स्क्रिप्ट,,,,,,, "सौदा"। ( द पॉवर ऑफ लव)
Transition,,,,,,, सौदा ( द पॉवर ऑफ लव)
आइडिया,,,,,,,, अंतर्जातीय प्रेम और खून खराबे की दोहरी प्रेमकथा !!
चरित्र सूची,,,,,,,,,,,भानु प्रताप सिंह ,,,,,, कॉलोनाइजर
(कैरेक्टर्स)
अजय सिंह,,,,,,,,,,,,, भानु के सबसे बड़े बेटे !
समर प्रताप,,,,,,,,,,,, भानु का छोटा बेटा!
सोनिया सिंह,,,,,,,,,,,, भानु की पोती, अजय की बेटी !
अफ़ज़ल 'गैंती',,,,,,, अपने मां बाप के कातिलों को मार कर फरार हुआ एक युवक
गीता यादव,,,,,,,,,,,, उत्तर भारत के एक उग्र दक्षिण पंथी
संगठन की कुख्यात हत्यारी लड़की !
शहजाद बाबर,,,,,,,, दिल्ली एनसीआर का डॉन
जयमंगल सिंह राठौर,,,,,,यूपी से दिल्ली हायर किया गया अंतरराजजीय हत्यारा और शहजाद गैंग का सालार
तेजा सन्यासी,,,,,,,,,,,, भानु प्रताप का वफादार शूटर
जगत बैगा,,,,,,,,,,,,,,, एक आदिवासी हत्यारा !
जफर 'कन्हैया',,,,,,,,,,, भानू गैंग का एक विचित्र हत्यारा
इंस्पेक्टर जुगल किशोर,,,,,, स्पेशल सेल के अधिकारी।
महंत जसराज,,,,,,,,,,, गीता यादव के गुरु
शिव प्रताप यादव,,,,, अपराधियों का लाइजनर और गॉड फादर
( इसके अलावा दर्जन भर और पात्र )
" वन लाईन स्टोरी "
( "सौदा" or 'द पॉवर ऑफ लव' )
( यूपी के अलग अलग शहरों में लगभग एक दर्जन असरदार लोगों का कत्ल हो जाता है ! मारे गए लोगों में आठ मुस्लिम समुदाय के होते हैं विधान सभा में हंगामा हो गया। जांच में जुटी पुलिस को एक सनसनीखेज जानकारी मिली कि हर कत्ल के पीछे अलग अलग नाम से एक लड़की को देखा गया था ! वह एक अनाथ लड़की थी, जिसे साधुओं के एक उग्र संगठन "कवच" ने धर्मयोद्धा बनाया था ! गीता यादव नाम की वह लड़की अचानक यूपी से भी लापता हो गई ! उन्हीं दिनों जौनपुर और आजमगढ़ की सीमा पर स्थित एक गांव में चार लोगों को गैंती से मारकर एक और युवक फरार हुआ - अफ़ज़ल शेख ! पुलिस ने उसे नाम दिया अफ़ज़ल गैंती ! ''कवच' ने अफ़ज़ल का नाम भी गीता की हिट लिस्ट में शामिल कर दिया था !!
नोएडा और दिल्ली में कॉलोनाइजर और बड़े बिल्डर्स के बीच गैंगवॉर शुरू हो चुका था और शिव प्रताप भारी कीमत लेकर एक से एक अपराधी और गैंगस्टर को भानु तथा शहजाद बाबर के ज़खीरे में भेज रहा था ! शिव प्रताप ने गलती से गीता यादव को भानु के ज़खीरे में भेज दिया जहां पहले से ही अफ़ज़ल गैंती छुप कर पहुंचा हुआ था ! गीता उसे ही ढूंढ रही थी ! लेकिन गीता को उन्नाव का कुख्यात सुपारी किलर और गैंगस्टर जय मंगल राठौर ढूंढ रहा था , जिसे शहज़ाद बाबर ने अदालत में पेशी पर जाते हुए पुलिस की गाड़ी पर हमला कर छुड़वा लिया था ! अब शुरु हुई असली गैंगवार और शहज़द का बड़ा बेटा और भानू का छोटा बेटा मारे गए! गैंगवॉर तब क्लाइमैक्स पर पहुंची जब अपने एक मित्र की शादी में पूरे लाव लशकर के साथ पहुंचने के बाद भानु को जय मांगल और जगत बैगा ने मार डाला !
( इंटरवल)
उधर सड़क पर एक घायल कबूतर को देख कर स्कूल बस रुकवा कर उसकी तीमारदारी में लगी एक लड़की को शहज़द बाबर का पोता शेरबाज बाबर देख कर उस लड़की के स्कूल बस का पीछा उसके कॉलेज तक करता है! फिर वह हर दिन उस बस का पीछा करता है ! कई महीने बीत जाते हैं,आखिरकार वो लड़की खुद उससे पूछती है कि वोह चाहता क्या है ! तब दोनों को पता चलता है कि वह एक दूसरे के दुश्मनों की औलाद हैं ! शूटर गीता यादव जब अफ़ज़ल गैंती का कत्ल नहीं कर पाती तो कवच की ओर से गीता को खत्म करने के लिए कुछ लोग दिल्ली आते हैं ! अब अफ़ज़ल को गीता की असलियत का पता चलता है !
शहज़द बाबर और भानू के जखीरे के बीच गैंगवॉर शुरू होती है ! दोनों तरफ़ के वसीम जाट, जगत बैगा , नसीम कुंजड़ा, मोस्ट वांटेड जफर कन्हैया, तेजा सन्यासी, मंगी बेड़िया, सद्दाम जरगर आदि मारे जाते हैं ! दिल्ली पुलिस, यूपी एटीएस और कवच से घिरी गीता अफ़ज़ल से मदद मांगती है और फिर एक भयानक फैसला लेकर दोनों शेरबाज़ और सोनिया सिंह को देश से दूर मलेशिया भेज देते हैं और कार में हथियार लेकर एक रात वापस यूपी लौट पड़ते हैं ! अफ़ज़ल का फोन ट्रेस होता है और दिल्ली पुलिस की एक टीम दो घंटे पीछे रवाना हो जाती है! पुलिस टीम के पीछे अफ़ज़ल गैंती और गीता का जानी दुश्मन जय मंगल राठौर अपने घातक हथियार "पिनाका" के साथ रवाना होता है !
कानपुर में दोनों ने अपने पहले शिकार शिव प्रताप यादव को दिन दहाड़े ठिकाने लगाया, जो सारे अपराधियों के बीच बरगद के नाम से जाना जाता था। इसके बाद दोनों ने प्रयाग स्थित कवच के सुप्रीमो सत्या वैरागी को उनके मठ में घुस कर मारा ! आख़री शिकार के लिए वह उसी रात कार से जौनपुर पहुंचे और कवच के प्रधान नत्था महंत को ठिकाने लगाया! सुबह होते होते दोनो जौनपुर और आजमगढ़ जिले के बॉर्डर पर स्थित अफ़ज़ल गैंती के गांव पहुंचे! दोनों का प्लान था कि फातिहा के बाद कब्रिस्तान से निकल कर दोनो सतना के जंगलों में चले जायेंगे जहां देश के सबसे बड़े डॉन गुलाब सिंह राठौर उनका इंतजार कर रहे थे !
लेकिन कबरस्तान उनके सफ़र की आख़री
सरहद थी- जहां एटीएस , पुलिस और जयमांगल सिंह तीनों उनका इंतज़ार कर रहे थे ।
( द एंड)
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