Friday, 10 February 2023

( व्यंग्य भारती) " मानदेय"

     (व्यंग्य भारती)

          " मानदेय"

              अब कैसे कहूँ कि कोरोना ने कवियों को कितना शोषित किया और साहित्यकार को कितना क्रोधित! वैसे शोषित होने के बाद इंसान क्रोधित होता ही है, किंतु वो  शोषण करने वाले पर कम और ईश्वर पर 



No comments:

Post a Comment