(व्यंग्य भारती)
,,,,,, कि मैं कोई झूठ बोल्या !!
मैं कैसे मान लूं कि झूठ में प्रोटीन नही होता !आप कहीं भी खड़े होकर देख लो, झूठ हंसता मुस्कुराता खुशहाल नज़र आएगा, और सच दयनीय होकर अपनी मार्केटिंग करता हुआ, सत्यमेव जयते - को ऑक्सीजन संतोष प्राप्त करेगा !झूठ घातक हो कर भी कितना मधुर नजर आता है ! सिगरेट की दुकान देखिए, दुकान से बड़ा उसके विज्ञापन का बोर्ड होता है, ' ज़िंदगी के शाही मजे लीजिए -'! उसी सिगरेट के पैकेट पर सच का विज्ञापन इतना बारीक होता है कि चश्मा लगाकर भी न पढ़ा जाए - सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है -! सामाजिक जिंदगी में झूठ को शाही मज़ा साबित करने के लिए सच को उपवास पर रखना पड़ता है ! सच जितना, मरियल होता जाएगा , झूठ का विटामिन प्रोटीन और फाइबर बढ़ता जाएगा,यही व्यवस्था का विधान है!
सच का साथ कोई दे तो कैसे दे, सच कड़ुआ होता है, और झूठ कलाकंद! विडंबना देखिए ! सफेद रंग को सादगी, सच्चाई और गरिमा का प्रतीक बता कर उसे झूठ के हवाले कर दिया गया, - " सफेद झूठ"! तब से झूठ सफेदपोश हो गया और सच संदेहास्पद ! सच को शक और संदेह के दायरे में खड़ा कर सच के पैरोकारों को अदालत में कुरान और गीता पकड़ाई गईं, - पवित्र किताब छूकर कहो कि जो कहोगे सच कहोगे- सच के अलावा कुछ नहीं कहोगे -! जज पुलिस और वकील तीनों सच की नाकेबंदी से संतुष्ट हैं ! अब झूठ के हक में फैसला आना तय है और धृतराष्ट्र मीडिया इसे सत्यमेव जयते बताएगा !
सच का साथ - बहुत कठिन है डगर पनघट की ! सच को कृषकाय बना कर व्यवस्था ने झूठ को कलेजे से लगा लिया !अब सच सिर्फ नेता,नारा और नोटिस बोर्ड तक सीमित है और झूठ ईश्वर की तरह सर्वत्र विराजमान सर्व शक्तिमान हो चुका है ! धर्माधिकारी ने सफेद चादर ओढ़ कर झूठ को धंधे में उतार लिया है ! बाबा कोरोना शाह बंगाली अपने ग्राहक को झूठ के तिलिस्म मेंजकड़रहे हैं - ' घर में जिन्न, खबीस और ब्रम्हराक्षस इंट्री ले चुके हैं! छोटी बहु को किसी दिन यहां लेकर आओ,उससे कुश्ती लड़नी होगी -'!
' बहु से ? '
' बहू पर आशिक हो चुके जिन्न से '!
सच का लंबा तिलक लगा कर सड़क के किनारे बैठा ज्योतिषी अपनी छोड़ दूसरों की कुंडली से शनि दूर करता है ! उसने कठिन परिश्रम कर के अपने पालतू तोते को भी झूठ बोलना सिखा दिया है ! ग्राहक देखते ही तोता चिल्लाता है,- 'कच्ची घानी! कच्ची घानी -'!
कस्टमर घबराकर पूछता है, -' महाराज ! इसने मुझे देखते ही कच्ची घानी क्यों कहा? मुझे सरसों समझ रहा है क्या !!'
" तोते ने तुम्हारा मस्तक देखते ही तुम्हारी ग्रहदशा पढ़ लिया है! हालात के कोल्हू ने तुम्हें सरसों समझ लिया था !पता नहीं अब तुम्हारे अंदर कुछ तेल बचा है या नहीं -! खैर तुम बिल्कुल ठीक जगह आए हो ! तीन बज गए अभी तक बोहनी नहीं हुई ! काहे का हैप्पी न्यू ईयर '!
मां बाप अपने बच्चे को बचपन में ही कान में ठूंस देते हैं, - सदा सच बोलो -! स्कूल में "मास्साब"
छड़ी से सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए चेतावनी देते थे, - झूठ बोले तो खाल उधेड़ दूंगा -! आगे कुआं पीछे खाई ! डिग्री लेकर नौकरी ढूंढने निकले तब पता चला कि झूंठ के बारे में कितना मिसगाइड किया गया था ! संस्थान का चपरासी तक झूठे कागज़ात के भरोसे भर्ती था ! तब मेरे समझ में आया कि कॉरपोरेट ऑफिस से एक्जीक्यूटिव इंजीनियर के ऑफिस तक दरवाज़े पर ये क्यूं लिखा होता है, - बिना "इजाज़त" अंदर आना मना है- ! ( 'इजाज़त' का असली मतलब टेंडर पाने वाला ठेकेदार बहुत अच्छी तरह जानता है। ) हम जैसे अनाड़ी गांव से शहर आते वक्त आत्मनिर्भर होने की जल्दी में डिग्री लेकर आ गए, लिफाफे में "इजाजत" लाए ही नहीं !
धंधे में सच कितना घातक होता है, ये बिखारी और दूध बेचने वाले अच्छी तरह जानते हैं! वो कभी सच के नजदीक नहीं जाते! एक कामयाब भिखारी के पास पेशेंस के अलावा कुछ भी सच नहीं होता ! उसकी दर्द में रची बसी आवाज़, वेशभूषा,बदन पर पट्टी, घायल जानवर जैसी कराह और कृत्रिम आपदा आहत आत्मा,,,,! ज्यादातर भिखारी का प्रोफेशन झूठ के मजबूत कवच मे सुरक्षित और कामयाब है ! एक बार तो मेरा सामना ऐसे मास्टरपीस भिखारी से हुआ कि उनकी दर्द भरी आवाज सुनकर मैंने अपना स्वेटर उतार कर उसे दे दिया ! वो तो भला हो उसके प्रतिद्वंदी भिखारी का, जिसने मुझे तुरंत बताया ,-' शाम तक वो स्वेटर बेच देगा ! उसके पास इतना पैसा है कि तुम्हारे जैसे दस पत्रकार को दिहाड़ी पर रख ले! आपको सही गलत की पहचान नहीं है "!
ज्यादातर प्राइवेट डॉक्टर का धंधा झूठ पर टिका है ! प्रिस्क्रिप्शन लिखने की टेबल पर वो 'सत्यमेव जयते ' की तख्ती लगा कर झूठ का धंधा
करते हैं! ऐसा करने से अपराध बोध नहीं होता और कॉन्फिडेंस मजबूत रहता है। सरकारी डॉक्टर बेचारा सैलरी को ही , - तुम्हीं हो माता पिता तुम्ही हो-. समझता है , इसलिए वो गरीब मरीजों को नाशवान और युवा नर्सों को पकवान समझने लगता है ! दोनों सुविधाओं से महरूम हॉस्पिटल की "अव्यवस्था" से क्रोधित डॉक्टर कभी कभी मरीज के पेट में कैंची और तौलिया छोड़ देता है !
हरि अनंत हरि कथा अनंता,,,,! थानों के दरवाजों पर लिखा होता है,शांति, सुरक्षा और न्याय! लोग बड़े टूटे मन से पढ़ कर आगे बढ़ जाते है ! उन्हें तीनो शब्दों में छुपे झूठ पर यकीन है! पांचू सेठ ने बरसों धनिया और हल्दी में अपने पालतू घोड़े की लीद मिला कर बेचा था! सावधानी इतनी कि घोड़े को बरसों बाद भनक लगी ! एक दिन वो इस दिव्य मसाले के बारे में एक कस्टमर को समझा रहे थे कि घोड़े ने विरोध में हिनहिनाना शुरू कर दिया! ग्राहक बोला,- ' घोड़ा नाराज़ लगता है-'
पांचू सेठ मुस्कराए, -' इस धनिया मसाला से मेरे घोड़े का जाने क्या रिश्ता है कि जब भी कोई ग्राहक इस दिव्य धनिया के गुण और धर्म पर शक करता है, घोड़ा नाराज़ हो जाता है--' !
ग्राहक ने फौरन धनिया मसाला खरीद लिया !!
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