वेलेंटाइन डे - बनाम रक्षा बंधन
अब क्या बताऊं कि फरवरी आते ही दिल पर क्या गुजरती है! 31 जनवरी की सुबह ही मेरे दिल ने मुझसे पूछ लिया, " चौदह फरवरी को क्या करोगे"?
'अभी तो पंद्रह दिन बाकी हैं, क्यों ?'
" बाद में बताऊंगा, फरवरी में क्या करोगे?'
"अच्छा हुआ याद दिला दिया! सबसे पहले जूता सिलवाना है नए तल्ले डालवाना है! '
दिल ने दांत पीसते हुए बददुआ दी,-' सत्यानास हो, ऊपरवाले ने मुझे किस शख्स की बॉडी में फिट कर के भेज दिया , फरवरी में भी फकीरी कर रहा है!'
" क्यों क्या हुआ ! काहे स्पेनिश सांड की तरह भड़क रहे हो?'
" और क्या करूं! दिल तो कहता है कि सुसाइड कर लूं, पर ऊपर से सजा काटना लिखा है, छुटकारा नहीं ! फरवरी के बारे में तुम्हें कुछ भी याद नहीं?"
' अरे तो मिर्च की तरह सुलगने से अच्छा है कि बता दो न !'
" बता बता के पक गया, दो हजार बीस के बाद से तुम्हारा दिमाग़ क्वारेंटाइन हो गया लगता है.! लेखक होकर कैसे भूल सकते हो कि फरवरी में वेलेंटाइन आता है "!
" हां तो तुम्हे वेलेंटाइन से क्या लेना !"
" वेलेंटाइन का सिर्फ और सिर्फ दिल से लेना देना है, किसी जूते से नहीं ! दिल कभी इतना नहीं गिर सकता !"
" जूते को अंडर इस्टीमेट मत करो ! कई मायनों में जूता दिल से ज्यादा वफादार होता है"!
" वो कैसे "?
" जूता कितना भी घिस जाए, कभी शिकायत नहीं करता, और एक तुम हो कि साठ साल के बाद भी वेलेंटाइन के इन्फेक्शन से मुक्त नहीं हो ! इस उम्र में कैरेक्टर का घुटनों के नीचे आना ठीक नहीं है"!
" दिल और जूते में काफी समानता भी होती है, मसलन, दोनों को लोग बिना ज़बान का समझते हैं।दोनों के लिए ड्यूटी बेलगाम है। आराम तभी है जब जूता फट जाये और दिल फेल हो जाये "।
"कहां से कहां चले गए ! बात वेलेंटाइन की चल रही थी, तुमने दिल पर नींबू निचोड़ दिया है। "
दिल ने चेतावनी दी, -" आखिरी बार समझा रहा हूं कि अभी बैरागी मत बनो ! मैं तमन्नाओं से बंजर बॉडी मे नही धड़क सकता "।
तभी चौधरी आ गया,-" उरे कू सुन भारती ! कल ते चौदह फरवरी तक घर में रहना सै तमै ! पास वाड़े पार्क में वेलेंटाइन के धौरे मत नै जाना "!
" मैं किसी वेलेंटाइन को नहीं जानता!"
" अंदर ते लार टपक रही थारी, बाहर ते स्वामी रामदेव बना बैठो सै "!
" मेरी उम्र साठ साल हो गई है !"
" पर तेरो कैरेक्टर घना गीला सै, ध्यान ते सुन ले! भनक लगी है अक वेलेंटाइन आने वाड़ी सै ! कदी उतै पार्क की झाड़ियन में वेलेंटाइन के गैल तू बरामद होया, ता फिर मैं कछु न कर सकूं "!
" मेरा बसंत जा चुका है और वेलेन्टाइन में मेरा कोई इंट्रेस्ट नहीँ है "!
"अच्छा! तो पिछले साड़ पार्क मे क्यों बरामद हुआ हा, एक कम उमर की वेलेंटाइन के गैल "!
" तौबा तौबा ! किसने कहा "!
" वर्मा जी ने "!
" ओह अब समझा ! दरअसल इस बार वो मुझे बुद्धा गार्डन चलने की सलाह दे रहे थे, मगर मैंने उन्हें समझाया कि चौधरी वेलेंटाइन के सख्त खिलाफ है, पर वर्मा जी ने उल्टे मेरे कैरैक्टर का सत्तू बना दिया "।
नाराज होने की जगह चौधरी पूछ बैठा "भारती, वेलेन्टाइन इतै भारत में क्यूँ हांडने आ ज्या ?"
" ताकि हमारी सभ्यता और संस्कृति कू खराब कर सके "!
"वेलेंटाइन ते किस तरह संस्कृति ख़राब हो ज्या ! मोय समझा दे "।
" इतना तो मुझे नहीं मालूम! मैं तो जानता था कि तुम्हें पता है तभी विरोध करते हो "!
" मुझे बताया गया कि वेलेंटाइन घनी बड़ी बीमारी सै, बर्ड फ्लू अर स्वाइन फ्लू की तरह! !"
"बस इतना समझ ले कि इस बीमारी को प्यार का नाम देकर हमारी नई पीढ़ी को बरगलाया जा रहा है ! ये हमारी युवा पीढ़ी को अपनी परम्परा और तहजीब से भटकाने का सांस्कृतिक षड्यंत्र है "!
" अर नई पीढ़ी नू कह रही अक वेलेन्टाइन के गैल झाड़ी में बैठना अभिव्यक्ति की आजादी सै ! यू आज़ादी कद मिली देश कू ?"
' बहुत सी चीजें हम खुद लेेते हैँ, ये अभिव्यक्ति की आजादी भी उसी मे से है! इस कटेगरी मे अधिकतर पश्चिम से बहकर आया हुआ कचरा ही होता है। इस अभिव्यक्ति की आजादी ने हमें बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू,नंगापन,एडस आदि जाने कितने 'उपहार' दिए हैँ! पहले गाँव के अंदर फरवरी में बसंत आता था, गाँव में मनरेगा आता है और शहर में वेलेंटाइ ! पहले गाँव के बुजुर्ग हुक्का पीते थे, अब नई पीढ़ी हुक्का पार्लर जाकर संस्कार का सुट्टा लगा कर गाती है, - पापा कहते हैं बड़ा काम करेगा-!"
" कान खोल कर सुन ले, इस काड़ोनी मे अभिव्यक्ति की आजादी अर् वेलेंटाइन दोनों कू घुसने न दूँगा '!
चेतावनी देकर चौधरी चला गया !
आज बारह फरवरी है, पार्क की झाड़ियां में धर्मयोद्धा त्रिशूल से टटोल कर जांच रहे हैं कि कहीं संस्कार पर मट्ठा डालने वाले छुप कर बैठे तो नहीं ! 'वेलेन्टाइन जोड़े' के बरामद होते ही शुद्धीकरण शुरू ! प्रेमी को प्रेमिका द्वारा राखी बंधवा कर भाई बहन के पवित्र बंधन में बांध देने की तैयारी है ! इस से वेलेंटाइन का इंडेक्स गिरेगा और हमारी सभ्यता तथा संस्कृति का फाइबर बढ़ेगा ! इस अनुष्ठान से देश एक बार फिर विदेशी षड्यंत्र से सुरक्षित होकर विश्व गुरु होने की दिशा थोड़ा आगे बढ़ जायेगा !
14 फरवरी के सुर्यास्त होते ही ये संस्कृतिक धर्मयुद्ध खत्म हो जाएगा और समस्त धर्मयोद्धा अगले फरवरी आने तक शीत निद्रा मे चले जायेंगे !!
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