Friday, 17 February 2023

"गोरखाओं का दर्द फिर हरा किया गया"

 "गोरखाओं का दर्द फिर हरा किया  गया"!

           पिछले दिनों - " गोरखा भारतीय ग्यारह जनजाति महासंघ"  के बैनर तले काफी तादाद में गोरखा लोग दिल्ली के जंतर-मंतर मन्तर पर धरने में नजर आए ! प्रेस के लोगों से  उन लोगों ने अपने दुख दर्द को  साझा किया और  साथ ही जंतर-मंतर पर आने का कारण भी  बताया ! संगठन के कई वक्ताओं के  बयान से पता चला कि ब्रिटिश काल से  भारत की सशस्त्र सेनाओं के साथ दुश्मनों के दांत तोड़ने वाले इन वीर गोरखाओं के आत्मसम्मान को  ठेस पहुंचाने वाला बयान दिया गया है!
      दरअसल पिछले महीने तेरह जनवरी 2023 को  सुप्रीम कोर्ट के  एक  न्यायाधीश ने  बयान दिया कि -'  सिक्किम में रह रहे गोरखा नेपाल से आए हुए हैं-'! बस सिक्किम के  निर्माण मे महत्पूर्ण भूमिका निभाने वाले गोरखा आक्रोशित हो गए! संगठन के महासचिव और बुद्धिजीवी नेता एंड्रयू गुरुंग कहते हैं-' कौन  नहीं जानता कि सिक्किम को भारत का राज्य बनाने मे हम गोरखा ओं ने कितनी  कुर्बानी दी है! और आज हमारी पहचान पर उंगली उठाई जा रही है!"
     संगठन की एक और वक्ता आशा देवी कहती हैँ,- 'हम भारतीय हैँ और हमारे दादा ने खुद आजादी की लड़ाई में अपनी कुर्बानी दी है! बार बार हम से हमारी पहचान क्यों पूछी जाती है ?' एंड्रयू गुरुंग ज़ज के बयान पर एक गंभीर सवाल उठाते हुए कहते हैं,-' इतना बड़ा बयान सरकार के समर्थन के बगैर कोई कैसे दे सकता है ?'
    कौन देगा एंड्रयू गुरुंग के सवाल का जवाब!!

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