Friday, 27 October 2023

(व्यंग्य चिंतन)

(व्यंग्य चिंतन)

        "बाकी सब खैरियत है!"

          मैं दिल्ली पहुंच गया हूं ! रास्ते की हाल न पूछो ! सीट रिजर्व तो थी नहीं, मगर टीटी साक्षात धर्मराज युधिष्ठिर की तरह सतयुग से चल कर आए थे! पांच सौ रुपया लेकर थ्री टायर के डिब्बे में सफ़र करने की इजाज़त दे दी थी  ! सीट नहीं, सीट के बीच में सोने की इजाज़त ! सत्तू का  थैला सर के नीचे रख के मैं बेधड़क सो गया, मगर दाएं बायें सीट पर लेटे यात्री रातभर करवट बदल बदल कर जागते रहे ! हर  क्रिया की  प्रतिक्रिया होती है! बेटिकट होकर भी मेरा सोना क्रिया थी और सीट पर लेटकर यात्रियों का जागना प्रतिक्रिया ! यात्रियों को शंका थी कि उनके सोते ही मैं उनका सामान लेकर चलती ट्रेन से कूद जाऊँगा ! ( हालांकि उनके सूटकेस जंजीर में बंधे थे !)  लघुशंका के लिए हडबडी में उतरने की कोशिश में एक सज्जन ने अपना पैर मेरे हाथ पर ही रख दिया था   बाकी सब खैरियत है! 
         दिल्ली सुबह 5 बजे पहुंच गए थे ! डिब्बे से बाहर आते ही धर्मराज युधिष्ठिर  साक्षात  सामने थे!दो सौ मीटर प्लेटफॉर्म पर पूरब की ओर चल कर हम सभी एक टूटी हुई दीवार से बाहर आए! धर्मराज ने अंतिम संदेश दिया, -" बहुतै रिस्की काम होता है भाई तुम्हारा तो सिर्फ पांच सौ गया, हमारी  तो नौकरी चली जाती! लेकिन का करें, किसी की परेशानी हमसे देखी नहीं जाती, इसलिए- नेकी कर दरिया में डाल-! चलिए अब भवसागर पार हुआ-"। सत्तू का  थैला और धर्मराज का ज्ञान पाकर  हम चांदनी चौक की ओर चल पड़े ! रास्ते में आपस की बातचीत से पता चला कि धर्मराज ने किसी भी यात्री को टिकट नहीं दिया था !
            बाकी सब खैरियत है !
               अभी अभी सोकर उठा हूँ ! अखबार खोला तो पता चला कि चौक पर- हिन्दू मुस्लिम भाईचारा को मजबूत करने के लिए सभा का आयोजन हो  रहा है। मैं चाहकर भी खुद को नहीं रोक पाया, क्योंकि ये लाइलाज बीमारी मुझे बचपन से है ! इस बीमारी में पीड़ित व्यक्ति अपनी खाल नोच कर आनंदित होता है ! इस रोग को समाज सेवा भी कहते हैं ! शुक्र है कि ये इन्फेक्शन की श्रेणी में नहीं आता ! इस रोग से पीड़ित व्यक्ति  भूख प्यास की भी परवाह नहीं करते। रोगी पैदल यात्रा करने के मामले में बैल को भी पीछे छोड़ दे! उसे रोटी से ज्यादा ताली की दरकार होती है! मैं गया तो जरूर लेकिन जल्दी ही समझ में आ गया कि किसी को भी भाईचारा मजबूत करने की जल्दी नहीं थी !  एक वक्ता ने साफ साफ कह दिया कि जब तक उसे टिकट नहीं मिलेगा,तब तक इस इलाके में न सड़क मजबूत होगी ने भाईचारा !
         बाकी सब खैरियत है !!
           5 साल से बगैर नौकरी के हूँ, लेकिन खुशी की बात है कि अपना देश दुनियां की पांचवी आर्थिक महाशक्ति बन गया है ! विश्व गुरु होने ही वाले थे कि विधानसभा चुनाव आ गए ! अब 'ई वी एम' को लेकर विपक्ष विलाप शुरू करेगा ! (कोयल अपना अंडा हमेशा दूसरे के घोंसले में रख देती है!) जाने विपक्ष किसी को विश्वगुरु होते क्यों नहीं देख सकता ! हर आत्मनिर्भर गेहूँ के दाने में  'घुन' ढूढ़ना कब बंद करोगे ! पहले सिर्फ पंचायत होती थी, अब महापंचायत होने लगी है ! अब तो दिल्ली में भी पंचायत शुरू हो गई है ! किन्तु पंचायत होने से पहले ही प्रशासन को आकाशवाणी हो जाती है कि किस पंचायत से  'अमृतवर्षा' होगी और किस से शान्ति को डेंगू होने की उम्मीद है ! दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाली एक महापंचायत को रद्द कर दिया गया है, बाकी,,,सब खैरियत है!
          और,,,,,का बताएं चचा ! पहले पत्रकार खबरों की खोज के लिए जाने जाते थे, अब इतनी दूर की कौड़ी खोज लाते हैं कि सुनने वाले हफ्तों कोमा से बाहर नहीं आ पाते ! इधर जब से हमास और इजराइल के बीच जंग शुरू हुई एक स्वनामधन्य पत्रकार ने भारत के यादव और यहूदी को एक ही समुदाय  का बताकर दोनों को सकते में डाल दिया है! इतनी बड़ी खोज करने के पीछे उनका लक्ष्य क्या था, अभी ये खोज होना बाकी है! लेकिन देश के यादव समुदाय और उनके नेताओं में से किसी ने भी अभी तक अतीत के कुम्भ में खोए अपने इस नए भाई ( यहूदी) को  गले लगाने का कोई संकेत नहीं दिया है   ! हो सकता है कि आगामी लोकसभा चुनाव के पहले यादव और यहूदी में समानता की कोई नई एतिहासिक खोज और बरामद हो जाए,
      बाकी सब खैरियत है!
             कल से नवंबर शुरू हो रहा है, कई प्रदेशों में चुनाव है! प्रदेश कार्यालयों में विकास का टेंडर खुल रहा है ! कहीं खुशी  कहीँ ग़म ! कई लोग जिनको इस बार विकास  का टेंडर नहीं मिला , भावविह्वल होकर रोते देखे गए! गला  अवरुद्ध और आंखों से गंगा जमुना सरस्वती चालू ! बात ही ऐसी है, जिसने सिर्फ जनसेवा के लिए अवतार लिया हो, उसका टिकट कट जाए तो आत्मा कैसे कलपती है! दिसंबर मे आने वाले सारे सांताक्लॉज इधर नवंबर में ही गठरी लेकर निकलने वाले थे! अब कई लोग जमीन पर लोटपोट होकर अलाप रहे हैँ,- " मेरा सुन्दर सपना टूट गया !"
     सुबह चना खाकर निकला था, छह घंटे बाद घर लौट रहा हूँ! आज भी काम नहीं मिला! मन कर रहा है कि कहीं सेल्फी पॉइंट नजर आए तो किसी भरे पेट वाले के साथ सेल्फी ले लूँ !! भूखे पेट रह कर भी फील गुड वाला मौसम जो चल रहा है। 

बाकी,,,,, सब खैरियत है !!

             ( झुरहू चच्चा )

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