Wednesday, 19 November 2025

[व्यंग्य चिंतन] खड़क सिंह मरा नहीं

     "व्यंग्य चिंतन"

 " खड़क सिंह' मरा नहीं " 
          आप को  'बाबा भारती' और उनका घोड़ा सुल्तान तो याद होंगे? जी हाँ वही कहानी जिसमें खड़क सिंह  'बीमार' बनकर बाबा को लूटता हैं! कालजयी कहानी की यही खूबी होती है, कि ऐसी कहानी के पात्र कभी मरते नहीं! और आजकल तो अमृत काल चल रहा है इसलिए मरने का मतलब ही नहीं है, इसलिए देश में तमाम 'खड़क सिंह' 'समस्याओं का स्वांग' लिए  " बाबा भारती" को ठग रहे हैं ! संविधान, समय और समाज के मुताबिक ये गिरगिट की तरह रंग बदल कर  परिवेश में घुलमिल कर अवसर पाते ही  "बाबा भारती" को इमोशनल कर उनकी जमापूजी  (सुल्तान) को लेकर फरार हो जाते हैँ!  भारती को उस दिन बाबा बनाने के लिए खड़क सिंह ने बीमारी का बहाना बनाया था ! Vo सतयुग का दौर था, जब बाबा भारती की आबादी ज्यादा और खड़क सिंह कम हुआ करते थे,  इसलिए न्यूज वाइरल हो गई !  आज आंकड़ा वाला पांसा पलट चुका है!
    आज आपको कदम कदम कदम पर खड़क सिंह टकरा रहे हैं, जो दरअसल बाबा भारती की तलाश में आवाज़ लगाते रहते हैँ, - 'तू छुपा है कहां, ढूंढता मैं यहां-' !  कहावत है कि ढूढ़ने से भगवान भी बरामद हो जाते हैँ ! शक्कर खोर को कठिन परिश्रम करना पड़ता है, पर 'बाबा भारती' जाल में फंस ही जाते हैं! सतयुग वाले खड़क सिंह को ज़्यादा मेहनत करनी पडी थी,  आज कलियुग तो इन्हीं खड़क सिंह से हाउसफुल चल रहा है! ये घातक परजीवी अपने शिकार की रेकी करने के बाद उसके सगे बनने में देरी नहीं करते,  फिर उचित मॉनसून पाते ही बाबा भारती को चर लेते हैँ!
आजकल तो खड़क सिंह की प्रजाति आवारा सांड की तरह इतने बढ़ गए हैं कि बाबा भारती का आर्तनाद देख कर सरकार को साइबर थाना बनाना पड़ा ! लेकिन ओरिजिनल खड़क सिंह तो आपके आस्तीन में घुसकर आपको निपटा देंगे,  बानगी देखिये- मैं भी भुक्तभोगी हूँ!
           ये हैं  'फरेब खान' ! काया के साथ किरदार भी काला है! मैग्ज़ीन के संपादक का  खोल ओढ़ कर 3 साल पहले मिले। मुझे अपनी कार से घुमाता भी था,  एक साल मेरा विश्वास जीतने में खर्च किया ! फिर मेरे द्वारा मेरे एक सांसद मित्र से लेटर के जरिए विज्ञापन हासिल कर खोल से बाहर आ गया ! आज भी उसकी तरफ मेरा 25 हज़ार निकलता है और अब वो ऑफिस और घर खाली कर कहीं और किसी 'भारती' को 'बाबा' बनाने की जुगत में लगा होगा ! [ बाद में एक और संपादक ने खुलासा किया कि, - 'उसकी जो कार है, वो मुझे ठगने के बाद लिया होगा' ! उन्होंने कोर्ट में केस कर रखा है ! उनकी रकम लाखों में है  ] विश्वास और भरोसे को चरने वाले ये परजीवी धड़ल्ले से इसी समाज में रह रहे! 
      विपक्ष की चिंता वोट चोरी को लेकर है, बाबा भारती का घोड़ा, आये दिन खड़क सिंह चुरा रहा है! सतयुग वाला डाकू हयादार ! उसने इमोशन होकर घोड़ा लौटा दिया था ! आज के खड़क सिंह पहले घोड़ा चुराते फिर पुलिस के सहयोग से बाबा भारती की कुटी से 375 बोर का कट्टा बरामद  करवा कर 'अंदर' करवा देते ! फिर खुद खड़क सिंह उनकी जमानत कराता और,,,गांजे की वज़ह से खराब हो रही अपनी किडनी के बदले बाबा की किडनी मांग लेता ! जब तक 'बाबा भारती' की प्रजाति है,  खड़क सिंह  फलते फूलते रहेंगे!
      एक और 'खड़क सिंह'  इसी साल मई की गर्मियों में जंतर-मंतर पर बरामद हुए ! 26 अक्टूबर तक उनका खानदान और खलिहान दोनों हरा भरा रहा, फिर अचानक उनका फ़ोन आया, -' भारती जी,  मेरी काफी बड़ी रकम कहीं फंस गई है,  परसों तक आ 
       


        

Wednesday, 29 October 2025

[व्यंग्य चिंतन] हरियाला बन्ना आयो रे

        [व्यंग्य चिंतन]

"हरियाला बन्ना आयो रे " 

    असल में इस हेडिंग के पहले शब्द [ हरियाला ] को लेकर मुझे बचपन से ही  भ्रम बना हुआ है! अलबत्ता 'बन्ना' को लेकर कोई कोई दीर्घ या लघु शंका नहीं थी,  आज भी नहीं है ! बस ये समझ में आज तक नहीं आया कि दूल्हा हरियाला कब हो जाता है।  इस बारे में बीबी की प्रताड़ना के शिकार कई लेखकों के मत अलग अलग हैं! लघु कथा लेखकों में पहली कतार में बैठे मेरे एक मित्र का  कहना है,-' शादी तक तो सभी 'बन्ने' हरियाला  होते हैं-'
         'और,,,, शादी के  बाद '?
  ' फिर उसके बाद चिरागों में रोशनी न रही '!
         ' तो,,,,, इसका मतलब हमें शादी नहीं करना चाहिए,  है  न?
  'मुझे भी लोगों ने यही समझाया था, पर तब वो लोग मुझे कोरोना के लार्वा लग रहे थे ! '
   मैंने लंबी सांस खींची, गोया दिल का कोई पुराना दर्द उभर आया हो ! मेरे मित्र ने मेरा दर्द भांपते हुए सवाल किया, - ' इक तुम ही  नहीं तन्हा, इस दर्द की बस्ती  में,,,,!'
 मैं  पीड़ित से पत्रकार हो गया, -' एक अच्छा भला बन्ना शादी के कितने दिनों बाद - 'हरियाला ' नज़र आने लगता है?'
    " ये बन्ना की सहनशीलता पर निर्भर करता है! अगर आप एक सफल स्ट्रीटडॉग की तरह पेशेंस वाले हुए तो बन्ना होने का भ्रम कई साल तक बरकरार रहता है! औऱ अगर बीवी से  बहस वाली  अंताक्षरी में उलझे तो आये दिन तबीयत 'हरी' और आप का 'हरियाला' होना शुरू '!
       " बिल्कुल समझ गया,  बस एक ठो लघुशंका रह गई, हरियाली बन्ना हमारे यूपी में क्यों नहीं पाए जाते हैं' ?
    ' तुम्हारे यूपी में हरियाली की कोई कमी नही,  इसलिए वहां साठ साल वाले बुजुर्ग को भी पाठा कहा जाता है! यूपी वाला बन्ना, बड़ा 'कटखन्ना' होता  है-!  राजस्थान में हरियाली की भारी कमी है, इसलिए वहां का बन्ना तक हरियाला होने की कोशिश करता है ! कोशिश करना हमारे हाथ में है,  मॉनसून तो दिल्ली सरकार के भी हाथ में नहीं'!
     'थोड़ा थोड़ा समझ में आया'!
  ' ज्यादा हरियाली ठीक नहीं, इस उम्र में कैरेक्टर के अंदर इतनी हरियाली घातक होती है! हरी सब्जी खाया करो, किसी का भेजा नहीं ! खाली जेब होकर भी हरियाला बन्ना होने का ख्वाब देख रहे हो-!' 

      मैं सिकुड़ कर खाल में आ गया ! अमृत काल में ज़्यादा सवाल घातक हो सकता है!
  
                 ( Sultan bharti)
        
 
 

Friday, 29 August 2025

[व्यंग्य चिंतन] आवाज दो कहां हो ,,,,,, !

                    व्यंग्य 'चिंतन'

             आवाज दो कहां हो  ,,,,,! 

       अभी मुश्किल से 3 महीने पहले ही  तो मिला था ! चमकता हुआ और खूबसूरत , पहली नजर में ही दिल तक उतर जाने वाला ! वो कुछ इस कदर मनभावन था कि देख कर ही आँखों को आराम और सुकून हासिल हुआ धा ! मैंने तो ख्वाब में भी नही सोचा था कि महज तीन महीने बाद ही वो इस तरह मेरी नजरों से अचानक ओझल हो जायेगा ! इस  आकस्मिक  घटना से  मैं अभी भी सकते मेें था !   बीती रात ठीक से नींद नही आई ! बार बार उसकी मोहिनी तस्वीरआंखों के सामने आती रही !  मेरे दिल दिमाग पर  कितनी गहरी ठेस पहुंची थी ! अभी मुश्किल से 24 घंटा पहले की तो बात है!
       असल में कल (28 अगस्त)  मस्जिद के सामने से मेरे जूते चोरी हो गये ! 
        मस्जिद की सीढियों पर जूते उतार कर मै 'जुहर' की नमाज पढ़ने अन्दर गया' और जब वपस आया तो मेरे जूते, सुखमय भविष्य की तरह, गायब थे ! जब जूते उतारे थे, तब मै पुतिन की तरह युवा लग रहा था, और अब जूताविहीन होकर  डोनाल्ड ट्रंप की तरह जबर्दस्ती सामान्य नज़र आने की असफल कोशिश कर रहा था !   पैर मे मौजूद सफेद मोजे जैसे मेरा मज़ाक उडाते हुए मुझ पर तंज कर रहे थे,- "मियां ! तुम तो पत्रकार हो ! और लिखो स्मैकियों के खिलाफ-! लगता है जैसे इस जूते के अलावा बैंक एकाउंट में कोई मोह माया नही' थी " ! मेरे सामने विकट समस्या घर लौटने की थी ! हालाकि मस्जिद और मंदिर दोनों नज़दीक थे, किन्तु मुझे  जूता तो क्या, पुरानी चप्पल तक चुराने का तजुर्बा नहीं था ! सिर्फ मोजा के साथ घर  लौटना,,, सरेआम  अपना जुलूस निकालने  जैसा था ! कॉन्फिडेन्स, कबीर के कंबल की तरह लीक हो रहा था ! जूता खोकर मै ऐसा महसूस कर रहा था, गोया 50% टेरिफ का सारा असर पहले ही दिन मुझ पर ही आ गया हो ! 
        मै दुआ मांग रहा था कि घर का दरवाजा आज बेगम न खोलें ! मगर किस्मत इतनी बढिया होती तो जूते पैर मेें होते ! दरवाज़  खुला, अस्त व्यस्त, पसीने मे तरबतर मुझे देखकर वो दंग ! जैसे किसी गंदे नाले का उद्घाटन करके लौटा हूं ! उस वक्त मैं सुदामा की तरह दीन और पत्नी कृष्ण जी की तरह 'दीनदयाल' लग रही थी !(धोती फटी सिलटी दुपटी, अरु पैर उपानह,,, की सजीव झांकी थी !)  पत्नी ने ऊपर से नीचे तक मेरी दुर्गति का एक्स रे करते हुए हैरत से पूछा, -' जूते किसने छीन लिए-?'
   मैने सफाई दी, -' मस्जिद के सामने से चोरी हो गये, नमाज पढने गया था" ! 
   मस्जिद और नमाज के नाम से मुझे जैसे पैरोल   मिली ! नहा धोकर अभी सुकून की साँस भी नहीे ले पाया था कि वर्मा जी आ गये ! उनकी आंखो में खुशी और चेहरे पर जबर्दस्ती ओढ़ी हुई मायूसी देखते ही मै समझ गया कि उन्होंन बगैर जूतों के मुझे घर लौटते हुए देख लिया था ! पास में बैठते हुए बोले,- ' पड़ोसी और मित्र से दुख बांटने से मन हल्का होता है, बाई द वे,,,,हुआ क्या था' ?
     " कुछ नही' !
   वो बङी क्रूरता से मुस्कराये, -' जब भाभी जी तुम्हें डांट रही थीं,  मै  नीचे सीढियों  पर ही खङा था ! लोगाें ने सिर्फ जूता ही छीना था, या पकडकर मारा भी था' ?
    " ऐसी कोई बात नही, मैंने अपना सफेद नाइक ब्रांड जूता एक दुबले पतले गरीब भिखारी को दान दे दिया, बेचारा बहुत दिनो से काले रंग की पूरानी चप्पल पहनकर घूम रहा था ! उस गरीब की मदद तो  जरूर करनी चाहिए जो दुआ की बजाए बद्दुआ देने आता हो "!
     वर्मा जी अपनी काली चप्पल पहन कर गर्म लू की तरह  बगैर कुछ बोले निकल गये ! मैं अपने अतीत के एल्बम टटोलने लगा !  जूतों को लेकर मेरा अनुभव कभी सुखद नही रहा ! पिछले 30 साल  से जाने कितनी बार महफिलों में  मेरे जूते बदलते रहे ! मै कही भी अपने जूते उतारता,  कोई न कोई अपना छोड़ कर मेरा उठा ले जाता ! कई बार मुझे अपने फटेहाल जूते के बदले बेहतरीन जूते मिल जाते थे ! ( अक्सर चुनावी मौसम मे शाम के वक्त कॉलोनी में' होने वालीं जनसभा मे ये हादसे होते थे, जहाँ जूता बाहर उतार  कर  फर्श पर बैठते थे !) एक बार तो गजब हुआ ! रात नौ बजे मीटिंग खत्म  हुई, मै भीङ से बाहर आया, जल्दी से अपना जूता उठाया पहना और इत्मीनान की सांस ली ! किन्त  एक हफ़्ता बाद जब जूता पालिश करवाने गया तो मोची ने कहा,-' इस बार आपने सिर्फ दायें पैर का जूता बदला है ' !
      मेरी इस समस्या का निदान किसी के पास नही
 है ! जो सुझाव आते भी हैं, उनमें जोखिम बहुत है ! मेरे अजीज दोस्त चुन्ननखान की सलाह है कि-' ऐसी महफिल में  सबसे बाद  मेें घर से नंगे पैर जाओ , और वापसी में थोडा पहले निकलो,और  नंगे पैरों को आत्मनिर्भर कर लो -' !
     जो भी कहूगा सच कहूगा,  जूता बराबर भी झूठ नहीे बोलूँगा ! ये जूता मेरी लाइफ  मेें  अब तक  का सबसे मंहगा जूता था !  मैंने कभी एक हजार रुपये से  ऊपर का जूता  पहना ही नही , शौक भी नही था ! दरअसल मेरे बेटे [ इंजी.  सैयद अमान अली ने अपनी पहली सेलरी  पर मुझे ये जूता गिफ्ट दिया था, वर्ना ऐसी मंहगी और नश्वर चीज़ें दूर ही रहे तो अच्छा ! 
        लेकिन,,,,'घनिष्ठ' मित्र अभी भी कलेजा छलनी करने वाली 'हमदर्दी लेकर आ रहे हैं । अब   चौधरी आ गया, -' उरे कू सुण भारती ! तमै किसी का जूता लेकर भागने की  के जरूरत पङ गी' ?
मैं आसमान से गिरा,- ' कौन कह रहा था ?"
   " नाम मत नै पूछ भारती ! देख, वर्मा ने कसम दे रखी सै, अक मै किसी कू उसका नाम नहीे  बताऊंगा  ! इसलिए नाम कू परे कर, अर नू बता, अक मामला के  है"?
     मैने सारी बात साफ-साफ बता दी !
        चौधरी ने मेरी पीठ पर हाथ मारा, - " जाण दे यार ! मेरठ ते मैं दो जोङी जूता लाया सूं , इब एक तू ले ले -'!
     'शुक्रिया भाई, पर मेरे पास दो जोङी जूते हैं -'! 

       "हम्बे,,,! किस्मत में लिखे हों तो राह चलते  बगैर मांगे जूते मिल जाते हैं-'!
  [ इस बार हम दोनों एक साथ हंस पङे !

  [ जूता सचमुच चोरी हुआ है यार !]
,,,,,,,,,,,      [सुलतान  'भारती']     ,,,,,,,,,,,,,,

Thursday, 31 July 2025

[व्यंग्य 'चिंतन'] मिले सुर मेरा तुम्हारा

        (व्यंग्य  ' चिंतन ')

" मिले सुर मेरा तुम्हारा"

      अब मैं क्य़ा कहूँ ,आदमी सामाजिक प्राणी है,  माने,,,सोशल क्रिएचर ! समाज में रहता है और जाने अनजाने सियासत के छींटे खाता है !  उसे बग़ैर मांगे उपदेश दिया  जाता है कि- संघे शक्ति कलियुगे -!  संघठन ही सियासत की संजीवनी है और सत्ता की सीढ़ी ! इसलिए जब  कोर्ट महा मानव समाज सेवा से सियासत की दाण्डी यात्रा शुरू करता है तो उसका पहला प्रयास और प्रवचन- मिले सुर मेरा तुम्हारा-को लेकर होता है! और हो भी क्यूँ न ! सत्ता में ताजपोशी और बनवास का सारा क्रेडिट सुर के संगम पर ही टिका हुआ  है, बुरा मानो या भला!
      सुर से सुर मिल जाए तो अल्पमत वाली सरकार भी 5 साल चल जाती है ! वहीं अगर सरग़म से सुर निकल भागे तो प्राणी मुख्यमंत्री होते होते मायावती होकर रह जाता है! सुर का सुर से मिलना बहुत ज़रूरी होता है ! कभी कभी कुंडली के सितारे सत्ता का राजयोग दिखाते हैँ लेकिन सरग़म के कुछ  सुर  'हृदय परिवर्तन' के संक्रमण का शिकार होकर तराजू से कूद जाते हैँ ! ऐसी  ग्रहदशा में अक्सर सत्ता का बनवास काट रहे कई सुर बहुमत की सरकार बना बैठते हैं! ऐसे मधुमास का श्रेय लेने वाले सियासत के महारथी  को  कुछ लोग  'मौसम वैज्ञानिक' भी कहते हैं!  सरग़म से सुर निकाल कर नया सत्ता सरगम का निर्माण करना कोई आसान काम नहीं है,  बड़े खतरे हैं इस राह में ! दांव उल्टा पड़ा तो,,,"मोह माया" की जगह कुंडली में'मोक्ष'  की इंट्री भी संभव है !
          सियासत के इस शतरंज में हर पार्टी शह और मात के  चौसर बिछाती रहती है ! सभी सशक्त, सजातीय, मजबूत और टिकाऊ सुरों की तलाश में रहते है ! बहुमत न आने पर विपक्षी पार्टियों के बिकाऊ विधायक/सांसद को ऑफर दिया जाता है, -  'खुला है मेरा पिंजरा आ मोरी 'मैना' - !  'आत्मनिर्भर' मॉनसून पाते ही प्राणी सरगरम से निकल कर सशरीर 'सूटकेस   में समा जाता है ! कुछ तो भाव विह्वल हो कर  गाने में ही संकेत देने लगते हैं, - 'आप जैसा कोई मेरी जिन्दगी में आये,,,और  पेट्रोल पंप दे जाये - ! 
      लेकिन,,,, छोड़ो कल की बातें,,,,ये उस दौर की बातेँ हैं जब देश में सतयुग नहीं आया था और,  पता नहीं किसके आदेश से सूरज पूर्व से ही उगा करता था ! विकास पुरूष अवतार ले चुके थे, मगर अज्ञातवास में चल रहे थे ! फिर आया 2014 और जगह जगह आकाशवाणी होने लगी कि - अब वतन आज़ाद है'- ! गांधी जी ने कहा था,  पापी से नहीं पाप से नफ़रत करो -! वर्तमान सतयुग में उसे साक्षात प्रैक्टिकल किया जाने लगा ! पाप से घनघोर नफ़रत और तमाम अंगुलिमाल,गैंगस्टर, क़ातिल, ठग, भ्रस्टाचारी,डाकू, स्मगलर,दंगाई मुख्य धारा में आ गए ! अलबत्ता पाप से नफ़रत करने में आज भी कोई कसर नहीं है ! ऐसा परिवर्तन देख स्वर्ग में बैठे गांधी जी सकते में हैं ! इससे प्रेरणा पाकर समूचे बैंक को गठरी में बाँध कर लोग देश से भागने लगे ! अज्ञानी जनता सन्नाटे में थी और ज्ञानी लोगों ने 'आपदा में अवसर' का गूढ़ अर्थ समझ लिया था ! मिले सुर मेरा तुम्हारा- से  विकास का सारा तिलिस्म खुल जा सिम सिम के करीब था !
    आज प्रचंड विकास की सभी योजनाएं मिले सुर मेरा तुम्हारा, पर आधारित हैं,  फिर भी सुर का सुर से मिलना आसान कहां है! कुछ लोग सुर मिलाने से पहले सुर की बड़ी जांच पड़ताल करते हैं ! जल्दबाजी में कहीं दूसरे सम्प्रदाय के सुर से सुर न मिल जाए , आजकल वैसे भी लव जिहाद और भगवा जेहाद का  'लू' चल रहा है । आस्था इतनी सेंसिटिव हो गई है कि रोड के किनारे ढाबे के बोर्ड पर दूसरे धर्मावलंबी के नाम देख कर ही भूख  मर जाती है ! चुनाव की पुरवाई बहते ही  आस्था सेकुलर हो जाती है, और सभी जाति के वोटर  सम्मानित और पूजनीय ! इसलिए जाति कुजाति न देख कर- 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' का नाद शुरू हो  जाता है ! बाद में वाणी का शुद्धीकरण कर लेंगे !
        आजकल माहौल गरम है!अल्पसंख्यक वोटों के एक बड़े ठेकेदार के समर्थकों ने एक मौलाना को पीट दिया ! मौलाना ने पार्टी प्रमुख की धर्मपत्नी पर मस्जिद में बैठने के ऊपर कमेंट किया था।  इस प्रकरण पर मुस्लिम नेतृत्व में व्यापक आक्रोश है ! आक्रोश इस बात को लेकर  कि अभी दो हफ्ते पहले उसी पार्टी की एक प्रख्यात सांसद पर एक लफंगे के अमर्यादित टिप्पणी से देश में आक्रोश फैला था ! आक्रोश फैलना ही था, क्योंकि अपने संस्कार, शिक्षा,सेवा,सौहार्दपूर्ण व्यवहार, तहज़ीब, सर्वधर्म समभाव की वज़ह से इस युवा सांसद को देश की 36 बिरादरी  अपनी बेटी मानता है ! देश के लिए गर्व की बात है कि साधारण भारतीय पहनावे में नज़र आने वाली इस मुस्लिम युवा सांसद को आज पूरी दुनियां जानती है ! कमाल है कि सम्मानीय  सांसद पर की गई अभद्र टिप्पणी पर पार्टी प्रमुख और पार्टी के समर्थकों को अभी तक 'यथोचित जवाबी आक्रोश' क्यों नहीँ आया ?
        
   इस पर पार्टी के सारे सुरों में सन्नाटा  छाया है!

   Sultan bharti  
   [ Journalist]

Monday, 21 July 2025

[व्यंग्य चिंतन] तुम्हारे लिए खुशखबरी है'

(व्यंग्य चिंतन)      'तुम्हारे लिए खुशखबरी है'

[व्यंग्य चिंतन]
             " तुम्हारे लिए खुशखबरी है बबुआ "

    प्रचंड कलिकाल की बेला है! विकास की बयार चल रही है,  किंतु, विरोध में आस्था रखने के कारण, विपक्ष उसे मृग मारीचिका बता रहा है! अच्छे दिन के चबूतरे पर खड़ा सत्ता पक्ष  विकास का सूर्योदय देख रहा है और विपक्ष उसे ग्रहण बता रहा है! 'विकास पुरूष' आपदा में भी अवसर की वकालत कर रहे हैं, और सत्ता का वनवास काट रहे विपक्ष को अपना आपदाकाल दीर्घायु होता नज़र आ रहा है! अवसर है कि कुंडली में आता ही नहीं ! इस आपदा और अवसर के चक्रव्यूह में पिसकर पब्लिक मोह माया से मुक्त होकर  निर्गुण गा रही है 



   

Tuesday, 24 June 2025

'व्यंग्य चिंतन' शांति दूत डोनाल्ड ट्रम्प

व्यंग्य चिंतन 

'शान्ति दूत  'डोनाल्ड ट्रंप'

           ' मुझको चांद लाकर दो' !
      ट्रंप का इतना कहना था कि व्हाइट हाउस के तमाम दरबारी दौड़ पड़े ! लिस्ट बनाकर   न्यौता भेजने में रिस्क था, मेहमान लोग ईरान के शिकार बन सकते थे ! ट्रंप ने अपने पी ए  से पूछा, - 'रात के डिनर पर आज किसका भेजा खाना है'?
     ' पाकिस्तान के जनरल आसिम मुनीर को बुला लेते हैँ, कई दिनों से यहीं पड़ा हुआ है! '
   ' ठीक से समझा देना, प्रपोजल उसी को देना है !मैं तो नोबल पुरस्कार के सर्वथा योग्य हूँ, पर क्या मुनीर प्रपोजल के लायक है?'
     'भरोसा रखिए, वो इसी के लायक है! आप ज़मींदार हैं और आसिम मुनीर चारण, प्रपोजल के सर्वथा लायक ! हम उसका दिल दिमाग किडनी सब जांच चुके हैं, उस के चरित्र डाटा बेस में खुद्दारी का -  'ख'- भी नहीं है सर "!
 ट्रंप मुस्करा ते हुए बोले, -' मुझे शांति का नॉवेल पुरस्कार तो मिल जाएगा  न ' !
     ' काहे लघुशंका  करते हो सर ! अल्फ्रेड नोबल जिंदा होते तो असंभव था, खुदा उन्हें जन्नत दे!' 
             'और,,,अब '?
         ' अब  तो कोई  शंका नहीं,  गज़ा, यूक्रेन, आर्मेनिया से ईरान तक आपका डंका बज रहा है! ' 
       हमारे दत्तक पुत्र 'इजराइल का नाम क्यूँ नहीं लिया "?
     ' उसका क्या नाम लेना सर, वो तो आपका लाडला लठेत है, लेकिन इस बार 85 साल के खलीफा ने उसके नट बोल्ट खोल डाले,  पूरे बदन पर पट्टी बांधे घूम रहा है ! कल एक गाना गा रहा था, - ' ये क्या हुआ, कैसे हुआ,  कब हुआ,,,छोड़ो यह न पूछो-'!
        ' इसका मतलब याददाश्त चली गई '!
'इतनी पिटाई में तो 'ब्रैनहेमरज' भी हो सकता था सर ! सोचिए,  बुज़ुर्ग खलीफा के मिसाइल पूरे नौ स्पीड ब्रेकर पार कर के आते थे '!
    ' इसीलिए हमने  इतनी जल्दी सीज़ फायर करवा दिया , बस अब जल्दी से शांति का नोबेल पुरस्कार दिला दो- !  इस पुरूस्कार के लिए मैंने तीन तीन  'गुफ़ा भंजक' बम मारे थे ! बम भी हमारे- शांति भी हमारी-! फायर  और सीज़ दोनों में मोनोपोली-' !
     तभी ट्रंप का एक निजी खानसामा अंदर आकर बोला, - ' जनरल आसिम मुनीर आया है-'!
         ' डिनर तो रात में है, अभी क्यों आया है,  ख़ैर,,,,,आने दो '-!
   15 सेकंड बाद आसिम मुनीर अंदर आकर  ट्रंप के सामने फर्शी सलामी देते हुए बोले,  -' क्या हुक्म है मेरे आका '!
      ' आज रात के डिनर के साथ पत्रकार सम्मेलन है,  तुम्हें पता है न कि क्या प्रस्ताव रखना है-'!
      ' जी बंदा परवर !  आप जैसा  कोई मेरी जिन्दगी में आये तो बात बन जाए-'!
       ट्रंप के पी ए ने घूर कर देखा तो आसिम मुनीर की ट्यून बदल गई, - ' पूरी दुनियां में जंग करवाने और तुरंत शांति का कबूतर उड़ाने में,  आग लगाने और सीज फायर कराने में हमारे आका का जवाब नहीं,,,,,, तुम्हीं ने दर्द दिया है, तुम्हीं दवा देना-'!
     ' ज़्यादा पकाओ मत, मुद्दे पर आओ' -पी ए  धीरे से भुनभुनाया ,- 'पंच लाइन बोलो-'!
       ' हमारे आका के कैरेक्टर डाटा बेस में युद्ध और शांति दोनों के कीटाणु भरे पड़े हैं ! दिल के बहुत अच्छे हैं , इसलिए इनका दिल युद्ध के लिए हमेशा व्याकुल रहता है! जैसे ही जंग शुरू होती है,  ये फौरन शांति दूत बन कर युद्ध विराम करा देते हैं!  इतने महान हैं कि पूरी दुनियां खुशी के मारे कराह रही है ! आका जानते हैं कि 'सीज' करने के लिए "फायर' कितना जरूरी है! अभी देखा नहीं, जब इंडियन आर्मी हमें ढोल समझ कर पीट रही थी तो आका ने कैसे फोन करके हमें बचाया था ! हुकुम जी,  क्या मैं आपको पापा कह सकता हूं '!
       'नो' - ट्रंप ने सर हिलाया,- ' फिर तू  व्हाइट हाउस के आसपास झुग्गी डाल के बैठ जायेगा-'!
       पी ए ने मुनीर को डांट दिया, -' प्रेस कांफ्रेंस की बात करो , झुग्गी की नहीं '!
        ' मैं प्रपोजल दूँगा, - इस बार  का नोबेल पुरस्कार उस महात्मा को दिया जाए जिसके नस नस मे खून की जगह युद्ध, शांति और सीजफायर  दौड़ता रहता है! मेरा सुझाव है कि इस  बार का  नोबेल पुरस्कार उसी देव तुल्य महा मानव को दिया जाए-! इससे विश्व में  शांति और इन्सानियत का एक नया युग शुरू होगा-! '
        ' अब तो  महापुरुष का नाम बता दे - कब तक पकाएगा '! ट्रंप ने दांत पीसा ! 
   मुनीर अभी भी एक प्रोफेसनल चारण की  तरह बोल रहा था, -" यदा यदा ही  धर्मस्य,,,,, खैर छोड़िए,,जब जब पृथ्वी  पर 'फायर' का विकराल मॉनसून आएगा, तब तब  B 52  के साथ एक महापुरुष अवतार लेंगे, और सारे फायर को सीज कर देंगे ! इस युग में उन्होनें, डोनाल्ड ट्रंप के नाम से अवतार ले लिया है! इसलिये,  इस बार का नोबेल पुरस्कार जगत मुखिया महामहिम ट्रंप को दिया जाए,  कैसी कही हुकुम -'!
       'खूब कहीं'  ट्रंप ने ताली बजाई !
       डिनर में मुनीर वैसा ही किया , मगर अगले दिन सुबह न्यूज देखते ही उस ने सर पीट लिया ! शांति दूत के आदेश पर ईरान के 3 शहरों में स्थित परमाणु केंद्रों पर केब बस्टर बम गिरा दिया गया था ! इजरायल के विरोध में मुस्लिम जगत में चल रहे प्रदर्शनो में उबाल सा आ गया ! पाकिस्तान मे सरकार और जनरल आसिम मुनीर के विरोध में उग्र जनता सडकों पर उतर पडी ! आसिम मुनीर ने ट्रम्प के पैर  पकड लिए,- 'आपने तो कहा था कि दो हफ्ते के लिये कोई जंग नहीं, फिर ऐसा क्यों डिसाइड  किया दादा ! 
      ' नोबल प्राइज़ के लिए, बम गिराने के बाद ही शांति और सीजफायर का वैल्यू होता है, रोना पीटना बंद करो,  पाकिस्तान जाओ-"!
   " कैसे जाऊँ ! जनता जूते लिए सडकों पर मुझे ढूंढ रही है ! कल तक हमारी मीडिया ख़बर चला रही थी कि मेरे सुझाव पर आपने दो हफ्ते के लिए सीज फायर करवाया है ,  अब वो कह रहे हैं कि मेरे कहने से ही ईरान के एटॉमिक सेंटर पर बम गिराया गया ! घर वापसी कैसे  करूँ , पाकिस्तान की जनता मेरी किडनी निकाल लेगी ! मैं तो धोबी का कुत्ता बन गया,  घर का न घाट का !'
             इतना कहकर आसिम मुनीर गाना गाने लगे ,-' ऐ मेरी फॅमिली और रिश्तेदारों ! मिरी याद में तुम न आँसू बहाना , न दिल को जलाना- मुझे भूल 
    जाना,,,,'!

]       ट्रंप मुस्कराते हुए बोले - "डोंट वरी , तुम्हारी आवाज़ अच्छी है,  तुम भूखे नहीं मरोगे -!'

                [ Sultan Bharti ]


Monday, 26 May 2025