Monday, 29 April 2024

इकरा हसन

                        (शख्सियत)

'इक़रा हसन'- की लोकप्रियता का तिलिस्म 

     मुस्कराता चेहरा, बोलती आंखें, सर पर हमेशा करीने के साथ नज़र आने वाला दुपट्टा ! साधारण शक़्ल सूरत की एक असाधारण क़ाबिलियत रखने वाली युवती ! उनका पहनावा और सर्व समाज में घुलमिल जाने वाला अंदाज़ देख कर कोई अजनबी कयास भी नहीं लगा सकता कि असाधारण रसूख वाले परिवार की ये साधारण सी नज़र आने वाली लड़की दिल्ली के 'लेडी श्री राम' और लंदन से पढ़ कर आई है ! वर्तमान में वो-  उच्च शिक्षा,प्रशंसनीय तहज़ीब, भारतीयता और गंगा जमुनी विरासत की सबसे सशक्त अलम बरदार बनकर उभरी हैं ! समाज सेवा और सियासत की कंटीले रास्तों पर इकरा ने पिछले 9 साल ज़बरदस्त मेहनत करके लोगों में अपना ये मुकाम हासिल किया है !
      सियासत और समाज सेवा उनको विरासत में मिली है! उनके दादा अख्तर हुसैन कैराना से सांसद थे! पिता मुनव्ववर हसन चुनाव जीत कर बारी बारी से चारों सदनों में बैठे ! वालिद की मृत्यु के बाद इक़रा की मां तबस्सुम हसन ने भी 2 बार लोकसभा का चुनाव जीता था ! बड़े भाई नाहिद हसन को 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में इक़रा ने तब चुनाव जिताया जब एक (तथाकथित) 'विवादित बयान' के चलते उन्हें जेल में बंद कर दिया गया ! और अब,,,इक़रा खुद मैदान में हैं !
        चुनावी पर्यवेक्षक उसकी बढ़ती हुई लोकप्रियता,ज़मीनी पकड़, जनसंपर्क शैली,सादगी, शालीनता और सौम्य व्यावहार से उसकी जीत के प्रति आश्वस्त हैं ! नफ़रत के इस दौर में इक़रा एक उम्मीद है, रोशनी है और नि:संदेह एक सशक्त प्रेरणा भी, देश की लाखों युवक-युवतियों के लिए कि- देश और विदेश से उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद भी भारतीय तहज़ीब का दुपट्टा कितनी लोकप्रियता देता है ! 

   इक़रा पर एक शे'र तो बनता है -----
कोई तन्हा मुसाफिर कारवाँ बन जाता है जिस दिन!
उसी  दिन  'मुश्किलों' के  हौसले  भी टूट  जाते हैं !!
                  
           ( Sultan bharti)
                       

Monday, 8 April 2024

(व्यंग्य चिंतन) ग़रीबी रेखा पर खड़ा जीव

"व्यंग्य चिंतन "
गरीबी रेखा पर खड़ा जीव

      अब का बताएं भैय्या ! मुझे अपने पिछड़ेपन पर शर्म आ रही है और खासा गुस्सा भी ! वर्मा जी के पड़ोस में बस कर भी मैं ज़माने के हिसाब से खुद को अपडेट न कर पाया ! जब कोरोना आया, तो मैं 2 ग़ज़ दूरी को फॉलो न कर सका, जब कि वर्मा जी फ़ोन की लाइट जलाने से लेकर ताली, थाली,झांझ, मजीरा से ढोल नगाड़ा तक चले गए ! इतना पिछड़ापन होने के बावजूद चौधरी को जागरूक करने की ज़िम्मेदारी भी मेरे ऊपर है! क्या करें, हर ख़बर के सत्यापन की गहन ज़िम्मेदारी मेरी है ! खास ईद के रोज कुछ ऐसा ही हुआ !
     साढ़े 7 बजे सुबह ईद की नमाज़ पढ़ कर अभी मैं घर में घुसा ही था कि दरवाज़ा खोल कर चौधरी अंदर आया! मैं कुछ बोलता, उससे पहले ही चौधरी गुस्से में बोला,- कितै लिकड़ गया सुबह सुबह-'?
  ' आज ईद है, आ गले लग जा !'
' हट जा भारती पाछे नै !!'
     ' क्यों ! क्या हुआ '? 
' मोय पतो है अक् तू कहां ते लिकड़ कै आ  रहो!'
      ' मस्जिद से!'
  ' न ! गरीबी रेखा के नीचे ते लिकड़ के आ रहो ! केले केले  लिकड़ आया ! मुझे गैल न लिया ! हद हो गई बेशर्मी की-'!
      मैं अवाक था ! मैं वाकई मस्जिद से ईद की नमाज पढ़ कर आ रहा था, और चौधरी बड़ा गंभीर आरोप लगा रहा था कि  मैं गरीबी रेखा के नीचे से निकल कर आ रहा हूँ ! एक बारगी तो मुझे भी अपने ऊपर शक होने लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि मैं मस्जिद के बजाय गरीबी रेखा के नीचे से निकल कर आया  हूँ ! लेकिन मुझे भनक तक नहीं लगी , और चौधरी ने देख भी लिया ! क्या इतनी खामोशी से ग़रीबी रेखा के नीचे से ऊपर आया जाता है कि निकलने वाले को भी अपनी आहट न मिले ! ग़ज़ब भयो रामा,,,!
    मैने जेब टटोल कर देखा, जेब में 20 रुपये का एक विकलांग नोट अभी भी मौजूद था ! इस नोट ने  मेरा ढहता हुआ मनोबल  दुरुस्त किया और यक़ीन दिलाया कि मैं वहीं खड़ा हूँ जहां कल शाम था ! मैंने चौधरी को समझाया,- ' मैं ग़रीबी रेखा से बिलकुल बाहर नहीं आया, तुम तलाशी लेकर देख सकते हो ! जेब में वही बीस का नोट है जिसे परसों तुमने  लेने से मना किया था !-'!
    चौधरी सकते में आ गया,- ' वर्मा जी ने मोहल्ले में एक पोस्टर चिपकाया है, कि  पिछले दस साल में साढ़े तेरह करोड़ लोग ग़रीबी रेखा के  नीचे ते बाहर लिकाड़े गए , पर लिस्ट  दिखाई  को न्या !'
    मैंने चैन की साँस ली ! वर्मा जी का इस्कड मिसाइल फेल हो चुका था ! चौधरी कुर्सी पर बैठता हुआ बोला-' उरे कू सुन भारती ! जो लोग गरीबी रेखा ते बाहर लिकड़े सूं , उन्हें पहचाने कैसे-'! 
     विकट समस्या थी, -  चिंता मुझे भी होने लगी ! इतनी बड़ी संख्या में लोग गरीबी रेखा से बाहर निकाले गए हैं ! पता नहीं निकलने वाले लोगों को जानकारी है या वो भी अंधेरे में हैं ! मैंने बूमरेंग का रुख वर्मा जी की तरफ मोड़ दिया-' हो न हो, वर्मा जी को सारी जानकारी है! क्या पता अपनी कॉलोनी की लिस्ट उन्होंने ही  सरकार को भेजी हो ! काफ़ी तेज आदमी है-'!
    ' इब कै सारी तेजी लिकाड़ दूँगा-'! चौधरी गुस्से में बोला-'  इब देखता हूँ अक् कैसे लिकड़ता है ग़रीबी रेखा ते बाहर-, वापस धकेल दूँगा-!'
 मैं यही तो नहीं चाहता था ! बड़े मुश्किल से चौधरी को समझा पाया कि ये वर्मा का नहीं केंद्र सरकार का काम है ! अब चौधरी और भी हैरान था,- ' खली , चोकर ,बिनौला  अर  हरा चारा सबै मंहगा हो गयो ! अर् दूध के लिए तू भी रौला काटे अक घना पानी दीखे ! के करूँ बता, पूरो तबेला ग़रीबी रेखा के नीचे घास चर रहो ! साढ़े तेरह करोड़ में छ: भैंस तो ले सकते थे-! ' 
   'हो सकता है अगली लिस्ट में भैंसों का नंबर आ जाए, लो सिवईं पियो-!'
     थोड़ी देर बाद नॉर्मल होकर चौधरी ने विचित्र सवाल पूछ लिया,-' तू कद लिकड़ेगा ग़रीबी रेखा से बाहर-?'
      ' निकालने का काम सरकार का है ! पब्लिक का कर्त्तव्य है- चुनाव से पहले गरीबी रेखा के नीचे जाना, उस बाधा दौड़ में अब मैं क्वालिफाइड हूँ-!'
     "अर् मैं ?"
   " हम और तुम एक ही केटेगरी मे हैं, मगर ग़रीबी रेखा के नीचे से निकालने का काम रोज रोज नहीं, बल्कि पांच साल में एक बार होता है! "
     " तब तक के करूं?"
    ' वेट करो ! पहले भी बाहर आने के लिए साठ पैंसठ साल वेट किया था ! अभी तो जुमा जुमा  दस साल हुए हैं ! - ज्ञानी लोगों ने संतोष को 'परम सुखम'- बताया  है ! रास नहीं आ रहा है का !'
     'थारा उपदेश कुछ खास समझ में न आ रहो-'!
       'तो सुनो, देवासुर समुद्र मंथन के बाद पहली बार पृथ्वी पर अमृतकाल आया है, जब बग़ैर समुद्र मंथन के अमृत पान की अनुभूति हो रही है ! यह जो अनुभूति है, बड़ी काम की चीज़ हैं ! ये हमें जड़ और चेतन का फर्क बताती है ! प्रेम, आनंद और ऑक्सीजन इसी अनुभूति का परिणाम है ! अमृत काल भी इसी अनुभूति की प्रचंड उपस्थिति है ! मेरा ख्याल है कि अब गरीबी रेखा से ऊपर निकलने की मोह माया में नहीं पड़ोगे -'!

    समझ में कुछ न आए तो अपने पर कम मगर सामने वाले पर ज़्यादा गुस्सा आता है !  चौधरी आधी सिवईं छोड़ कर उठ गया !  मैं अभी भी साढ़े तेरह करोड़ वाली लिस्ट को लेकर चिंतित  हूँ ! पता नहीं उस लिस्ट में हमारे मोहल्ले के - कितने आदमी थे- ! ( सांभा है कि बोलता नहीं !)
   

Monday, 1 April 2024

(शिनाख्त) साइबर अपराध का बढ़ता दायरा

    (शिनाख्त)
           साइबर अपराध का चढ़ता पारा 

        तारीख  24 मार्च 2024- वक़्त रात के 11 बजे थे ! दक्षिण पूर्वी दिल्ली के अपने निवास में आधा घंटे पहले सोये शमीम खान अचानक नींद से जाग उठे!  उनके सेल फोन की घंटी लगातार बज रही थी! नींद की खुमारी में ही उन्होंने फ़ोन उठा लिया-' हैलो '! 
     उधर से आवाज़ आई-' आपने  'मुख्तार भाई' ( बदला हुआ नाम) से बारह हज़ार रुपये मांगे थे न ?'
शमीम खान अवाक् थे ! दिन मे सचमुच उन्होंने फ़ोन करके मुख्तार से 12000/ मांगे थे! उन्होंने समझ लिया कि मुख्तार ने ही इस आदमी से जिक्र किया होगा ! मुख्तार उनके दोस्त थे! उधर से उस आदमी ने कहना शुरू किया, -' आपका नंबर मुख्तार ने ही दिया है ! मैं आपको इसी नंबर पर पेमेंट भेज रहा हूं-'!
  नींद उड़ चुकी थी ! समस्या का निराकरण सामने था ! थोड़ी देर बाद फ़ोन स्क्रीन पर 10,000/ रुपया आने का मैसेज आया! साथ ही फ़ोन आ गया ,- ' सर्वर थोड़ा डाउन है, मैं दो हजार और भेजता हूं-'!
और फिर,,,,,स्क्रीन पर 2 हजार की जगह 20 हज़ार  का मैसेज आया ! शमीम भाई दो हजार की जगह बीस हजार देख कर हैरत में थे कि तभी फिर उसी शख्स का फ़ोन आ गया,- ' भाई साहब ! जल्दबाजी में अट्ठारह हज़ार रुपया ज़्यादा चला गया, प्लीज वापस भेज दो-'!
    रोज़ा नमाज़ के पाबंद शमीम खान उसे मुख्तार का परिचित समझ कर लुट गए ! उसी वक़्त उन्होंने दिए गए नंबर पर अपने अकाउंट से 18000/ रुपया भेज दिया, और खुशी खुशी बिस्तर पर लेट गए ! तब उन्हें क्या पता था कि वो तेजतर्रार साइबर अपराधियों के बिछाए जाल में फंस कर अपने खून पसीने की कमाई गवां बैठे हैं ! पुरसुकून नींद के आगोश में जाने से पहले उनके दिमाग़ में आया कि अकाउंट बैलेंस चेक कर लें!
    और जब चेक किया आँखों के आगे अंधेरा छा गया ! खाते में 12000/ आने की कौन कहे, 18000/ एक झटके में  निकल गया था ! 
     सुबह उन्होंने साइबर कैफे में जाकर ऑन लाइन शिकायत दर्ज करायी ! मामला साइबर क्राइम का था, इसलिए साइबर थाना बदरपुर जाना जरूरी था ! शमीम खान मेरे अच्छे मित्र हैं, उन्होंने मुझे साथ चलने को कहा ! मैं राजी था, उन्हीं की गाड़ी से साइबर थाना बदरपुर को रवाना हुआ! उस दिन होली थी, सड़क बिल्कुल खाली थी ! हम आधे घंटे में थाना पहुंच गए ! जाने के बाद पता लगा कि गलती से ऑन लाइन शिकायत दक्षिणपूर्व दिल्ली की जगह दक्षिण दिल्ली के साकेत थाना को चली गई है !  हमें वहां जाना पडा !
   वहां से साइबर क्राइम की कम्प्लेंट दुबारा बदरपुर थाने में ट्रांसफर हुई और हमें 2 दिन बाद आने को कहा गया ! थाने से निकलते हुए मायूस शमीम खान ने मुझ से कहा,-' पैसे वापस लौटने की उम्मीद तो है नहीं, पर मैं नहीं चाहता कि ऐसा फिर किसी के साथ हो ! यही सोच कर केस दर्ज करवाया है-! ये हरामखोर पकड़े जाना चाहिए-'!
     शमीम खान के इस एक कथन ने मुझे साइबर क्राइम पर लिखने के लिए उकसाया! केस मेरे सामने था ! लेटेस्ट टेक्नोलॉजी, आधुनिकतम गैजेट्स, तेज़ दिमाग़ पर आधारित अपराध की खतरनाक तिलिस्मी दुनियां ! अपराधी हज़ारों किलोमीटर दूर बैठा हमारे बैंक और बटुआ पर रेडार फोकस किए बैठा था ! विज्ञान और तकनीक के पंख पर बैठे इंसान से भी अपराधी दो कदम आगे खड़ा था ! सवाल गूंज रहा था, - इस शातिर दिमाग़ और रूपोश अपराधी को आखिर पकड़ते कैसे हैं ! जिज्ञासा बहुत बढ़ी, तो मैं साइबर थाने में दुबारा जाकर SHO ( थानाध्यक्ष) कुलदीप शेखावत से मिल कर साक्षात्कार का टाइम माँगा ! उन्होंने अगले दिन का वक़्त दे  दिया!
      मैंने तुरंत प्रतिष्ठित हिंदी पत्रिका ' उदय सर्वोदय' के चीफ़ एडीटर तबरेज खान को फ़ोन मिला कर स्टोरी पर चर्चा की तो वो फौरन तैयार हो गए! अगले दिन ( 30 मार्च 2024) को तयशुदा वक़्त पर हम शेखावत साहब के ऑफिस में थे---'

 मेरा पहला सवाल था --' इनका शिकार होने से कोई कैसे बच सकता है-?'
     ' भारती जी, फर्स्ट ऑफ आल , इस  नवीनतम तकनीक से लैस अपराधी से बचना है तो जागरूक नागरिक होना पड़ेगा ! जागरुकता ही आपको सुरक्षा दे  सकती है ! जानकारी,जागरूकता और लालच से दूर रहकर ही इन गुप्त लुटेरों से आप खुद को बचा सकते हैं-'!
(सवाल),,,,,' आज कल क्या ट्रेंड चल रहा है-'?
      ' ये कोई एक ट्रेंड पर नहीं चलते! मानवीय साइकोलोजी के माहिर जानकर हैं ये ! आजकल ये शेयर बाजार पे रेडार लगाए हुए हैं ! वहाँ बड़े शिकार मिलते हैं ! लोग लालच में फंस कर  इनके शिकार बन जाते हैं! यहां शिकार के लिए चारा डालने से पहले वो शेयर बाजार का पूरा स्टडी करते हैं, तब चुने हुए शिकार को लूटने का प्लान चॉक आउट करते हैं-'!
 (सवाल) ----' किस तरह करते हैं ये सब-?'!
 ' बड़े शिकार को भरोसा दिलाने के लिए ये एक बढ़िया एडवाइजर बन कर शेयर बाजार में पैसा इनवेस्ट करने की 'नेक सलाह' देते हैं ! धीरे धीरे इनके बताये रास्ते पर वो शख्स छोटी मोटी रकम जीतने लगता है ! फिर समय के साथ जीत की रकम और भरोसा दोनों बढ़ता जाता है ! शिकार को फंसाने के लिए  शिकारी अपनी जेब से चार पांच लाख रुपये दांव पर लगा देते हैं ! भरोसे और लालच में अंधे शिकार को पता ही नहीं चलता कि  शिकारी ही दोनों तरफ से पत्ते संभाले हुए है ! फिर बारी आती है  करोड़ों के इनवेस्ट की, और एक ही झटके में शिकार अपना सब कुछ गवां  बैठता है-'!
  (सवाल)  ----' और क्या हथकंडे अपनाते हैं-?'
 " सेक्स एक्स्टोरशन का कारोबार मेवात के साइबर अपराधियों में खूब चलता है ! वो अक्सर किसी बुजुर्ग को निशाना बनाते हैं! इनका फ़ोन उठाते ही बुजुर्ग को युवा लड़कियां स्क्रीन पर कपड़ा उतारती नज़र आती है! फिर वो बुजुर्ग को कपड़ा उतारने को कहती है, और यहीं से यौन फिरौती के शिकंजे में अमीर बुजुर्ग फंस जाता है! अक्सर ये सारा गेम लड़कों की तरफ से  होता है, और लड़की पोर्न वीडियो का एक एडिट फुटेज मात्र होती है ! इस तरह के रैकेट में फंसे बुजुर्ग अक्सर अपना दर्द  किसी को बता भी नहीं पाते-'!
  ( सवाल),,,,, ' साइबर क्राइम के कितने केस आते हैं रोजाना आपके थाने में -?'
    ' जनवरी से अबतक तीन महीने में  आठ हजार केस आ चुके हैं ! '
     सुनकर  मैं सन्न था  ! चलते चलते आखिरी सवाल पूछा -' सर ! देश की जनता और नागरिकों के लिए साइबर क्राइम को लेकर क्या सावधानी और सलाह देना चाहेंगे-?'
    " जागरूक बनें, लालच में मत पड़े ! पैसा कमाने का शॉर्ट कट रास्ता आपको मुसीबत में डाल सकता है ! किसी भी अजनबी लिंक या फ़ोन को अटेंड मत करें ! और,,,,,पुलिस को अपना दर्द बताने में देर मत करें-'!

    आधे घंटे बाद हम और तबरेज भाई दोनों जब कार से वापस लौट रहे थे तो दोंनो ही खामोश थे ! हमारे जेहन में साइबर अपराधियों की वहीं अदृश्य दुनियां और उनके रूपोश चेहरे की काल्पनिक तस्वीरें चक्कर लगा रही थीं !

            ( Sultan bharti journalist)