तीन एंकर
महानगर में दंगा हो गया! पूरी रात शहर दंगाईयों के कब्जे में रहा ! गरीबों को लूटने और घर जलाने के साथ साथ मस्जिदों में तोड़ और आगजनी भी की गई ! दंगाईयों ने हथियार लहराते हुए पीड़ितों पर ईट पत्थर फेंके, मस्जिदों पर हमला किया, नमाजियों के साथ मार पीट की और एक प्राचीन मदरसे में आग लगा दी ! अगले दिन दोपहर तक मीडिया के लोग सक्रिय हो गए। एक एंकर जलाए गए मुहल्ले में, दूसरा उस मस्जिद मे जिसके नमाजियों को घुस कर पीटा गया था, और तीसरा एंकर जलाए गए प्राचीन मदरसे में जा पहुंचा !
( पहला एंकर )
' मैं उस मुहल्ले में हूं , जहां 'कथित' रूप से लूटपाट और आगजनी हुईं है ! हर्ष का विषय है कि भीड़ ने किसी को जान से नहीं मारा ! इसका अर्थ है कि अभी भी अपने देश के लुटेरों में दया, भाईचारा और सहिष्णुता का अभाव नहीं है ! किसी विद्वान ने क्या खूब कहा है, -' दया समान धर्म नहीं दूजा -! इस मोहल्ले में दंगाईयों ने लूटा पीटा, आग लगाया किन्तु दया और इंसानियत पर अटल रहे ! हमें उनसे सीख मिलती है कि दंगे के समय भी दया और मानवता नहीं त्यागना चाहिए -'!
मीडिया को देखकर जले हुए घरों से कुछ लोग निकल कर देखने लगे थे, एंकर माइक लेकर एक महिला के पास जा पहुंचा , - ' धार्मिक जुलूस था, आप लोगों की तरफ से उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए पथराव किया गया था ! पहला पत्थर आप में से किसने फेंका था -'?
" किसी ने नहीं !'
पत्रकार की भावना को ठेस पहुंची,- ' ठीक से सोचो ! बगैर पथराव के दंगा कैसे हो सकता है ! लगता है सदमे की वजह से तुम्हारी याददाश्त जा चुकी है , अब तो अगले दंगे में ही याददाश्त वापस लौट पाएगी-!'
'हम सब मज़दूर हैं, पथराव क्यों करते! जुलूस तो पिछले साल भी आया था- '!
' अच्छा! तो पिछले साल आप लोगों ने पथराव नहीं किया था, तो इस साल भी न करते ! चलिए अब उस मास्टर माइंड का नाम बताइए, जिसने पथराव और दंगे की प्लानिंग बनाई थी?"
तभी एक और महिला चिल्लाई, -' मार दहिजरे को ! हमारा घर जला और हमारे ही आदमी जेल में बन्द किए गए, ये घाव पर नमक छिड़क रहा है -'!
औरतों की भीड़ को पत्थर ढूढते देख एंकर और कैमरामैन भाग निकले!
( एंकर नंबर 2 )
ये एंकर ठीक उस वक्त मस्जिद के अंदर पंहुचा जब लोग रोजा इफ्तार की तैयारी कर रहे थे। माइक और कैमरा देखकर कुछ बुजुर्ग नमाज़ी पास आ गए ! एंकर ने पूछा, -' परसों आख़िर हुआ क्या था ?'
सर पर पट्टी बंधवाए हुए एक बुजुर्ग बताने लगे, -' हम लोग रोजा खोल रहे थे, तभी लाठी डंडे और लोहे की सरिया लेकर भीड़ अंदर आई और मार पीट शुरु कर दिया!"
' एफ आई आर में जिक्र है कि मस्जिद से पथराव हुआ था,आप लोग इफ्तारी में भी पत्थर लेकर बैठते हैं - ' ?
' हमारी इफतारी चेक कर लीजिए !'
' अगर आपने पथराव नहीं किया तो जुलूस वालों को चोट कैसे लगी! आपमें तो कोई घायल नहीं हुआ ?'
' शायद आपको हमारे सर पर बंधी पट्टी भी नज़र नहीं आ रही '-!
" पट्टी से तो पता नहीं चलेगा कि पत्थर जुलूस की तरफ़ से आया या मस्जिद की तरफ से ! क्या पता आप किसी नमाज़ी के पथराव का निशाना बने हों! किसी नमाज़ी से कोई पुरानी रंजिश - ?'
बुजुर्ग अपना बाल नोचता हुआ चीखा, -' खुदा के वास्ते मस्जिद से निकल जा ! वर्ना हम सब पागल हो जाएंगे -'!
मस्जिद से बाहर आकर एंकर माइक पर व्यूअर्स को बताने लगा, -' दर्शक सीधी तस्वीरें उस मस्जिद की देख रहे हैं, जहां से परसों धार्मिक जुलूस पर पथराव हुआ था और भक्तों को गंभीर चोटें आईं थीं! मस्जिद में आज भी काफ़ी लोग जमा है, और पुलिस का दूर दूर तक कोई पता नहीं है ! ऐसे में कोई जुलूस निकला तो मस्जिद की तरफ से पथराव होना तय है ! कैमरामैन धृतराष्ट्र के साथ मैं कुमार दिव्य दृष्टि!"
( तीसरा एंकर)
यह एक जला हुआ प्राचीन मदरसा था जहां सैकड़ों दुर्लभ मजहबी ग्रंथ जला डाले गए थे! मदरसे के एक बुजुर्ग टीचर एंकर को दिखाते हुए बता रहे थे, -' ये इतना बड़ा नुकसान है, जिसकी भरपाई नहीं हो सकती "!
' क्यों ?'
" सैकड़ों साल पुरानी किताबें कहां से आएंगी!'
' आग लगाने वाले कौन थे '?
' हिंसक भीड़ थी, भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता ! मदरसे की पहचान जिन किताबों के बदौलत दुनियां में थी, उसे जला दिया गया -'!
' ऐसा लगता है पड़ोसी राज्य बंगाल से उपद्रवी आए थे, आपका क्या कहना है?'
' मैं कैसे बता सकता हूं, ये तो जांच करने के बाद पता चलेगा -'!
" बंगाल के लोग मछली बहुत खाते हैं,यहां चारों ओर मछली की गंध फैली हुई है! आप हमारे कैमरे पर बयान दीजिए कि दंगाई लोग पश्चिम बंगाल से आए थे -'!
"ये महक मछली की नहीं , मिट्टी के तेल की है ! दंगाईयों ने मिट्टी का तेल डालकर आग लगाई थी '!
एंकर बिलकुल हताश नज़र आने लगा था, बुजुर्ग टीचर बता रहे थे, - ' मछली तो हम भी खाते हैं "!
" तो फिर,,, हो सकता है, मदरसे में उस दिन मछ्ली पकाते हुए आग लगी हो ! याद कर के बताओ, उस दिन कौन सी मछ्ली पका पका रहे थे आप लोग -"?
बुजुर्ग को बिलकुल गुस्सा नहीं आया, - " वो दूसरी इमारत है, जहां खाना बनता है, उसमें आग नहीं लगाई गई, आइए छत पर चलते हैं "!
छत पर सीमेंट, ईट और रोड़ी पड़ी थी, देखते ही एंकर का मायूस चेहरा खिल उठा , -' तो,,, यही है वो गुप्त जगह, जहां से उस दिन धार्मिक जुलूस पर पथराव किया गया था ! कितने आदमी थे ? '
" उस दिन कोई जुलूस नहीं निकला था , भीड़ आई थी जो लूटमार और आगजनी करके चली गई -'!
" अच्छा ! मतलब आप लोगों ने जुलूस को निकल जाने दिया, पीछे चल रही भीड़ पर पथराव किया था ! पथराव करने में आप के साथ मदरसे के और कितने आदमी थे ?"
बुजुर्ग टीचर गंभीर होकर बोला,-' मुझे तो पत्थर बाज़ साबित ही कर दिया तुमने, बाकी की पहचान भी तुम्हीं बता दो -! बस इतना और बता दो, कि इतना इल्म लाते कहां से हो -'!!
आधे घंटे बाद मदरसे से बाहर आकर एंकर अपने कैमरे के सामने बोल रहा था, -' हर्ष का विषय है कि मदरसे की छत से हुए पथराव से भीड़ को चोट नहीं लगी ! लगता है जैसे, पथराव से क्रुद्ध भीड़ ने ही मदरसे में आग लगाई थी ! अगर मदरसे के स्टॉफ और छात्रों पर सख्ती की जाए तो ईंट का ईंट और मछ्ली का मछ्ली पता चल जायेगा -' !!
मछली वाले बर्तन की खोज जारी है !!
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