(व्यंग्य 'चिंतन')
अचानक शहर में सकता छा गया! देखते ही देखते पूरे शहर में खबर बिजली की तरह फैल गई कि शहर में दंगा हो गया है ! ( शायद विकास का और कोई विकल्प था ही नहीँ!) चिंतित घर वालों को अफ़वाहों में तैर रही ख़बरे और डरा रही थीं, -चौक के पास जुलूस पर पथराव हुआ है- !
मोहल्ले वाले आपस में बात करने लगे -' पथराव
किसने किया '?
" दंगायी लोगों ने "!
"मगर क्यों?"
" वो कह रहे थे कि डीजे पर गाली मत बजाओ ! क्यों न बजाए ! हमारी आस्था है ! इसी बात को लेकर जलूस के लड़कों की आस्था ज्यादा आहत हो गई और उसमें से एक लड़के ने छत पर चढ़ कर उनका हरा झंडा रेलिंग समेत गिरा दिया ! बस इतनी सी मामूली बात पर उसे मार डाला गया, देश में कानून व्यवस्था कितनी खराब है '!
" डी.जे. पर गाली क्यों बजाई जा रही थी ?'
' सिर्फ आस्था के भरोसे जुलूस में कौन जाएगा दादा ! आज कल तो रामलीला में भी फ़िल्म के गाने और डांस चलता है !"
एक युवक ने 'शुभ समाचार' दिया , -' अब दंगायी लोगों की लिस्ट बनाई जा रही है, इस बार बुलडोज़र की ड्यूटी लंबी चलेगी-'!
" पर चलेगा किस पर?"
"उन्हीं लोगों पर, जो हमारा जलूस देख कर पथराव करते हैँ "!
" पर राम पदारथ बता रहे थे कि पथराव भी जलूस की तरफ से किया गया था !"
" तो का करें ! वो पथराव कर ही नहीं रहे थे तो कब तक इन्तेज़ार करते ! दंगा के लिए हम किसी और पर निर्भर क्यों रहें !"
टीवी पर खबर आ रही थीं, - शहर में हुए दंगे को लेकर प्रशासन एक्शन में आ गया है! दंगा ग्रस्त इलाके के आसपास "अवैध मकान, दुकान,और धार्मिक निर्माण " को चिंहित करने का काम शुरू कर दिया है, ताकि 48 घंटे की नोटिस पर अवैध निर्माण गिराये जा सके -!
एक बुजुर्ग से न रहा गया, -' इतने अवैध निर्माण ! प्रशासन ने पहले क्यों नहीं गिराया- '!
न्यूज सुन रहे दूसरे बुजुर्ग बोल उठे-" दंगा होने के बाद प्रशासन का मोतियाबिन्द दूर होता है भैय्या-'!
अगले दिन गोदी मीडिया के पत्रकार और सोशल मीडिया के यू tuber मवाद पैदा करने निकल पड़े ! दंगा में लुट कर जल चुकी एक दुकान को तोड़ रहे एक बुजुर्ग आदमी को देखते ही 'चीखता है भारत' के पत्रकार ने अपना ज्ञान उड़ेलना शुरू कर दिया, -' देखिये दिन दहाड़े एक दंगाई सीढ़ी लगा कर एक दुकान तोड़ रहा है! प्रदेश में इतना सख्त कानून व्यवस्था होते हुए भी दंगाई कितने बे खौफ़ हैँ आप देख सकते है ! दंगाई की ये ताज़ा तस्वीरें आप सबसे पहले मेरे चैनल पर देख रहे हैँ !'
तभी सड़क से पुलिस की एक कार सायरन बजाती गुजरी , पत्रकार चिल्लाया, -' देखा आपने , पुलिस की हिम्मत नही पडी कि वो इस दंगाई को दीवार तोड़ने से रोक सके ! दाढ़ी और टोपी से आसानी से पहचान जा सकता है कि ये बुजुर्ग पत्थरबाज किस समुदाय से है ! देखने से ही लगता है कि उसने पहले दुकान लूटा होगा, फिर जलाया होगा और आज ऑन कैमरा दुकान तोड़ कर उस पर कब्जा करने आया है-'!
उसी वक़्त एक और एंकर आ पहुंचा, थोड़ी दूर से ही माइक आई डी ऑन करके चिल्लाया ,-" लोग अपने अपने घर में हैं, सन्नाटा जैसी स्थिति है! लेकिन इस हालत में भी दंगाई बे खौफ़ होकर लूट पाट में लगे हैं ! अब मैं जो तस्वीर दिखाने जा रहा हूँ, उसे देख कर आपके होश उड़ जाएंगे ! एक दंगाई मेरे कैमरे की पकड़ में है ! उसके हाथ में एक बेहद खतरनाक हथियार है, जिससे पल भर में अच्छे भले युवा घर को धूल में मिलाया जा सकता है ! सब कुछ देखने से पहले आप मेरे चैनल को subscribe ज़रूर कर लें ! बुरे दिन चल रहे हैँ, चैनल आत्मनिर्भर रहेगा तभी आप मन भावन न्यूज सुन जायेंगे! गला सूख रहा है, दुकानें बंद हैं और परसों से पिया भी नहीं है-"!
एक पल रुक कर एन्कर फिर शुरू हुआ, -" इस आतंकी और दंगाई को गौर से देखिये, सर पर टोपी और हाथ में घातक फावड़ा ! इस उम्र में भी इस का मन दंगा, लूट औऱ आतंकी गतिविधि को समर्पित है ! ये हाहाकारी तस्वीरें सबसे पहले आप हमारे 'सतयुग' चैनल पर देख रहे हैँ ! चलिए मैं इस बुजुर्ग दंगाई से खुद बातचीत करने की कोशिश करता हूँ, कहीं यह ओसामा का गुरु 'अल जवाहिरी' न हो, बने रहें सतयुग के साथ-"!
लेकिन तब तक वहाँ पहले से खड़े चीखता है भारत के पत्रकार ने बुजुर्ग का बाइट लेना शुरू कर दिया था, -' आप कब से इसे तोड़ रहे हैँ -'!
बुजुर्ग ने ख़ामोशी से पत्रकार को देखा और अपने काम में लगा रहा ! पत्रकार ने अगला सवाल दागा, -" आपने इस घर में आग कब लगाई थी ?"
इस बार भी बुजुर्ग कुछ नहीं बोला ! पत्रकार ने तीसरी बार पूछा,- " जिस दुकान को लूटने के बाद आपने आग लगाई और अब ध्वस्त करने में लगे हो, उसके मालिक का नाम क्या था, जिंदा है या जला दिया गया-"!
"जिंदा है , मगर मुर्दा समझो बाबूजी-"!
पत्रकार चीखता हुआ बोला,-' ये कुबूल कर रहे हैँ कि दुकान का असली मालिक अभी जिंदा है, लेकिन मुर्दा से भी बदतर है! इसका मतलब उसे भयानक यातनायें दी गयी हैं, हो सकता है कि गर्दन न काट कर उस के हाथ पैर काट लिया हो-'!
सतयुग चैनल वाला बीच में ही बोल पड़ा -" शांति पूर्ण जुलूस पर आप लोग पत्थर क्यों मारते हैं ?"
" मैं नहीं जानता बाबूजी-!"
" आपके लड़कों ने पत्थर मारा होगा, कितने बेटे हैं, दस या बारह ?"
"एक" !
दोनों पत्रकारों को धक्का लगा ! दूसरे वाले ने अपने गिरते हुए मनोबल को संभाला, -" आपका बेटा अब कहां है-?"
" कुछ पता नहीं है, पुलिस घर से उठा कर ले गई थी, अब कहते हैं कि हमें पता नहीं-" ! इतना कह कर बुजुर्ग फफक कर रोने लगा !
'चीखता है भारत' का पत्रकार ऐसे चीखा गोया ख़ज़ाना हासिल हुआ हो, -" शहर में हुए दंगे का मुख्य आरोपी फरार है ! सूत्रो से मिली जानकारी के मुताबिक़ उसी ने धार्मिक जुलूस पर हमले की अगुवाई की थी ! उसके घर वाले रो रहे हैँ, लेकिन अब पछताये होत क्या,,,,!"
सतयुग चैनल वाले ने बुजुर्ग से पूछा, -" जिसे तोड़ रहे हो उस दुकान के मालिक का नाम क्या है?'
" साबिर अली "!
नाम सुन कार दोनों को सदमा पहुंचा, पहले वाले ने धीरे से पूछा- " तुम्हारा क्या नाम है?"
" साबिर अली ! मेरे पास बुलडोज़र को देने के लिए पैसा नहीं है, इसलिए अपना ही घर खुद गिरा रहा हूँ बेटा भी गया और घर भी ! कल से भीख माँगा करूँगा-"!
जैसे गाज़ गिरी हो ! दोनों ने एक दूसरे को ऐसे देखा, जैसे कह रहे हों- सब धन धूल समान !
'विस्फोटक ख़बर' बनते बनते अचानक कोमा में चली गयी थी !
( sultan bharti)