"नफरत के सलीब पर टंगा भाईचारा"
आखिर 'एक जुर्म' के दो मापदण्ड कैसे हो सकते हैं ! संविधान सम्मत सजा तो एक ही होनी चाहिए, बेशक गुनहगार किसी भी जाति या संप्रदाय का क्यों न हो ! सबके खून का रंग एक है तो नागरिक मूलभूत अधिकार और सुविधाएं भी सबके लिए एक जैसी हैं ! न्याय भी सबके लिए एक तरह का है । लेकिन लगता है कि न्याय पालिका,कार्यपालिका, विधायिका और ( अधिक तर) मीडिया की सोच और संवेदनाएं इस न्यायिक अधिकार से मेल नहीं खाती!
नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल की जहरीली सोच और जबान ने पूरे देश और दुनियां मे बारूद छिड़क दिया है! सामाजिक और राजनैतिक रिश्तों की अग्नि परीक्षा शुरू हो चुकी है! चैनलों पर बैठे गैर जिम्मेदार लोगों ने आखों पर धृतराष्ट्र का चश्मा लगा लिया है ताकि सच से दामन बचा रहे ! नूपुर शर्मा और जिंदल के गुनाह पर चुप्पी और पत्थरबाजी पर तुरंत बुलडोजर की हिमायत करने वाले मीडिया महावीर मासूम लोगों के कत्ल पर भी मुंह सिले बैठे हैं! सचमुच प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ अपने सबसे बुरे संक्रमणकाल से गुजर रहा है।!
देश से विदेश तक बवाल और नमाजियों पर ड्रोन की नज़र ! आस्था कही इतनी संवेदनशील कि प्रोफेसर रतनलाल को जेल के अंदर पहुंचा दे, तो,,,, वही आस्था कहीं इतनी कुपोषित हो जाती है कि ' अल्लाहु अकबर' कीआवाज उठाने पर गोली,जेल और बुल्डजर का तोहफा दिया जाता है ! दूसरी तरफ,,,सच न बोलने की शपथ लेकर चैनल्स पर बैठे नफ़रत के तीरंदाज सिर्फ चारण बन कर रह गए हैं!
और अब अग्निवीर ! चार दिन में खरबों रुपए की सरकारी संपत्ति राख कर देने वाले भावी अग्निवीरो के 'मासूम गुनाह' देख कर बुल्डोजर कोमा में पड़ा है ! चैनलों पर बैठे जिम्मेदार वीर पुरुष इन "भटके हुए"."अपने बच्चों" की घर वापसी के लिए घनघोर चिंतित हैं ! समझ में नहीं आ रहा है कि अग्निपथ के लिए कांग्रेस को किस तरह जिम्मेदार ठहराया जाए ! सच की बिल्ली देखकर कबूतर की तरह आंख बंद कर लेने वाला मीडिया आग में जलती रेल की जगह. कैमरा राहुल गांधी पर फोकस किए बैठा है ! राहुल गांधी का जुर्म जलती रेल से भी कहीं ज़्यादा बड़ा है !
तीन दिन बाद अग्निवीर भरती के लिए खड़े मिलेंगे ! अग्निपथ पर चलकर अग्नि (कांड) कर चुके अनुशासित अग्निवीर प्रैक्टिकल में पास हो चुके है ! रहा उनके स्वर्णिम भविष्य का सवाल तो वो चार साल बाद देखा जायेगा।.( अभी से इस योजना में घुन तलाशना ठीक नहीं होगा)!. वैसे अग्निपथ के कार्पेट पर हुए अग्निकांड के दौरान पुलिस और प्रशासन को कहीं भी "पत्थरबाजी" जैसा "अक्षम्य अपराध" नहीं नज़र आया जिसके लिए बुल्डोज की जरूरत पड़ती !
बीस जून को अग्निपथ के विरोध में भारत बंद रहा ! (विपक्ष इस बंद में भीअपने लिए ऑक्सीजन तलाशता रहा ! ) इस तरह की राष्ट्रीय समस्याओं पर सर्व दलीय मीटिंग बुला कर सर्व सम्मति से समाधान पर सहमति तलाशी जाए !
आखिर में, सवाल नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल पर आस्था का दोहरा माप दंड और दर्द को देखने का दोहरा अंदाज़ पर न्यायपालिका कब अपनी चुप्पी तोड़ेगी! बाबरी मस्जिद पर आए सुप्रीम फैसले में स्वीकार किया गया कि मस्जिद के नीचे कोई मंदिर नही था ! फिर भी मुस्लिम कानून का एहतराम करते हुए सब्र कर गए ! और अब,,,, पैगंबर मुहम्मद ( स अ स) की शान में गुस्ताखी!! इसे संयोग समझा जाए या मुसलमानों की सहनशीलता नापने का) प्रयोग ! इस्लाम और उनके अज़ीम पैगंबर पर अभद्र टिप्पणी से आख़िर हासिल क्या होता है !!
मुसलमान होने के एक बेसिक शर्त है कि ,- ' मुहम्मद से मुहब्बत दीन ए हक़ की शर्ते अव्वल है ! इसी में हो अगर खामी तो सब कुछ 'लामुकम्मल' है -'!!
धार्मिक आस्था में वैराईटी नही होती,हर धर्म के अनुयाई की आस्था का सम्मान होना चाहिए ! लकुम दीनकुम वल्या दीन-.का पालन करने वाले मुस्लिम यही अपेक्षा दूसरों से भी रखते हैं। सच्चाई,सहस्तित्व,सौहार्द, शुजाअत (शूरवीरता) हुब्बलवतनी।( देशप्रेम) और शहादत के लिए विश्व भर में विख्यात कौम
हर जुल्म को इम्तिहान समझ कर सब्र कर सकती है पर पैगंबर ए इस्लाम की शान में गुस्ताखी कभी बर्दाश्त नहीं होगी।
इसलिए,आस्था और दर्द के लिए दो अलग अलग मापदण्ड नही होने चाहिए.!!
।।। ( सुलतान भारती) ।।।
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