"गरीब आदमी का सेलफ़ोन"
अगर कोई घर गरीबी की गिरफ्त में हो तो उसका असर घर के चूहे और बिल्ली तक पर पड़ता है ! चूहे उस घर में आजादी से आते जाते हैं, वहीं - दूध मुक्त रसोई होने के कारण बिल्लियां घर को दूर से ही प्रणाम कर लेती हैं ! गुरबत भरे घर के लोग कुपोषित लेकिन चूहे हृष्ट पुष्ट और इतने दबंग होते हैं कि डेढ़ साल तक के बच्चे से रोटी छीन कर चले जाते हैं! ढीठ इतने कि ये चूहे अक्सर घर की पुरानी रजाई में ही बच्चे दे देते हैं ! गरीब के घर का दरवाज़ा इतना कमज़ोर और कुपोषित होता है, कि मुहल्ले का कृषकाय कुत्ता तक बेरोक टोक अंदर आ सकता है ! इसके बाद भी अगर वो कुत्ता उस घर में नहीं घुसता तो उसकी शराफ़त नहीं, चूहों की भरमार है! ( आत्मनिर्भर चूहे कमज़ोर कुत्ते को दौड़ा लेते हैं!!)
ऐसे घरों में एक फोन भी पाया जाता है! जी हां, घर में वक्त पर फफूंद लगी रोटी हो या न हो, लेकिन आज़ के जमाने में फ़ोन तो होना चाहिए ! तो,,, इस घर में भी एक फोन है ! ये फोन घर के मुखिया के पास होता है और इतनी छोटी साइज़ का होता है कि पसंद आने पर घर के चूहे उसे खींच कर बिल में छुपा सकते हैं! गरीब आदमी के फ़ोन में रिश्तेदार के कम ठेकेदार के ज्यादा नंबर होते हैं ! गरीब के फ़ोन पर बाहर से आने वाली कॉल कम और मिसकॉल ज़्यादा होती है ! गरीब आदमी मिस कॉल को ठेकेदार की कॉल समझ पलट कर फोन करता और दुखी होता है ! गरीब आदमी का फ़ोन और बीड़ी का बंडल एक ही जेब में होता है! कभी कभी मजदूरी न मिलने के टेंशन में वो बंडल की जगह मोबाइल से बीड़ी निकालने की कोशिश करता है ! क्या करे,- गरीबी वाले- जिगर मा बड़ी आग है ! जब बुद्धि धुआं देने लगती है तो नोकिया फोन और नूरा बीड़ी में फर्क नहीं नजर आता !!
गरीब का फोन कई शिफ्ट में ड्यूटी देता है ! शाम को थका हारा गरीब जैसे ही आठ बजे सोता है, उसकी पत्नी तकिए के नीचे से फोन निकाल कर अपनी बड़ी बहन को फोन करती है, - " दीदी ! फिर ठेकेदार इनका पैसा मार कर भाग गया ! इनको अब तक सारे ठेकेदार रणछोड़दास ही मिलते आए हैं ! जीजा जी से कहकर कहीं ऑफिस में चपरासी या गार्ड की बढ़िया नौकरी लगवा देती " ! उधर से ऑक्सीजन विहीन आश्वासन पाकर वो अपनी छोटी बहन को फोन करके बड़ी बहन की स्तुति शुरू कर देती है, - ' जीजा जी एक मामूली क्लर्क हैं तब इतना नखरा है, कहीं ठेकेदार होते तो आंख बड़ेरी से नीचे न उतरती । इस महीने सारे फ़ोन मैने ही लिए, उधर से एक बार भी फोन नही आया -हमारे ठेंगे से !! सुना है , पिछले साल दीदी की बड़ी लड़की घर से दो दिन गायब रही"?
घर का बड़ा लड़का हाई स्कूल में पढ़ रहा है ! वह जानता है कि दिन भर के हाड़ तोड़ काम के बाद मां भी नौ बजे तक फ़ोन बाप की तकिया के नीचे सरका कर सो जायेगी ! दस बजे फोन लेकर लड़का अपने दोस्त अकील को फोन करता है , देर से फोन उठते ही उसने पूछा ,- '' हां यार अब बता, क्या शर्त लगाया तूने अपनी गर्ल फ्रेंड से ? तूने कहा था न कि रात में शालू के बारे में कुछ बताएगा !!" उधर से नींद में सर से पैर तक डूबा अकील दीवार घड़ी देख कर भन्नाया हुआ बोला, - ' दो घंटे करवट बदल बदल कर जागने के बाद अब जाकर नींद आई थी ! अब तू भी सो जा यार ! शालू चीज ही ऐसी है, कल तुझसे मिलवाता हूं - गुड नाईट !!' अब शालू से मिलने की कल्पना में बाकी रात करवट बदलने की बारी इस लौंडे की थी!
गरीब आदमी का फ़ोन भी उसी की तरह ठोकर खाकर जीता रहता है ! वह इतनी बार जमीन पर गिरता है कि नंबर तक लहू लुहान लगते हैं। फोन के बार बार गिरने से क्रुद्ध आदमी कभी कभी फोन को ठेकेदार समझ कर गाली देता है, - ' किसी दिन तुझ पर ईंट बजाऊंगा साले "!
हमारे गांव में हालात के मारे एक जमालू भाई हैं ! उनका फोन उनसे ज्यादा दुखियारा और दीन हीन है। जमालू भाई का ये फ़ोन एक्सपायरी डेट के बाद भी चल रहा है ! फोन में बैटरी और नेटवर्क के अलावा ज़िंदा रहने की कोई निशानी नही है ! उनका फोन सबके सोने के बाद नेटवर्क पकड़ता है और सुबह पांच बजे तक -सबका साथ सबका विकास - पर अमल करता है! अक्सर जमालू फ़ोन की बैटरी निकाल कर उसे धूप में सुखाते हैं! इस दौरान आस पास अपने चूजों को लेकर घूम रही मुर्गियां भी बैटरी पर दो चार चोंच मारने के फिराक में रहती हैं, इसलिए जमालू भाई डंडा लेकर बैठते हैं ! पिछली नवंबर की सर्दियों में गांव जाने पर मैंने जब लगातार तीन दिन तक बैट्री को सुखाते देखा तो कारण पूछा ! बड़ी दिलचस्प कहानी बताई जमालू भाई ने !!
" चार दिन पहले की बात है, रात में पेट के अन्दर गुड़ गुड़ शुरू हुई , मैं जाकर गांव से बाहर तालाब के किनारे बैठा ! निवृत होकर जैसे ही मैं पानी के लिए तालाब की ओर झुका ऊपर की जेब में रखा फोन तालाब में जा गिरा! मैं कपड़ा उतार कर फ़ौरन तालाब में कूद गया ! फ़ोन निकाल कर कपड़ा पहना और घर आकर रजाई फाड़ा, रूई निकाला और फ़ोन की बैट्री और फ़ोन दोनों को रूई में लपेट दिया , ताकि रूई पानी खींच ले ! अब तीन दिन तक धूप में बैट्री और फ़ोन को सुखाना है ! कल बदरी थी, इसलिए एक दिन और सही"!
संकट में इंसान की आस्था सेकुलर हो जाती है, ऐसे में प्राणी 'पहलवान बाबा' के साथ साथ 'पीर बाबा' की भी परिक्रमा कर लेता है, - न जाने किस भेष में बाबा मिल जाए भगवान-!!
कमाल था, चौथे दिन जमालू भाई के फोन का नेटवर्क काम करने लगा था !!