचा कि तीनों का संडे खराब हो जायेगा ! मैंने चौधरी को समझाया, -' सरकार ने नोट बंद कर के सर्जिकल स्ट्राइक तो कर दी है!"
   " के    मतबल !!"
   " काले धनकुबेरों के लिए काला धन ही ऑक्सीजन है, ऑक्सीजन बंद तो सांस बंद! इस वक्त काले धन वालों को दिन रात हिचकी आ रही है, क्योंकि सरकार ने दो हज़ार का नोट बंद करके उनकी ऑक्सीजन सप्लाई रोक दी! वैसे तुम्हारे पास लाल रंग वाला कितना काला धन है '?
   ' कटे घाव पे कटहल मत गिरा ! किस्मत में काड़ा सफेद कैसा भी नोट कोन्या ! देखने कू कती तरस गयो ! किस्मत कती खराब सै, तीस साड़ पहले तू आयो अर तीन साड़ ते कोरोना ! जिब ते कुंडली की सांस उखड़  गी ! लोग नू कहें अक उधार देने ते बरकत उड़ ज्या! आखिरकार तेरी उधारी के चलते दो हज़ार का नोट उड़ गया -! चल इब लौटा दे बरकत नै -!"

  चौधरी को उधारी की हिचकी शुरु हो गई थी , मैने चुप हो जाना ही बेहतर समझा !




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