Thursday, 29 June 2023

(व्यंग्य भारती)। "आस्था ही तो है"

"व्यंग्य भारती"

    "आस्था ही तो है"

           अपने देश में आस्था भी है और अमृतकाल भी ! सौभाग्य से दोनों प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं! बस - साधारण आंखों से नज़र नहीं आती,- जिन खोजा तिन पाइयाँ -! अमृतकल है लेकिन विरोधी और विपक्ष को बिलकुल दिखाई नहीं देता ! कारण - जाकी रही भावना जैसी -! भावना तो है किंतु उसमे आस्था नहीं है ! भावना में आस्था न हो तो मोतियाबिंद हो जाता है ! अमृतकाल का रसपान करना है तो आस्था पैदा करो ! फिर तो,,, तेरे द्वार खड़े भगवान भगत भर ले रे झोली -! आस्था नहीं है तो झोला उठा कर चलते बनो ! आस्था ने प्रगति करने में सबको पीछे छोड़ दिया है, ( कलि) "काल" का सारा "अमृत" आस्था की बदौलत है !
            पहले आस्था सात्विक और शाकाहारी हुआ करती थी, बाद में मोनोपॉली बरकरार रखने के चक्कर में आस्थाओं में टकराव पैदा हुआ और आस्था में हिंसा की घुसपैठ हो गई ! फिर आस्था ने आस्था पर हमला बोल दिया, -' भला उसकी आस्था मेरी आस्था से श्रेष्ठ कैसे -'! वो और होंगे जो जियो और जीने दो - जैसे रूढ़िवादी विचारधारा पर अमल करते हैं, हम एक म्यान में दो आस्था नहीं रखने वाले ! तुम अपनी आस्था को लेकर पाकिस्तान चले जाओ ! ये हमारी आस्था का देश है, इस मामले में, एक बार मैने जो कमेंटमेंट कर दिया तो फिर हम संविधान की भी नहीं सुनते ! आस्था और बलि का पुराना रिश्ता रहा है ! पहले सरकारी पुल बनाने में भी लोहा,सीमेंट और बालू से ज़्यादा आस्था का ख्याल रखा जाता था, इसलिए नीव में मसाले से ज्यादा मानव बलि का ध्यान रखना पड़ता था ! जब से आस्था रहित पुल और फ्लाईओवर बनने लगे, आए दिन गिरने लगे हैं ! 
        आस्था आहत हो रही है, चोटिल हो रही है और प्रचंड हो रही है ! कभी कभी तो ये आस्था किसी खास समुदाय वाले सिंगल पर्सन को देखने पर आगबबूला भी हो जाती है ! पिछले हफ्ते हरिद्वार में गंगाघाट पर कुछ दाढ़ी वाले युवकों को घूमते देख कर भी आस्था को क्रोध आ गया था ! अच्छा हुआ कि " एंटी आस्था एलिमेंट" वक्त की नज़ाकत को भांप कर वहां से हट गए, वरना चोटिल आस्था की टोह लेने वाले मीडिया के '        महावीर ' माइक लेकर पूछ रहे होते, - ' क्या तुम को पता नहीं कि तुम्हें देखने मात्र से आस्था आहत होने लगी है, फिर भी यहां चले आए! इस साज़िश में और कौन कौन शामिल है ! अपना नाम बताइए?"
        आस्था को लेकर मल्ल युद्ध जारी है ! डिबेट में आने वाले बुद्धिजीवी अगर मारपीट करने में अक्षम और अनुभवहीन हैं तो उनका लाइव चीरहरण तय है ! पिछले दिनों एक योद्धा को महिला द्वारा - बडे़ बे आबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले - से गुजरते देखा गया ! पहले कभी आस्था इतनी सेंसेटिव नहीं थी ! आज वाली आस्था में सहिष्णुता की मलाई नही है!
      अब सियासत के भीष्म पितामह की समझ में आ गया है कि जनता को क्या चाहिए! अब आस्था में विकास की गति देख कर जनता खुश है ! बाकी विकास अभी पाइप लाइन में हैं! हॉर्न बजाते रहो, जगह मिलने पर साइड दी जाएगी! विकास की वरीयता क्रम में अभी आस्था के बाद दूर दूर तक कोई नहीं है ! पहले और अब की आस्था में बहुत अंतर है ! वर्तमान आस्था मोनोपोली चाहती है। इसलिए तमाम धर्म वैज्ञानिक फावड़ा लेकर दूसरों के धर्म की खुदाई में लग गए हैं! सारा गेहूं घुना हुआ साबित करना है ! नकली इतिहास खुरच कर हटाना है और असली को खोद कर निकालना है ! इतिहास के मर्मज्ञ फावड़ा लेकर काम में लग गए हैं, दुनियां हमारी जागरूकता देख कर हीनभावना के चलते सकते में है।
    अब तो सियासत और समाज दोनो आस्था से चल रहे हैं ! अब तो आस्था ही पंच वर्षीय योजनाओं का मेरुदंड है ! आस्था  सत्ता की नाभि का कल्याणकारी अमृत है, और आस्था ही सबसे बड़ा विकास !  इसलिए, धर्म की जय हो ! विश्व का विकास हो ! ( हमारा जो होना था हो गया!)  सभी मानव एक हों ! ( यहां रुकावट के लिए खेद है!)  तमसो मा ज्योतिर्गमय है -! ( अंदर का धर्मयोद्धा जाग रहा है, सारे घर के बदल डालूंगा !)

           विगत दस दिन से अब मेरी सारी आस्था यूनिफॉर्म सिविल कोड की ओर मुड़ गई है !!

        
        

Sunday, 18 June 2023

"व्यंग्य भारती"। 72 हूरों का पैकेज

(व्यंग्य "चिंतन")

    " 72   हूरों   का पैकेज"

               मीडिया का कब्ज इस बार हूरों की बदौलत दूर हो रहा है ! कुछ लोगों के लिए तो हूर का ज़िक्र ही झंडू पंचारिष्ठ का काम करता है और अगर मामला इकट्ठा 72 हूरों का हो तो महान लोग  स्वर्ग की अप्सराओं का मोह छोड़ कर हूरों के हवनकुंड में कूदने आ जाते हैं ! इस स्वादिष्ट शास्त्रार्थ में चैनल के मीडिया प्रभारी कुछ अधेड़ "हूरों" को भी शामिल कर लेते हैं ताकि बूढ़े दर्शकों की भी आस्था बनी रहे। हूरें सदैव से आकर्षण का केंद्र रही हैं, अब बहस इस बात को लेकर है कि किसी सम्प्रदाय विशेष को ऐसा बड़ा पैकेज क्यों ! ये तो ईश्वर द्वारा किया गया  सरासर तुष्टिकरण का केस है ! ज़िंदगी में चार हूरों का पैकेज और मरने के बाद 72 हूरों का ! इस तुष्टिकरण के खिलाफ चैनलों ने जेहाद छेड़ दिया है! ऊपरवाला बरामद नहीं हो रहा है, इसलिए नीचे दाढ़ी वालों के पीछे माइक लेकर दौड़ रहे हैं!
       चैनल वाले लिफाफा में 'पंजीरी' भी देते हैं, इसलिए दोनों संप्रदाय के धर्मयोद्धा डिबेट में आ जाते है ! देवपुरुष से ज़्यादा , डिबेट में आईं (एक्सपायरी डेट छूती) हुरें गुस्सा हैं ! एक हूर कुपित होकर दाढी वाले पर गुस्सा निकाल रही है, - ' तुम मर्दों के लिए बहत्तर हूरें, हमारे लिए क्या -!'
     दाढी वाले सन्न ! बुढ़ापे के दहलीज़ पर खड़ी "हूर" जन्नत में मिलने वाले पैकेज को लेकर अभी से चिंतित है ! चिंता वाजिब भी है , कहीं स्वर्ग के संविधान में हूरों के पैकेज में पृथ्वी की तरह ब्वॉयफ्रेंड और लिव इन रिलेशनशिप की सुविधा न हुई तो ,,,! ( क्या जीना तेरे बिना -!) हूरों पर हुंकार भरते लोग और फुफकार मारती टीआरपी देखकर हर चैनल ने व्हिप जारी कर दिया, - ' मंहगाई, अपराध और समंदरी तूफ़ान जैसे सांसारिक विषय में कोई प्रोटीन नहीं है ! सारे लोग कैमरा और माइक लेकर मुस्लिम मोहल्लों में फेरी लगाओ, मस्जिदों की परिक्रमा करो !  सारे सवाल 72 हूरों को लेकर पूछो ! मगर सावधान, पढ़े लिखे से नहीं अनपढ़ और मज़दूर लोगों की बाइट ज़्यादा लेना ! हमारी टीआरपी और तुम्हारी सेलरी का फाइबर वहीं से आएगा , वरना यू आर फायर्ड -'!
     दिव्य पत्रकारों की अक्षौहिणी सेना कुरुक्षेत्र की ओर प्रस्थान कर गई ! ठेले पर आम बेचते एक दाढ़ी वाले को देख कर एक पत्रकार ने अपना माइक संभाला, -' क्या नाम है आपका?' 
       ' कलीम नाम है, सब कल्लू कहते हैं '!
          " हूर के बारे में क्या कहना है?"
      कल्लू भाई ने समझा कि कोई नए नस्ल का आम आया है , - ' मंडी में ढूंढ लो बाबू, अभी शायद गोदाम से निकला नहीं । वैसे मेरे पास तोतापरी है, बढ़िया जायका है -'!
     " हूर आम की नस्ल में नहीं आती ! मैं उस हूर की बात कर रहा हूं जो आप लोगों को मरने के बाद जन्नत में मिलती हैं -'!
       " तब तो मेरे दादा ही बता सकते हैं आपको, चलिए मैं उनकी कब्र दिखा देता हूं, आप खुद ही पूछ लेना - ! मुझे तो बहुत गाली देते थे -'!
        एक पत्रकार अपने केमरामैन के साथ पंचर बनाने वाले अब्दुल की दूकान पर जा पहुंचा ! लंच का वक्त था कल्लू भाई बिरयानी खा रहे थे! भूखे पत्रकार ने अब्दुल से पूछा,- ' अब्दुल भाई, बडे़ की बिरयानी है क्या?'
    ' बड़े की बिरयानी तो बडे़ लोगों को नसीब होती है बाबू जी ! हम तो पंचर जोड़ने वाले छोटे लोग हैं, बकरा और मुर्गा से ही काम चला लेते हैं '!
      ' हैसियत'  की ऐसी कबीर वाणी सुन एंकर हीनता के चलते सदमे में आ गया ! थोड़ी देर में खुद को संभाल कर अब्दुल से पूछा, -'  बहत्तर हूरों के बारे में कुछ बताएंगे -?'
      " हां हां बिल्कुल !"
एंकर ने चैन की सांस ली, -' सुना है कि मरने के बाद बहत्तर हूरें मिलती हैं आप लोगों को ! कैसी होती हैं देखने में -?'
    " काहे जल्दी मचा रहे हैं बाबू जी ? मरने के बाद हूरें मिलती हैं न ! पहले मरने तो दीजिए -! अभी से परेशान हो , चलिए ऑक्सीजन आने दीजिए -'!
     गली में रद्दी पेपर खरीदने वाले अच्छन मियां से एक पत्रकार ने पूछा, - ' ये बहत्तर हूरों का क्या मामला है मियां जी ?' 
     " पता नहीं बाबू! हमारे मोहल्ले में सत्तार मियां ही अकेले ऐसे मर्द हैं जो "दो" हूरों को झेल रहे हैं ! हालांकि चार हूरों की छूट है, पर दो हूरों के सिलबट्टे में पिस कर पहलवान सत्तार मियां दस साल में पचासी किलो से पचास किलो  पर  आकर अटके हैं ! बड़ा कलेजा है भाई का, पिसे जा रिया है !"
        पत्रकार बहत्तर हूरों तक पहुंच ही नहीं पा रहा था !  अच्छन मियां बता रहे थे, -' मुहल्ले के जो नवजवान लौंडे चार शादियों का नमकीन ख्वाब देखते थे, अब सत्तार मियां का हस्र देखकर तौबा तौबा करते हैं ! पर मियां तुम बताओ ये बहत्तर हूरों वाला कौन मर्द मुजाहिद है, अभी जिंदा है क्या?'
      एक यू ट्यूबर सब्जी बेचने वाले बाबू मियां से पूछ रहा था, -'  ये हूरें दिखने में कैसी होती हैं खां साहब?'
    "बिल्कुल टमाटर की तरह सुर्ख़ रंग , मूली के पत्ते की तरह हरी आंखें, शहतूत जैसे होंठ ,तरोई जैसी पतली कमर,  गरदन जैसी कोई सब्जी फिलहाल दूकान में नहीं है! कुल मिलाकर ये समझो बाबू जी, कि उनमें कोई आदत हमारी बीवियों जैसी नहीं होगी, कि घर में घुसे नहीं कि जेब पर डाका पड़ा -'!
          " तुम्हें तो मरने के बाद 72 हूरें मिल जाएंगी, औरतों को क्या मिलेगा ?'
      " यहां की दुनियां में ज़्यादा से ज़्यादा चार हूरों की इजाजत है, वहां ये आंकड़ा बहत्तर तक है ! पर न तो यहां हर कोई चार हूरों के साथ चैन से जीता है न वहां बहत्तर के साथ जन्नत में जी पाएगा।  बाकी मैं तो ठहरा जाहिल, मौलाना साहब  सही जानकारी देंगे आपको -'!

      उधर एक चैनल के डिबेट में दाढ़ी वाले एक युवक ने ये कह कर आग पर घी डाल दिया था, - ' जैसा अमल होगा वैसा ईनाम मिलेगा ! गीता में भी कहा गया है कि - जैसा करम करोगे वैसा फल देगा भगवान' -! बस फिर क्या था, डिबेट में बैठीं तीन अधेड़ "हूरों" ने इसे अपने "कर्म" पर कटाक्ष समझ कर दाढ़ी वाले पर सर्जिकल स्ट्राइक शुरू कर दी थी ! 

        दर्शकों में उत्साह छा गया , एक धर्मविशेष का चीर हरण देख कर विरोधियों को घर का कनस्तर बगैर आटे के भरता हुआ नज़र आ रहा था, देश आत्मनिर्भर हो रहा था और ऐसा लगता था कि विश्व गुरु होने के रास्ते की सारी बाधाएं अब जाकर दूर हुई हैं !   

   72 हूरों  के चलते प्रगति के कितने सारे मेगा प्रोजेक्ट रूक  गए थे !

       -  Sultan bharti - [Satirist]

 

Thursday, 15 June 2023

(व्यंग्य भारती) "सपनों का नया पैकेज "!

"व्यंग्य" भरती
                "सपनों का नया पैकेज"

     अब का बताएं भइया ! आम में भले बौर न आए, विकास मे भरपूर आता है! परसों मोहल्ले के नेता के बेटे का बर्थडे था, भूतपूर्व विधायक जी भी आए थे! ( भूतपूर्व होने के बाद प्राणी मुख्य धारा में आने के लिए कितना व्याकुल होता है!) मुहल्ले के लोगों को थोक में देख कर वो केक की जगह सपने बांटने लगे, -' आधा जून निकल गया,बारिश नहीं हुई! मैं जब विधायक था तो आंधी,तूफान, बारिश,आम का बौर हो या गोमती मे बाढ़ सब कुछ वक्त पर आती थी ! कोई समस्या हो तो बताएं?'
                    समवेत स्वर में कई समस्याएं पेश हुईं, -' आपने जितने फार्म भरवाए थे, किसी को पेंशन नहीं मिली '!
      ' अभी तक मुझे आवास नहीं मिला '! 
    ' गांव तक आने वाली जो सड़क विधायक फंड से बनवाया था, वो एक बरसात में बह गई  '!
    ' मनरेगा में काम तो हुआ लेकिन मजदूरी नहीं मिली'!
    ' पुष्टाहार योजना का चना नही मिल रहा '!
" बिजली बराबर नहीं आ रही '-!
    आख़िरी शिकायत में फाइबर था, नेता जी को ऑक्सीजन मिली, - ' देखिए, ये सरकार जन विरोधी है।देश को बाइसवीं सदी में ले जानें की जगह गुफा युग में ले जा रही है ! अगले साल आपको इनके षड्यंत्र से बाहर निकलना है"!
 मुहल्ले के एक बुजुर्ग ने नेता जी की दुखती रग पर हाथ रखा दिया, -'  नये विधायक ने कहा है कि वो आपकी जांच करवाएगा, किस चीज की जांच?"
    नेता जी को लगा केक का कोई टुकड़ा गले में फंस गया है, गुस्सा पीकर वो मुस्कराए,  -' सत्ता पक्ष का काम है विपक्ष पर झूठे आरोप लगाना, मैं इसका बुरा नहीं मानता ! अभी तीन साल बाकी है, तब तक जानें कितने आरोप लगेंगे! मैंने तो जनता के उद्धार के लिए ही अवतार लिया है -'!
        इस वक्त देश में अमृतकाल चल रहा है ! कहां से आया और क्यों चल रहा है, छोड़ो ये न पूछो ! इस वक्त विकास को लेकर परस्पर विरोधी