"आस्था ही तो है"
अपने देश में आस्था भी है और अमृतकाल भी ! सौभाग्य से दोनों प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं! बस - साधारण आंखों से नज़र नहीं आती,- जिन खोजा तिन पाइयाँ -! अमृतकल है लेकिन विरोधी और विपक्ष को बिलकुल दिखाई नहीं देता ! कारण - जाकी रही भावना जैसी -! भावना तो है किंतु उसमे आस्था नहीं है ! भावना में आस्था न हो तो मोतियाबिंद हो जाता है ! अमृतकाल का रसपान करना है तो आस्था पैदा करो ! फिर तो,,, तेरे द्वार खड़े भगवान भगत भर ले रे झोली -! आस्था नहीं है तो झोला उठा कर चलते बनो ! आस्था ने प्रगति करने में सबको पीछे छोड़ दिया है, ( कलि) "काल" का सारा "अमृत" आस्था की बदौलत है !
पहले आस्था सात्विक और शाकाहारी हुआ करती थी, बाद में मोनोपॉली बरकरार रखने के चक्कर में आस्थाओं में टकराव पैदा हुआ और आस्था में हिंसा की घुसपैठ हो गई ! फिर आस्था ने आस्था पर हमला बोल दिया, -' भला उसकी आस्था मेरी आस्था से श्रेष्ठ कैसे -'! वो और होंगे जो जियो और जीने दो - जैसे रूढ़िवादी विचारधारा पर अमल करते हैं, हम एक म्यान में दो आस्था नहीं रखने वाले ! तुम अपनी आस्था को लेकर पाकिस्तान चले जाओ ! ये हमारी आस्था का देश है, इस मामले में, एक बार मैने जो कमेंटमेंट कर दिया तो फिर हम संविधान की भी नहीं सुनते ! आस्था और बलि का पुराना रिश्ता रहा है ! पहले सरकारी पुल बनाने में भी लोहा,सीमेंट और बालू से ज़्यादा आस्था का ख्याल रखा जाता था, इसलिए नीव में मसाले से ज्यादा मानव बलि का ध्यान रखना पड़ता था ! जब से आस्था रहित पुल और फ्लाईओवर बनने लगे, आए दिन गिरने लगे हैं !
आस्था आहत हो रही है, चोटिल हो रही है और प्रचंड हो रही है ! कभी कभी तो ये आस्था किसी खास समुदाय वाले सिंगल पर्सन को देखने पर आगबबूला भी हो जाती है ! पिछले हफ्ते हरिद्वार में गंगाघाट पर कुछ दाढ़ी वाले युवकों को घूमते देख कर भी आस्था को क्रोध आ गया था ! अच्छा हुआ कि " एंटी आस्था एलिमेंट" वक्त की नज़ाकत को भांप कर वहां से हट गए, वरना चोटिल आस्था की टोह लेने वाले मीडिया के ' महावीर ' माइक लेकर पूछ रहे होते, - ' क्या तुम को पता नहीं कि तुम्हें देखने मात्र से आस्था आहत होने लगी है, फिर भी यहां चले आए! इस साज़िश में और कौन कौन शामिल है ! अपना नाम बताइए?"
आस्था को लेकर मल्ल युद्ध जारी है ! डिबेट में आने वाले बुद्धिजीवी अगर मारपीट करने में अक्षम और अनुभवहीन हैं तो उनका लाइव चीरहरण तय है ! पिछले दिनों एक योद्धा को महिला द्वारा - बडे़ बे आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले - से गुजरते देखा गया ! पहले कभी आस्था इतनी सेंसेटिव नहीं थी ! आज वाली आस्था में सहिष्णुता की मलाई नही है!
अब सियासत के भीष्म पितामह की समझ में आ गया है कि जनता को क्या चाहिए! अब आस्था में विकास की गति देख कर जनता खुश है ! बाकी विकास अभी पाइप लाइन में हैं! हॉर्न बजाते रहो, जगह मिलने पर साइड दी जाएगी! विकास की वरीयता क्रम में अभी आस्था के बाद दूर दूर तक कोई नहीं है ! पहले और अब की आस्था में बहुत अंतर है ! वर्तमान आस्था मोनोपोली चाहती है। इसलिए तमाम धर्म वैज्ञानिक फावड़ा लेकर दूसरों के धर्म की खुदाई में लग गए हैं! सारा गेहूं घुना हुआ साबित करना है ! नकली इतिहास खुरच कर हटाना है और असली को खोद कर निकालना है ! इतिहास के मर्मज्ञ फावड़ा लेकर काम में लग गए हैं, दुनियां हमारी जागरूकता देख कर हीनभावना के चलते सकते में है।
अब तो सियासत और समाज दोनो आस्था से चल रहे हैं ! अब तो आस्था ही पंच वर्षीय योजनाओं का मेरुदंड है ! आस्था सत्ता की नाभि का कल्याणकारी अमृत है, और आस्था ही सबसे बड़ा विकास ! इसलिए, धर्म की जय हो ! विश्व का विकास हो ! ( हमारा जो होना था हो गया!) सभी मानव एक हों ! ( यहां रुकावट के लिए खेद है!) तमसो मा ज्योतिर्गमय है -! ( अंदर का धर्मयोद्धा जाग रहा है, सारे घर के बदल डालूंगा !)
विगत दस दिन से अब मेरी सारी आस्था यूनिफॉर्म सिविल कोड की ओर मुड़ गई है !!