Wednesday, 20 July 2022

"अग्नि दृष्टि"

"अग्नि दृष्टि "

                  लावारिस दर्द 

     मैने बहुत सोच समझ कर इस दर्दनाक और रोंगटे खड़े कर देने वाली अपराध कथा को शूट करने के बावकूद प्रसारित करने का फैसला टाल दिया है! ये फैसला मैंने अभी अभी लिया है, जब कि इस दर्द, संताप और मानसिक पीड़ा से भरी कहानी के कई पात्रों से मिलकर मैं न्यूज विडियो अपलोड करने ही जा रहा था ! अजीब कशमकश की हालात से अब उबर चुका हूं ! किसी की मासूम और मायूस खामोशी ने मेरा फैसला बदल दिया ! दर्द कई तरीकों से अपनी कहानी सुनाता है! (कभी कभी इसकी ख़ामोशी सैंकड़ों आवाज़ों पर भारी पड़ती है!) 
                कल की न्यूज को आज़ एक छोटी कहानी में पिरो कर पेश कर रहा हूं ! कहानी में सर से पैर तक सच्चाई का अक्स है, बस कई मासूम इंसानों की इज्जत और अज़मत बेपर्दा न हो, इसलीए उनके नाम बदल दिए हैं ! आज 20 जुलाई है, और इस वक्त शाम के साढ़े सात बजे हैं! आसमान दुबारा बादलों से ढकता जा रहा है, लगता है कि फिर बारिश होगी !  बारिश दोबारा शुरू हो गई है और कार की हैडलाइट में आसमान से चमकती हुई पानी की बूंदें मुझे पिछले चौबीस घंटे के घटनाक्रम को जैसे अब सिलसिलेवार जोड़ रही हैं। मैं तफ्सील से बताता हूं!
         इसी महीने 06.07.2022 को, इटावा शहर से चालीस  किलोमीटर   उत्तर   में   आबाद   गांव  सोढ़ी ( परिवर्तित नाम) के राजेंदर शाक्य (बदला हुआ नाम) की तेरह वर्षीय अवयस्क बेटी दीप्ति (बदला गया नाम) गांव के स्कूल के लिए घर से निकली तो शाम तक लौटी ही नही ! तरह तरह की शंका आशंका और मानसिक पीड़ा से गुजर रहे दीप्ति के पिता के पास उसी दिन शाम को एक अज्ञात आदमी का फ़ोन आया ! कोई दूसरी तरफ से कह रहा था,-' लडकी को ढूढने की जरूरत नहीं है,  लडकी ने अपनी मर्जी से शादी कर ली है! अगर तुमने पुलिस थाना करने की जलती की तो  उसका अंजाम बहुत बुरा होगा"!
     परिवार पर जैसे पहाड़ गिरा!  बारह साल आठ महीने की लड़की ने किससे शादी कर ली !! राजेंद्र सिंह थाना गए रिपोर्ट दर्ज कराने! वहां एक पोलिस वाले ने उनसे प्रार्थना पत्र लेते हुए जबान से बेहद ज़हरीला तीर छोड़ा, -' क्यों गंदगी को घर लाना चाहते हो !' घटना के तेरह दिन बाद कल इटावा के पोलिस अधीक्षक (SP) के ऑफिस से निकलते हुए राजेंद्र सिंह की आवाज़ में  उस दिन का दर्द बिल्कुल ताज़ा था, ' जो उन्हें गंदगी नज़र आ रही है, वो मेरी बेटी है  -! वो भला बुरा समझने की उम्र से बहुत पीछे है बाबू '! आगे उनकी आवाज रूंध गई थी ! किसी लड़के के साथ लड़की का भागना गांव में मां बाप के लिए जीते  जी  मर जाने जैसा था ! सब्जी बेच कर गुजारा करने वाले किसान राजेंद्र सिंह दारुण मानसिक यंत्रणा से गुजर रहे थे! 
        उधर,,,,,,    दो दिन बाद आठ जुलाई को भरथना थाने में पुलिस ने प्रथमिकी दर्ज की और ग्यारह जुलाई को अचानक लड़की घर आ गई ! पुलिस ने मेडिकल कराया, रिपोर्ट में अवयस्क लड़की के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हो गई !लड़की ने जब बयान दिया तो पता चला कि - उस घर को आग लग गई घर के चिराग से -! गांव में राजेंद्र के एक रिश्तेदार "सुनीता" ( बदला नाम) के घर में एक युवक अभिनव ( बदला नाम) का आना जाना था, जिसका सुनीता की लड़की नीतू  (बदला नाम) से प्रेम प्रसंग था ! परिवार होने के नाते दीप्ति का भी इस घर में आना जाना था! इसी का फायदा उठाकर अभिनव ने सुनीता और नीतू से अपने दोस्त सुमित (बदला हुआ नाम) का जिक्र किया और फिर सुनीता के घर में दीप्ति से मुलाकात का सिलसिला चलने लगा!
            दीप्ति के बयान के मुताबिक - छे जुलाई को एक कार लेकर अभिनव और सुमित गांव के बाहर ही दीप्ति का इंतजार कर रहे थे! स्कूल के लिए घर से निकली दीप्ति सीधे राजस्थान पहुंचा दी  गई ! वहां वो पांच दिन सुमित के परिवार के साथ रही! इस बीच दीप्ति के परिवार की भागदौड़ और पुलिस की एक्टिविटी की सारी सूचना सुनीता और उसकी लडकी फोन से सुमित को बताते रहे! उसी के निर्देश पर घटना से पांच दिन बाद सुमित लड़की को सोढ़ी गांव के पास छोड़ कर लौट गया था! शाक्य राजपूत परिवार के राजेन्द्र सिंह के एक दूर के मुस्लिम राजपूत रिश्तेदार को दिल्ली में खबर मिली ! वो हर तरह से रसूख वाले आदमी हैं !  उनके साथ हम दो पत्रकार इटावा पहुंचे, जहां दो निर्भीक स्थानीय पत्रकार ( मोहिनी सिंह और संदीप मिश्रा) भी हम से होटल में आकर मिले !
  कल यानी बीस जुलाई की सुबह दीप्ति को लेकर उसके परिवार वाले आकर मिले! हमने लड़की से परिवार के सामने पूछताछ की ! उसने पूरी मासूमियत और सच्चाई से सारी बातें बताई! वो इतनी कम उम्र की नासमझ लड़की है कि हम कुछ सवाल तो पूछ भी न सके! आठ दिन बीत चुके थे, भरथना पुलिस ने इस अपहरण और बलात्कार में संलिप्त किसी अपराधी को गिरफ्तार ही नहीं किया था ! हमने ठीक एक बजे विशेष पुलिस अधीक्षक के सामने लड़की को पेश करवा दिया! वहां मौजूद कुछ स्थानीय पत्रकारो ने पीड़ित लड़की का बयान भी लिया! पुलिस अधीक्षक ने तुरंत थाने को फ़ोन भी किया!
          हम तीन पत्रकार और  इस केस को दौड़ा देने वाले दिल्ली से आए लड़की के दूर के दबंग मुस्लिम रिश्तेदार तीन बजे भरथना थाने पहुंचे! थाना प्रभारी  कृष्ण पटेल और केस के जांच अधिकारी मुनीश्वर सिंह  ने पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया और एफआईआर की कॉपी दिखाते हुए बताया कि फरार अभियुक्तों को जल्द पकड़ कर अपहरण, बलात्कार और पाक्सो एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी! इसके बाद हमारी टीम २८ किलोमीटर दूर एक गांव पहुंची जहां लडकी का परिवार हमारा इंतेजार कर रहा था! मैंने उन्हें इतना खुश कभी नहीं देखा था !हर कोई कृतज्ञ नज़र आ रहा था! मैंने राजेन्द्र सिंह को दिन भर में पहली बार तनाव मुक्त देखा तो ऐसा लगा गोया मुझे कोई बड़ा एवार्ड मिला हो ! 
          सात बजे हमने दोनों पत्रकारों ( संदीप और मोहिनी ) को इटावा छोड़ा और दिल्ली को निकल पड़े ! आखिरी वक्त में मैंने पूरी ख़बर को वायरल करने का इरादा तर्क कर दिया था ! हम किसी के लावारिस दर्द को अपनाने और कम करने गए थे, न  कि उनके दर्द की मार्केटिंग करने ! यमुना एक्सप्रेस हाई वे पर रात नौ बजे एक खेत के किनारे चाय की गुमटी देख कर "खान साहब"  नमाज़ के लिए रुके तो  गुमटी मालिक रूद्राक्ष धारी बुजुर्ग ने वजू के लिए पानी का बंदोबस्त किया !   हमें अपना ही एक शे'र बरबस याद आ गया ! 

 मायूसी  कुफ्र  है  ऐ  दोस्त  अंधेरों  से  न  डर !
रोशनी  बाकी  है  जब  तक जले हुए हैं चिराग़ !!

                                ,,,,  (सुलतान भारती)
          
           

Tuesday, 19 July 2022

प्रार्थना पत्र

सेवा में,
   आदरणीय पुलिस अधीक्षक
     जिला     इटावा  उत्तर प्रदेश

संदर्भ,,,,,,,,नाबालिग लड़की के अपहरण और दुष्कर्म के आरोपियों पर संवैधानिक कार्रवाई में देरी करने के विरुद्ध प्रार्थना पत्र।
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    मान्यवर,
               करबद्ध प्रार्थना है कि प्रार्थी ( राजीव कुमार शाक्य s/० विजय कुमार शाक्य, ग्राम मोढ़ी थाना भरथना जनपद इटावा यूपी) की पुत्री तृप्ति उर्फ लक्ष्मी का इसी माह 06जुलाई 2022 को स्कूल जाते वक्त रास्ते में अपहरण हो गया । उसी दिन शाम को एक अज्ञात व्यक्ति ने  अपने  9627092913  नंबर से फ़ोन करते हुए मुझे बताया कि लड़की की शादी हो गई है और उसे ढूंढने की कोशिश न की जाए!
  
      मैने तत्काल उसी दिन थाना भरथना में इस घटना की लिखित सूचना  दे  दी थी !  पांच दिन बाद लड़की घर आ गई! मेडिकल रिपोर्ट में लड़की के साथ दुष्कर्म करना साबित हो गया! 16 जुलाई 2012 के बर्थ डेट वाली अवयस्क लड़की के साथ बेहद घिनौना अपराध हुआ है ।
    लडकी की वापसी पर घर वालों ने पूछताछ की तो तो पता चला कि तृप्ति को अमित के साथ भगाने में तृप्ति की ताई अनीता और अनीता की लडकी अनामिका का गहरा हाथ है! लडकी तृप्ति के हलाफिया बयान के मुताबिक अनामिका के बॉयफ्रेंड अभिषेक और अमित गहरे दोस्त हैं ! लडकी को भगाकर राजस्थान के किसी गांव ले जाया गया और अनीता के सुझाव पर अमित ने लड़की तृप्ति को दुबारा उसके गांव के पास लाकर छोड़ते हुए अभियुक्तों ने हिदायत दी कि घर वालों को कुछ मत बताना।
       लडकी को बहला फुसलाकर ले जाने, पांच दिन तक गायब रखने, लड़की के घर वालों को धमकाने और दुष्कर्म करने वाले अपराधी आज भी छुट्टा घूम रहे हैं। यह लड़की और लड़की के परिवार वालों के लिए सामाजिक और मानसिक तनाव और पीड़ा के दिन हैं!
       कृपया अपराधियों ( अमित, अनीता,अभिषेक और अनामिका ) को अविलंब गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए और मुझे संवैधानिक सहायता एवम सुरक्षा दी जाए !.
       आशा है आप संबद्ध थाने को त्वरित कार्रवाई के लिए सम्यक आदेश देंगे,   धन्यवाद

             
   प्रार्थी 

राजीव कुमार
F/o तृप्ति
गांव मोढी थाना भरथना
जनपद इटावा यूपी
फोन 9456073148

Wednesday, 13 July 2022

(व्यंग्य भारती) "पत्रकारिता में पसरा पतझड़" !

(व्यंग्य भारती)

"पत्रकारिता में पसरा पतझड़" 

             आज़ का दौर देखिए, पत्रकारों की बाढ़ आई हुई है लेकिन पत्रकारिता में पतझड़ चल रहा है! पत्रकार का कलम और आत्मा से नाता लगभग टूट चुका है !आत्मा में रखी सच की स्याही लगभग सूख चुकी है ! पत्रकार ने दिल के ऊपर तख्ती लटका रखी है, - बिकाऊ है खरीदार चाहिए -! मंडी में पत्रकार बहुत हैं,खरीदार कम ! ऐसे में बिकाऊ पत्रकार की मार्केट वैल्यू गिरना ही था , लिहाज़ा कथित पत्रकारों की खुद्दारी का इंडेक्स झरने के पानी की तरह एक बार गिरना शुरू हुआ तो गिरता ही चला गया ! आज हालत ये है कि खरीदार गुण नहीं गिरावट देखकर उन्हें खरीद रहा है!  मंडी में ऐसे पत्रकार की डिमांड है,  जो बगैर रीढ़ और 'किडनी' का हो ! जिसकी आत्मा में  खुद्दारी, स्वाभिमान, सच बोलने और लिखने की जुर्रत जैसे दोष न हों !  
           जबसे कलम की जगह कॉलर वाला माइकआया है,पत्रकार के लिए लेखन की  अनिवार्यता खत्म हो गई। बस,,,,फिर इसके बाद चिरागों में रोशनी न रही! और,,, सही पूछो तो पत्रकारों के लिए अब रोशनाई की जरूरत भी नहीं! अब तो ऐसे ऐसे दिव्य पत्रकार मैदान में हैं जो घटना की पूर्वसूचना तक हासिल कर लेते हैं ! सच के लिए सीने पर चाकू खाने वाले संस्कारी पत्रकार सिर्फ हिंदी फिल्मों में बचे हैं! व्यभिचार,अत्याचार, अनाचार, भ्रष्टाचार और अव्यवस्था के खिलाफ़ लड़ने वाली पत्रकार जमात लगभग विलुप्ति की कगार पर है ! अब खोजी पत्रकार को  ' स्कूप ' (विषफोटक खबर) बरामद होने पर दिखाने से पहले चैनल के सुप्रीमो से पूछना पड़ता है! वही तय करता है कि खबर में कंक्रीट है या नही !
        सियासत और पत्रकारिता दोनों जगह आत्मा का होना दुखदाई है ! हर्ष का विषय है कि सियासत के अधिकतर जागरूक जीवों ने आत्मा के बगैर जीना सीख लिया है ! पत्रकार वर्ग के अंदर काफ़ी लोग अभी भी आत्मा की आवाज़ सुनने का जोखिम उठा रहे हैं ! ऐसे गिने चुने सरफिरों को लगता है कि वो किडनी और रीढ़ के बगैर जी नहीं पाएंगे ! हमारे एक मित्र हैं, राष्ट्रीय स्तर के धाकड़ व्यंग्यकार हैं! अक्सर कड़वा और घातक सच लिखते हैं ! संपादक ने बहुत समझाया, नहीं माने तो उनको छापना कम कर दिया ! 
         अब पत्रकारिता सर्व सुलभ है ! शहर से गांव तक पत्रकार उपलब्ध हैं ! सैकड़ों पत्रकार गांव से तहसील तक ग्रामप्रधान, बीडीसी, पटवारी और बीडीओ , एसडीएम और ब्लॉक प्रमुख के छत्ते में शहद ढूंढते रहते हैं। गांव मे आज  कुछ यू ट्यूबर पत्रकार इतने सक्रिय हैं कि एक एक दिन में कई जगह  न्योता अटेंड करने जाना पड़ता है! शहर से लेकर गांव तक के पत्रकार में एक चीज कॉमन है, दोनों को ही सच जानने और बोलने से वैर है ! पत्रकारों के सैंकड़ों संगठन हैं, बहुत कम पत्रकार मिलेंगे को दूसरे पत्रकार को 'पहले' नमस्ते करना पसंद करता हो ! इस लंका में हर कोई अपने आप को कुंभकरण समझ रहा है !
     आज के पत्रकार बहुधा दो प्रकार के होते हैं, बड़ा पत्रकार और छोटा पत्रकार ! बड़े पत्रकार का पसंदीदा विषय है,- हिंदू मुस्लिम, भारत पाकिस्तान, मंदिर मस्जिद, नमाज़, लाउड स्पीकर आदि !उसकी नजर में यही वो वास्तविक मुद्दे हैं जिनसे देश का विकास और कल्याण संभव है। इसी फर्टिलाइजर से भाईचारा उर्वर बनाना है, और इसी रामधुन से विश्वशांति लानी है ! इसलिए हर डिबेट में इसी समुद्र मंथन से अमृत निकालता है ! छोटे पत्रकार का दायरा छोटा होता है, वह सरकारी नलके पर औरतों की लड़ाई से लेकर मुहल्ले वाले नेता के बर्थ डे तक की न्यूज न्यूज देता रहता है। इलाके का जेबकतरा और बीट कांस्टेबल दोनों उसे प्रिय हैं ! वोह- न काहू से वैर -के फार्मूले पर अमल करना है। आसपास झगड़ा होने पर दरोगा जी से मिल कर पांच हज़ार का मसला दस हज़ार में निपटा कर जनसेवा का कोटा पूरी कर देता है! क्षेत्र में अवैध शराब कौन बेच रहा है, उसे पता है ! मगर  यहां भी वो गांधीवाद का पालन करता है, - पाप से नफ़रत करो पापी से नहीं - ! 
           मैं वर्मा जी को फूटी आंख नहीं सुहाता.! उन्हें मेरे पत्रकार होने से सख्त नाराजगी है ।वो फेसबुक पर लिख कर भी खुद को बड़ा पत्रकार मानते हैं और मुझे पत्रकार तक नहीं मानते ! कल उन्होंने मुझे सलाह देते हुए कहा, -' ये बड़े अख़बार भरोसे के नहीं रहे! इन में लिखना छोड़ और सोशल मीडिया पर मुझे फॉलो कर , वरना कॉलोनी छोड़ कर कहीं और चला जा ! मैं यहां भाईचारा खराब नहीं करने दूंगा -! फकीरा चल चला चल -'!

       इस वक्त रात के साढ़े ग्यारह बज रहे हैं। मेरे सिरहाने खड़ी किताबों की आलमारी में र
खी मेरी हस्तलिखित किताबें जैसे मुझे चुनौती दे रही हों! लगभग रोज रात में ये किता
बें मुझे घेर कर पूछती हैं, - ' क्या हासिल किया तूने मुझे लिख कर , मुझमें अप


नी रूह उतार कर -'!!  मेरी पास ७कोई जवाब नहीं है ! मैं  इस कमरे में सोना छोड़ दूंगा! मैं जानता हूं कि जब पत्रकार की कलम से पंख फूटते हैं तो वो लेखक बन जाता है, पर अकसर ये पंख उसे परवाज़ नहीं दे पाते !!

शायद मैं इन पंखों को कभी नोच नहीं पाऊंगा !!

       बायो

Sunday, 3 July 2022

(अग्नि दृष्टि)

( अग्नि दृष्टि)?

  ,,, "ताकि सनद रहे "

       मुझे हौज खास मेट्रो स्टेशन से शाहीन बाघ जाने के लिए मेजेंटा लाइन पकड़नी थी। उस डब्बे में काफ़ी युवा थे जो उदयपुर कांड पर ज़ोर ज़ोर से बात कर रहे थे! एक युवक विडियो देख कर क#& ,b  ह रहा था ,-' वकीलों ने इलाज कर दिया दोनों हत्यारों का ! पोलिस कस्टडी में पेशी पर #&आए दोनों मुजरिमों को पीट दिया '-! वकीलों ने पुलिस की मौजूदगी में मुजरिमो को पीट कर मृतक के प्रति अपनी सहानुभूति का परिचय दिया। किसी भी बड़े चैनल के जागरूक विद्वान को इस नेक काम में संविधान का उल्लंघन बिलकुल नहीं नज़र आया ! वकीलों ने पहली पेशी पर ही मुजरिम पर लात घूंसे बरसा कर फास्ट ट्रेक कोर्ट का परिचय दिया ! वकीलों के हाथों मरने से बचा कर पुलिस ने अपना कर्तव्य निभाया,- रिंद के रिंद रहे हाथ से जन्नत न गई ! 
   बेशक वो दोनों वहशी हत्यारे हैं, जिसकी सजा सजाए मौत से कमतर नहीं होगी ! होनी भी चाहिए, भला इन कातिलों।(रियाज़ और गौस) को कत्ल करने का अधिकार किसने दिया? कानून हाथ में लेने का किसी को कोई हक नही, इसलिए पूरे देश की जनता ने दोनों के लिए जल्दी से जल्दी फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा उन्हें सजाए मौत देने की मांग की ! किसी मुसलमान ने उनके घिनौने जुर्म की वकालत नही की, उनके पक्ष में कोई पोस्ट नहीं डाली और एक भी नारा नही सुनाई पड़ा ! इसके बाद भी मुस्लिम समुदाय को गाली देने,चुनौती देने, समूल नष्ट करने और निकाल बाहर करने का जहरीला आह्वान जारी रहा !
       सोशल मीडिया पर विवेकहीन वीर पुरूषों की भरमार रही । उदयपुर कांड के लिए नूपुर शर्मा को जिम्मेदार ठहराने वाले जजों (सूर्यकांत और पारदीवाला) की टिप्पणी से भी लोग आक्रोश में आने लगे ! (ऐसा पहले कभी नहीं हुआ!)नूपुर के वकील अमन लेखी को भी ऐसी टिप्पणी की आशा नहीं थी । ऐसा लगता था, गोया क्रोध फूट पड़ने का रास्ता ढूंढ रहा था ! घूम फिर कर सुई मुसलमान और इस्लाम पर आकर अटक  जाती  थी ! चैनलों पर बैठे तथाकथित "विद्वान" डिबेट में आए मुस्लिम पार्टिसिपेंट को आक्रामक अंदाज में उनकी कम्यूनिटी का बहीखाता बताते नज़र आए!
         मैं हैरान भी हूं और दुखी भी ! दुखी इसलिए कि एक इंसान का बेरहमी से कत्ल हुआ ! इस्लाम कहता है  - एक बेगुनाह का कत्ल सारी मानवता का कत्ल है,-! यह अक्षम्य है। यह अकेले कन्हैया लाल का कत्ल नहीं था, उस दिन वहां  कन्हैया के बच्चों के मुस्तकविलका भी कत्ल हुआ था। उनके सुखद सपनों को भी तहे तेग किया गया। उनके 
ख्वाबों का भी कत्ल हुआ था ! एक औरत के सुहाग का भी कत्ल हुआ था ! एक परिवार की सुखद कल्पनाओं को पल भर में नजरे आतिश किया गया था! कई पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों को विकलांग और उम्मीद से महरूम कर दिया गया ! इतने गुनाहों को ढोने वाले मुजरिम के लिए मौत की सजा भी नाकाफी है।
       लेकिन,,,,,, हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में हर मासूम के कत्ल पर ऐसी ही मानवीय संवेदना, सहृदयता,सामूहिक आक्रोश ,सामूहिक क्रोध और इंसाफ की आवाज बुलंद की जाएगी! उम्मीद करता हूं कि नफ़रत की गिलोटिन के नीचे कत्ल होने वाले किसी भी बेगुनाह का दर्द धर्म के चश्में से नहीं देखा जाएगा ! न मरने वाले के दर्द संप्रदाय के फीते से नहीं नापा जाएगा ! हमें भूलना नहीं चाहिए कि इसी राजस्थान में गैंती से मर कर घायल किसी बेगुनाह मजदूर को ज़िंदा जला कर उसका भी विडियो वायरल किया गया था ! तब कातिल को सम्मान देने वाले कौन थे ? ताली दोनों हाथो से बजनी चाहिए ! हिमायत दर्द की होनी चाहिए कातिल की नही ! बेहतर होगा कि कोई भी शख्स कानून हाथ में लेने से दूर रहे । न्याय पालिका का सम्मान अनुशासन और राष्ट्रप्रेम की प्रथम शर्त है। नफरत और प्रतिशोध की स्याही से लिखी गई एक इबारत पूरे अध्याय को कलंकित कर देती है !
       बहुत हो गई नफ़रत ! इस नफ़रत से हमें मिला कुछ नहीं, खोया बहुत कुछ है! हमे अपने सामुदायिक हित को राष्ट्र हित में समाहित करना होगा ! इंसानियत के आधार पर एक मंच पर आकर राष्ट्र निर्माण में खुद को समर्पित करना होगा ! वरना नफरत का ये उबलता लावा एक दिन हमसे सब कुछ छीन लेगा।

कुछ ऐसा करें मिल के सभी हिंदू मुसलमान !
फिर  हिंद  को  सारे  जहां से अच्छा बना दें !!x।rob