Saturday, 28 January 2023

(व्यंग्य भारती) "गुड मैन बनाम बैड मैन"

(व्यंग्य भारती)

     'शरीफ आदमी'- 'बदमाश आदमी'  
             (गुडमैन बनाम बैडमैन)

           आज सुबह पड़ोस के वर्मा जी के घर से  केएल सहगल की आवाज आ रही थी, -  जब दिल ही टूट गया,,, तो जी के क्या करेंगे- ! मैंने यह सोचकर चैन की साँस ली, कि  वर्मा जी ख़ुदकुशी करने वाले हैं  !  फिर भी कन्फर्म करने के लिए मैंने उनसे पूछ लिया,-  ' लगता है मतदान ने आपको ख़ुदकुशी की प्रेरणा दी है '! वो गुस्से में बोले, - 'अब लोगों में नैतिकता नहीं रही ! मोहल्ले भर के वोट दिलाने के बदले में प्रत्याशी ने एक 'एसी' देने का वादा किया था ! वोट ले लिया , अब नेता फ़ोन ही नहीं उठा  रहा,- बैडमैन कहीं का- !' 
    मैं सोचने लगा कि दुनियां में बैड मैन ज़्यादा हैं या गुडमैन ? जवाब सब जानते हैं ! कलियुग में पापियों ने नैतिकता की शॉल लपेट रखी है ! हर गुनहगार बेगुनाह को उपदेश देने में लगा है, - 'पाप का रास्ता नर्क का गेट पास है -'! झूठा आदमी सत्यवादिता  की कोचिंग खोले बैठा है, - ' सत्यमेव जयते ! सतयुग लौट आया है  -'!  बलात्कार की सजा काट रहा बाबा जमानत पा कर दुबारा आश्रम में अंध भक्तो को समझा रहा है, - ' मोह माया हमें पथभ्रष्ट करते हैं ! इन्हें घर में नही रखना चाहिए ! अत : अपने घर की 'माया' को यहां सत्संग में लाया करो - '! जेबकतरा  पुलिस  को  बता  रहा है,  - ' बस में बहुत भीड़ थी, मुझे अपनी जेब कट जाने की फिक्र लगी थी , मैने अपनी समझ कर जब हाथ डाला तो पता चला कि वो किसी और की जेब थी -! सरासर भीड़ की गलती थी, मेरी नहीं -'! शहर में दंगा कराने वाला नेता डिबेट में  प्रवचन दे रहा है ,- ' हमारी सोच- विश्ववत कुटुम्बकम -वाली होनी चाहिए ! विपक्ष की तुष्टिकरण नीति के कारण शहर में कानून व्यवस्था की हालत बहुत खराब है- !'
    विडंबना देखिये ,  बैडमैन पर लगाम लगाने के लिए कानून बनाए गए, लेकिन चंगुल में फंसता अक्सर गुडमैन है ! जुडीसरी  कहती  है  कि - सौ गुनहगार बेशक छूट जाएं, पर किसी गुनहगार को सजा न मिले !  (जुडिसरी ऐसा क्यों कहती है, मुझे नहीं मालूम !)  इसी सोच के चलते अक्सर गुनहगारों को जेल में ऑक्सीजन मिल जाती है,और बेगुनाह शख्स दस  साल बाद 'बाइज्जत' बरी होता है ! ( उसके  'बा इज्जत'  बरी होने के पहले घर के खेत और गहने बेइज्जत लोग हड़प चुके होते हैं !) गुडमैन के लिए जेल नर्क है और बैडमैन के लिए स्वर्ग ! ऐसा स्वर्ग जहां वो अपराध में डिप्लोमा लेता है !जेल में बैठा बैडमैन शासक होता है और गुडमैन उसका सेवक ! कुछ बड़े बैडमैन  जेल से ही अपनी सल्तनत और व्यापार चलाते हैं ! इसलिए महापुरुषों ने कहा है कि किसी भी बैडमैन ( पापी) को कभी बैडमैन नहीं कहना चाहिए ,  क्या पता  अदालत  कब उसे 'गुडमैन'  मान  कर  बरी कर दे!  ( यक़ीन नहीं तो सतयुग का केटलाग देख लो  ! तभी तो  गांधी जी ने  साफ साफ कहा  है  कि -  '' पाप से नफरत करो- पापी से  नहीं' - ! क्या पता पापी कब  'संत अंगुलिमाल' बन जाये -!  संतों की इस वाणी का मर्म  सिर्फ भारतीय पुलिस ही समझ पायी  है !
     जब  कभी  दुर्भाग्य से  कोई 'गुडमैन' पुलिस थाने के  चक्कर में फंसता है, तब उसे मुहल्ले का बैडमैन ही  याद आता है ! क्योंकि पूरे मुहल्ले में वहीं एक है जो पूरे आत्मविश्वास के साथ थाने में घुस सकता है ! गुडमैन तो ख्वाब में भी थाने का फोटो  देख  ले  तो  पसीना पसीना हो जाता है !  पुलिस जानती है कि 'बैडमैन' ही  गुडमैन से पेमेंट  करवा सकता हैं ! वर्ना गुडमैंन तो  पेमेंट की जगह पुलिस को अपना दुखड़ा सुनाने लगेगा,- 'दो महीने से पेंशन भी नही आयी, बस से जाने के पैसे भी जेब में नहीं बचे- ! मुझे मुफ्त में जाने दो, घर में राशन के नाम पर सिर्फ सत्तू रखा है ! तुम को रक्खे राम तुमको अल्लाह रक्खे-'!
       युवा महिलाओं को जिन्न प्रेत से मुक्ति दिलाने वाले बाबा 'कोरोनाशाह' बंगाली युवा महिलाओ के पीठ पर देर तक हाथ फ़ेर कर जिन्न और प्रेत से मुक्ति  दिलाते हैं ! (कुछ बंगाली बाबा तो महिलाओं के कूल्हे पर हाथ मार कर ही  प्रेत भगा देते  हैं !) कमाल तो ये है पीड़ित महिला को भी नहीं पता चलता  जिन्न या प्रेत ने कहां  ठिकाना बनाया है !  बाबा कोरोना शाह  पड़ोस की तहसील में भी एक प्रेतमुक्ति फ्रेंचाइजी खोलना चाहते हैं , जिससे वहाँ की  'अतृप्त' आत्माओं को परम शांति मिल सके! शांति देने का  सलीका गुडमैन को आता भी  कहाँ  है  !
      'गुडमैन' अनैतिकता और नाजायज कमाई के खिलाफ है, इसलिए मोहल्ले में अकेला है ! बैडमैन के साथ समाज खडा है !उसकी अप्रोच ऊपर तक है ! गाँव की पंचायत में उसकी उपस्थिति से  फैसले होते हैं !  गाँव की शादी मे  मैंने देखा है कि लगभग हर गुडमैन अपने घर में होने वाली शादी में बैडमैन की उपस्थिति ज़रूरी समझता है ! बैडमैन  की आवभगत मे गुडमैन खुद भी मौजूद होता है ! गुडमैन मुस्करा कर बैड मैन का आभार व्यक्त करता है,- ' आपके आने से शादी की शोभा चार गुना बढ़ गई ! अगले चुनाव में मेरे परिवार का वोट आपको ही जाएगा-"!
     
      समय चक्र चल रहा है- गुडमैन कमा रहा है, बैडमैन खा रहा है! गुड मैन बच्चे की फीस भरने के लिए सूदखोर से पैसा माँग रहा है, बैडमैन का बेटा विदेश मे  पढ़ रहा है ! गुडमैन फावड़ा चलाता है, बैडमैन पेमेंट करता है! गुडमैन वोट देता है,बैडमैन आश्वासन देता है ! गुडमैन मेहनत करता है, बैड मैन बड़ा आदमी बनता है! गुडमैन के लिए सच बोलना धर्म  है, बैड मैन पर ऐसी कोई बाध्यता नहीं है ! चरित्र की साफ-सफाई के लिए गुडमैन अक्सर 'बाबा बैडमैन' के आश्रम जाता रहता है ! (क्योंकि गुडमैन अपने 'अज्ञात' पापों से बहुत भयभीत रहता है ! ) वो डरा हुआ है कि कहीं अज्ञात पाप उसे स्वर्ग से वंचित न कर दें !

     गुडमैन ने दुनियाँ में डरने के लिए ही जन्म लिया है और बैडमैन ने डराने के लिए ! गुड मैन वोट देकर  4 जून के इन्तेज़ार में सूख रहा है, और बैड मैन आने वाली सरकार में मिलने वाले सरकारी ठेकों की जुगाड़ कुंडली बना रहा है ! गुडमैन 5 किलो अनाज, सुचरित्र, सुशासन, सतयुग और  स्वर्ग को लेकर चिंतित है  और बैडमैन सपरिवार स्विटजरलैंड में छुट्टियों बिता  रहा  है  !

             भाग्य चक्र देखिये -  गुडमैन घर का गेहूं बेंच कर तीर्थ यात्रा पर जा रहा है, और बैडमैन बैंक लूट कर विदेश यात्रा पर !!

   

Tuesday, 24 January 2023

(व्यंग्य भारती) वेलेंटाइन डे हंगामा है क्यूं बरपा !

                (व्यंग्य भारती)

       वेलेंटाइन डे - बनाम रक्षा बंधन 

          अब क्या बताऊं कि फरवरी आते ही दिल पर क्या गुजरती है!  31 जनवरी की सुबह ही मेरे दिल ने मुझसे पूछ लिया, " चौदह फरवरी को क्या करोगे"?
          'अभी तो पंद्रह दिन बाकी हैं, क्यों ?'
    " बाद में बताऊंगा, फरवरी में क्या करोगे?'
  "अच्छा हुआ याद दिला दिया! सबसे पहले जूता सिलवाना है नए तल्ले डालवाना है! '
दिल ने दांत पीसते हुए बददुआ दी,-' सत्यानास हो, ऊपरवाले ने मुझे किस शख्स की बॉडी में फिट कर के भेज दिया , फरवरी में भी फकीरी कर रहा है!'
       " क्यों क्या हुआ ! काहे स्पेनिश सांड की तरह भड़क रहे हो?'
" और क्या करूं! दिल तो कहता है कि सुसाइड कर लूं, पर ऊपर से सजा काटना लिखा है, छुटकारा नहीं ! फरवरी के बारे में तुम्हें कुछ भी याद नहीं?"
     ' अरे तो मिर्च की तरह सुलगने से अच्छा है कि बता दो न !'
   " बता बता के पक गया, दो हजार बीस के बाद से तुम्हारा दिमाग़ क्वारेंटाइन हो गया लगता है.! लेखक होकर कैसे भूल सकते हो कि फरवरी में वेलेंटाइन आता है "!
      " हां तो तुम्हे वेलेंटाइन से क्या लेना !"
  " वेलेंटाइन का सिर्फ और सिर्फ दिल से लेना देना है, किसी जूते से नहीं ! दिल कभी इतना नहीं गिर सकता !" 
      " जूते को अंडर इस्टीमेट मत करो ! कई मायनों में जूता दिल से ज्यादा वफादार होता है"!
    " वो कैसे "?
" जूता कितना भी घिस जाए, कभी शिकायत नहीं करता, और एक तुम हो कि साठ साल के बाद भी वेलेंटाइन के इन्फेक्शन से मुक्त नहीं हो ! इस उम्र में कैरेक्टर का घुटनों के नीचे आना ठीक नहीं है"!
    " दिल और जूते में काफी समानता भी होती है, मसलन, दोनों को लोग बिना ज़बान का समझते हैं।दोनों के लिए ड्यूटी बेलगाम है। आराम तभी है जब जूता फट जाये और दिल फेल हो  जाये "। 
       "कहां से कहां चले गए ! बात वेलेंटाइन की चल रही थी, तुमने दिल पर नींबू निचोड़ दिया है। "
 दिल ने चेतावनी दी, -" आखिरी बार समझा रहा हूं कि अभी बैरागी मत बनो ! मैं तमन्नाओं से बंजर बॉडी मे नही  धड़क सकता "।
    तभी चौधरी आ गया,-" उरे कू सुन भारती ! कल ते चौदह फरवरी तक घर में रहना सै तमै ! पास वाड़े पार्क में  वेलेंटाइन के धौरे मत नै जाना "!
        " मैं किसी वेलेंटाइन को नहीं  जानता!"
   " अंदर ते लार टपक रही थारी, बाहर ते स्वामी रामदेव बना बैठो सै "!
      " मेरी उम्र साठ साल हो गई है !" 
" पर  तेरो कैरेक्टर घना गीला सै, ध्यान ते सुन ले! भनक लगी है अक वेलेंटाइन आने वाड़ी सै ! कदी उतै पार्क की झाड़ियन में वेलेंटाइन के गैल तू बरामद होया, ता फिर मैं कछु न  कर सकूं "!
     " मेरा बसंत जा चुका है और वेलेन्टाइन में मेरा कोई इंट्रेस्ट नहीँ है "!
    "अच्छा! तो  पिछले साड़ पार्क मे क्यों बरामद हुआ हा, एक कम उमर की वेलेंटाइन के गैल "!
    " तौबा तौबा ! किसने कहा "!
" वर्मा जी ने "!
     " ओह अब समझा ! दरअसल इस  बार  वो  मुझे बुद्धा गार्डन चलने की  सलाह दे रहे थे, मगर मैंने  उन्हें समझाया कि चौधरी वेलेंटाइन के सख्त खिलाफ है, पर  वर्मा जी ने उल्टे मेरे कैरैक्टर का सत्तू बना दिया "।
    नाराज होने की जगह चौधरी पूछ बैठा "भारती, वेलेन्टाइन इतै भारत में  क्यूँ  हांडने आ  ज्या ?"
     " ताकि हमारी सभ्यता और संस्कृति कू खराब  कर सके "!
      "वेलेंटाइन ते किस तरह संस्कृति ख़राब हो ज्या ! मोय समझा दे "।
    " इतना तो मुझे नहीं मालूम! मैं तो जानता था कि तुम्हें पता है तभी विरोध करते हो "!
 " मुझे बताया गया कि वेलेंटाइन घनी बड़ी बीमारी सै, बर्ड फ्लू  अर  स्वाइन फ्लू की  तरह! !"
     "बस  इतना समझ ले  कि इस   बीमारी को प्यार का नाम देकर हमारी  नई पीढ़ी को  बरगलाया जा रहा है ! ये हमारी युवा पीढ़ी को अपनी परम्परा और तहजीब से भटकाने  का सांस्कृतिक षड्यंत्र है "!
      " अर  नई पीढ़ी नू कह रही  अक  वेलेन्टाइन के गैल  झाड़ी में बैठना  अभिव्यक्ति  की आजादी सै ! यू आज़ादी कद मिली देश कू ?"
      ' बहुत सी चीजें हम खुद लेेते हैँ, ये अभिव्यक्ति की आजादी भी  उसी मे से है! इस  कटेगरी मे अधिकतर पश्चिम से बहकर आया हुआ कचरा ही होता है।  इस अभिव्यक्ति की आजादी ने हमें  बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू,नंगापन,एडस आदि जाने कितने 'उपहार' दिए हैँ! पहले गाँव के अंदर फरवरी में बसंत आता था, गाँव में मनरेगा आता है और शहर में   वेलेंटाइ ! पहले गाँव के बुजुर्ग हुक्का पीते थे, अब नई पीढ़ी हुक्का पार्लर  जाकर संस्कार का सुट्टा लगा कर गाती है, - पापा कहते हैं बड़ा काम करेगा-!"
     " कान खोल कर सुन ले, इस  काड़ोनी मे अभिव्यक्ति की आजादी अर् वेलेंटाइन दोनों कू     घुसने न दूँगा '!
          चेतावनी देकर चौधरी चला गया ! 
      आज बारह फरवरी है, पार्क की झाड़ियां में  धर्मयोद्धा त्रिशूल से टटोल कर जांच  रहे हैं  कि कहीं संस्कार पर  मट्ठा डालने वाले छुप कर बैठे तो नहीं ! 'वेलेन्टाइन जोड़े' के बरामद होते ही शुद्धीकरण शुरू ! प्रेमी को  प्रेमिका द्वारा राखी बंधवा कर भाई बहन के  पवित्र बंधन में बांध देने की तैयारी है ! इस से वेलेंटाइन का  इंडेक्स गिरेगा और हमारी सभ्यता तथा संस्कृति का  फाइबर बढ़ेगा  ! इस अनुष्ठान से देश एक बार फिर विदेशी षड्यंत्र से सुरक्षित होकर विश्व गुरु होने की दिशा थोड़ा आगे बढ़ जायेगा !

                    14 फरवरी के सुर्यास्त होते ही ये संस्कृतिक धर्मयुद्ध खत्म हो जाएगा और समस्त धर्मयोद्धा अगले फरवरी आने तक शीत निद्रा मे चले जायेंगे !!





Sunday, 1 January 2023

(व्यंग्य भारती) ,,,, कि मैं कोई झूठ बोल्या !

(व्यंग्य भारती)

,,,,,, कि मैं कोई झूठ बोल्या !!

       मैं कैसे मान लूं कि झूठ में प्रोटीन नही होता !आप कहीं भी खड़े होकर देख लो, झूठ हंसता मुस्कुराता खुशहाल नज़र आएगा, और सच दयनीय होकर अपनी मार्केटिंग करता हुआ, सत्यमेव जयते - को  ऑक्सीजन संतोष प्राप्त करेगा !झूठ घातक हो कर भी कितना मधुर नजर आता है ! सिगरेट की दुकान देखिए, दुकान से बड़ा उसके विज्ञापन  का  बोर्ड होता है, ' ज़िंदगी के शाही मजे लीजिए -'! उसी सिगरेट के पैकेट पर सच का विज्ञापन इतना बारीक होता है कि चश्मा लगाकर भी न पढ़ा जाए - सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है -! सामाजिक जिंदगी में झूठ को शाही मज़ा साबित करने के लिए सच को उपवास पर रखना पड़ता है ! सच जितना, मरियल होता जाएगा , झूठ का विटामिन प्रोटीन और फाइबर बढ़ता जाएगा,यही व्यवस्था का विधान है!
             सच का साथ कोई दे तो कैसे दे, सच कड़ुआ होता है, और झूठ कलाकंद! विडंबना देखिए ! सफेद रंग को सादगी, सच्चाई और गरिमा का प्रतीक बता कर उसे झूठ के हवाले कर दिया गया, - " सफेद झूठ"! तब से झूठ सफेदपोश हो गया और सच संदेहास्पद ! सच को शक और संदेह के दायरे में खड़ा कर सच के पैरोकारों को अदालत में कुरान और गीता पकड़ाई गईं, - पवित्र किताब छूकर कहो कि जो कहोगे सच कहोगे- सच के अलावा कुछ नहीं कहोगे -! जज पुलिस और वकील तीनों सच की नाकेबंदी से संतुष्ट हैं ! अब झूठ के हक में फैसला आना तय है और धृतराष्ट्र मीडिया इसे सत्यमेव जयते बताएगा !
         सच का साथ - बहुत कठिन है डगर पनघट की ! सच को कृषकाय बना कर व्यवस्था ने झूठ को कलेजे से लगा लिया !अब सच सिर्फ नेता,नारा और नोटिस बोर्ड तक सीमित है और झूठ ईश्वर की तरह सर्वत्र विराजमान सर्व शक्तिमान हो चुका है ! धर्माधिकारी ने सफेद चादर ओढ़ कर झूठ को धंधे में उतार लिया है ! बाबा कोरोना शाह बंगाली अपने ग्राहक को झूठ के तिलिस्म मेंजकड़रहे हैं - ' घर में जिन्न, खबीस और ब्रम्हराक्षस इंट्री ले चुके हैं! छोटी बहु को किसी दिन यहां लेकर आओ,उससे कुश्ती लड़नी होगी -'!
      ' बहु से ? '
' बहू पर आशिक हो चुके जिन्न से '! 
    सच का लंबा तिलक लगा कर सड़क के किनारे बैठा ज्योतिषी अपनी छोड़ दूसरों की कुंडली से शनि दूर करता है ! उसने कठिन परिश्रम कर के अपने पालतू तोते को भी झूठ बोलना सिखा दिया है ! ग्राहक देखते ही तोता चिल्लाता है,- 'कच्ची घानी! कच्ची घानी -'!
कस्टमर घबराकर पूछता है, -' महाराज ! इसने मुझे देखते ही कच्ची घानी क्यों कहा? मुझे सरसों समझ रहा है क्या !!'
      " तोते ने तुम्हारा मस्तक देखते ही तुम्हारी ग्रहदशा पढ़ लिया है! हालात के कोल्हू ने तुम्हें सरसों समझ लिया था !पता नहीं अब तुम्हारे अंदर कुछ तेल बचा है या नहीं -! खैर तुम बिल्कुल ठीक जगह आए हो ! तीन बज गए अभी तक बोहनी नहीं हुई ! काहे का हैप्पी न्यू ईयर '!
      मां बाप अपने बच्चे को बचपन में ही कान में ठूंस देते हैं, - सदा सच बोलो -! स्कूल में "मास्साब"
छड़ी से सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए चेतावनी देते थे, - झूठ बोले तो खाल उधेड़ दूंगा -! आगे कुआं पीछे खाई ! डिग्री लेकर नौकरी ढूंढने निकले तब पता चला कि झूंठ के बारे में कितना मिसगाइड किया गया था ! संस्थान का चपरासी तक झूठे कागज़ात के भरोसे भर्ती था ! तब मेरे समझ में आया कि कॉरपोरेट ऑफिस से  एक्जीक्यूटिव इंजीनियर के ऑफिस तक दरवाज़े पर ये क्यूं लिखा होता है, - बिना "इजाज़त" अंदर आना मना है- ! ( 'इजाज़त' का असली मतलब टेंडर पाने वाला ठेकेदार बहुत अच्छी तरह जानता है। ) हम जैसे अनाड़ी गांव से शहर आते वक्त आत्मनिर्भर होने की जल्दी में डिग्री लेकर आ गए, लिफाफे में "इजाजत" लाए ही नहीं !
    धंधे में सच कितना घातक होता है, ये बिखारी और दूध बेचने वाले अच्छी तरह जानते हैं! वो कभी सच के नजदीक नहीं जाते!  एक कामयाब भिखारी के पास पेशेंस के अलावा कुछ भी सच नहीं होता ! उसकी दर्द में रची बसी आवाज़, वेशभूषा,बदन पर पट्टी, घायल जानवर जैसी कराह और कृत्रिम आपदा आहत आत्मा,,,,! ज्यादातर भिखारी का प्रोफेशन  झूठ के मजबूत कवच मे सुरक्षित और कामयाब है ! एक बार तो मेरा सामना ऐसे मास्टरपीस भिखारी से हुआ कि उनकी दर्द भरी आवाज सुनकर मैंने अपना स्वेटर उतार कर उसे दे दिया ! वो तो भला हो उसके प्रतिद्वंदी भिखारी का, जिसने मुझे तुरंत बताया ,-' शाम तक वो स्वेटर बेच देगा ! उसके पास इतना पैसा है कि तुम्हारे जैसे दस पत्रकार को दिहाड़ी पर रख ले! आपको सही गलत की पहचान नहीं है "!
      ज्यादातर प्राइवेट डॉक्टर का धंधा झूठ पर टिका है ! प्रिस्क्रिप्शन लिखने की टेबल पर वो 'सत्यमेव जयते ' की तख्ती लगा कर झूठ का धंधा
करते हैं! ऐसा करने से अपराध बोध नहीं होता और कॉन्फिडेंस मजबूत रहता है। सरकारी डॉक्टर बेचारा सैलरी को ही , - तुम्हीं हो माता पिता तुम्ही हो-. समझता है , इसलिए वो गरीब मरीजों को नाशवान और युवा नर्सों को पकवान समझने लगता है ! दोनों  सुविधाओं   से  महरूम  हॉस्पिटल  की   "अव्यवस्था" से क्रोधित डॉक्टर कभी कभी मरीज के पेट में कैंची और तौलिया छोड़ देता है ! 
          हरि अनंत हरि कथा अनंता,,,,! थानों के दरवाजों पर लिखा होता है,शांति, सुरक्षा और न्याय! लोग बड़े टूटे मन से पढ़ कर आगे बढ़ जाते है ! उन्हें तीनो शब्दों में छुपे झूठ पर यकीन है! पांचू सेठ ने बरसों धनिया और हल्दी में अपने पालतू घोड़े की लीद मिला कर बेचा था! सावधानी इतनी कि घोड़े को बरसों बाद भनक लगी ! एक दिन वो इस दिव्य मसाले के बारे में एक कस्टमर को समझा रहे थे कि घोड़े ने विरोध में हिनहिनाना शुरू कर दिया! ग्राहक बोला,- ' घोड़ा नाराज़ लगता है-'
     पांचू सेठ मुस्कराए, -'  इस धनिया मसाला से मेरे घोड़े का जाने क्या रिश्ता है कि जब भी कोई ग्राहक इस दिव्य धनिया के गुण और धर्म पर  शक करता है, घोड़ा नाराज़ हो जाता है--' ! 

   ग्राहक ने फौरन धनिया मसाला खरीद लिया !!