Sunday, 16 January 2022

'बही खाता' नुकसान उठाने का अध्यात्म

"बही खाता"
                ' नुकसान पर खुश होनें का आध्यात्म"

        आज़ सुबह से मूड खराब है। रात बेटे ने जाने कहां फ़ोन गिरा दिया ! कॉलेज लाईफ में खोने वाला ये बेटे का दूसरा फोन था ! बेटा इकलौता हो तो बिगड़ने और लगातार नुकसान पहुंचाने का अधिकार पत्र लेकर पैदा होता है ! दस हजार का फटका लग चुका था!  मैं घर के बाहर उदास बैठा था कि तभी मुहल्ले के ज्योतिषी 'दिशा शूल  शास्त्री' जी तोते का पिंजरा लेकर उधर से निकले ! 
मेरे पास आकर बोले, - ' काहे पेड़ से लटके चमगादड़ जैसा मुंह लटकाए  हो ! माजरा का है ?" 
      मेरी नज़र शास्त्री जी के तोते पर थी ! उनका तोता मुझे फूटी आंख भी नहीं देखना चहता था ! उसे पत्रकार और लेखकों से सख्त एलर्जी थी ! मुझे देखते ही उसने शोर मचाया, -' भाग भाग भाग !' 
     शास्त्री जी ने तोते से पूछा, -' क्या हुआ चिंतामणि '?
तोते ने यलगार किया , -' मार ! मार !! मार !!!'
     शास्त्री जी ने मुझसे पूछा, - " ये क्या हाल बना रक्खा है, पहली डोज लगवाई है  का ?"
     " नहीं, एक फोन पहले भी खो चुका था - यह दूसरा फोन था "!
       " तो का हुआ ! समझिए बहुत बडी दुर्घटना होते होते रह गई ! का पता कोई ट्रेन आपके ऊपर से गुजरने वाली थी, जो दस हजार के नुकसान पर ही रुक गई !''
    " मेरे घर के आस पास तो कोई रेलवे लाईन नहीं है ?"
       " चिंतामणि ने तुम्हें देखते ही तीन बार ' मार मार मार ' कहा ! कम से कम तीन दिन तक रेलवे लाईन से दूर रहना ! अलबत्ता कहो तो मैं ' काल छाया हरण ' मंत्र का जाप करवा दूं ? सिर्फ पांच सौ इक्यावन रुपए का खर्चा आयेगा बस "!
      " तीन दिन बाद सोच कर बताऊंगा "!
 शास्त्री जी से पहले उनका तोता गुस्से में चिल्लाया,- " थू थू थू ! आगे बढ़ !!"
      दिशा शूल शास्त्री जी ने अपने तोते को समझाने की बजाय मुझे सलाह दी, -' बेहतर है कि तुम चिंतामणि के रास्ते में मत पड़ो !' तोता पिंजरे के अंदर से मुझे तिरछी नजरों से ताड़ रहा था! मैंने जान बूझ कर ज़ोर से कहा, - ' कोरोना के सीजन में इतना मंहगा तोता कैसे अफोर्ड कर रहे हैं आप? मैं एक ऐसा तोता दिलवाता हूं जो मिर्ची की जगह सिर्फ ऑक्सीजन लेता है "!
      शास्त्री जी जाने कब से ऐसे ही तोते की तलाश में थे, ऑफर सुनते ही वो फौरन धर्मसंकट में पड़ गए, खतरा भांप कर तोता चिल्लाया, - " यजमान आया ! यजमान आया !! यजमान आया !!"
    शास्त्री जी पिंजरा लेकर चौराहे की ओर बढ़ गए !
                 काले धागे के साथ ढेर सारी ताबीज, भभूत, रेडीमेड गंडा, अभिमंत्रित जल की बोतलें, नींबू और लाल मिर्च पाउडर साइकल पर लिए कॉलोनी के जानें माने बंगाली तांत्रिक बाबा कोरोना शाह सामने से आ गए ! मैने पूछ लिया,. ' सायकल लेकर भी पैदल पदयात्रा भांज रहे हैं ! पंचर है का ?"
      " तुम्हें देख कर रुक गया था ! सुना है कि तुम्हारे लौंडे ने फ़ोन गुमा दिया ? बड़े किस्मत वाले हो !"
  " काहे अंगारे पर माचिस गिराते हो शाह जी?"
" सही कह रहा हूं, फ़ोन खोने को नुकसान में मत काउंट करो ! समझ लो कोई बहुत बड़ी  मुसीबत टल गई ।"
   " बगैर फ़ोन की बलि लिए मुसीबत टल जाती तो मान जाता सूफ़ी जी " !           
             " तब कैसे  मान जाते ! तुम्हारे जैसे नास्तिक नुकसान उठाकर तो मानते नही , बगैर नुकसान के कब मानने वाले हो !" 
        " दस हजार के फोन ने घर के बजट को विकलांग बना दिया !"
       " क्या पता तुम्हारे ऊपर कोई उल्कापिंड गिरने वाला था और आखिरी पल में सिर्फ फोन लेकर लौट गया !! तुम्हें तो इस नुकसान पर खुशी मनानी चाहिए "!
      " खुशी मनाने से फोन तो लौटने से रहा "!
    " गज़ब के आदमी हो ! खुद उल्कापिड के जबड़े से निकल आए , उसकी खुशी नहीं है ! कम से कम तुम्हें इक्यावन रुपए वाली एक ताबीज़ तो लेनी चाहिए "!
       " कौन सी ताबीज़ ?"
   " कोरोना का सीज़न चल रहा है, ऐसा करो कि एक 'कोरोना शिकस्त गंडा"  बंधवा लो , फ़ायदे में रहोगे ! "
        " कैसे ''   ?
" इसे भाभी जी भी पहन सकती हैं। बस थोड सा लोबान और डालना होगा "! 
      " तुम्हारा ये ताबीज़ उल्कापिंड से तो बचा लेगा न" !
              बस सूफी साहब भड़क उठे,- ' इक्यावन रुपए में ही जन्नत का पूरा मॉल खरीदोगे क्या ! तुम्हारे पड़ोस में बस कर मैने खोया बहुत है, पाया कुछुवै नाही "!
         अगले दिन बाबा  "मोहमाया निष्ठुरानंद" के ठीये पर गया ! उनके एक मुरीद ने बताया था कि बाबा हर खोई हुई चीज का सही सुराग ढूंढ बता देते हैं ! इस नेक काम के लिए कुछ लेते भी नहीं , मोह माया से पूरी तरह निष्ठुर हैं ! 'कुछ लेते ही नहीं ' सुनकर मेरी मृतप्राय आस्था में भी अंकुर फूटा था ! मगर मेरी कहानी सुनकर बाबा निष्ठुरा नंद ने डरावनी गंभीरता ओढ़ ली, - " फ़ोन बहुत दूर जा चुका है! वापस लाने के लिए एक जोड़ी जिन्न और एक जोड़ी पिशाच भेजना होगा !" 
      " खाली पिशाच से काम नहीं चल सकता?"
" नहीं, " बाबा निष्ठुरता से बोले-" मोह माया से मुक्त हो कर सोचो ! तेरा था क्या जो खोने का शोक करता है ! जो कल तक तेरा था , आज किसी और का है ! जिन्न और पिशाच के कल्याण हेतु खर्च न किया तो कल किसी और का हो जाएगा "!
        " जिन्न और प्रेत का कितना खर्चा आयेगा ?"
   मगर बाबा के कुछ बोलने से पहले ही एक नए नंबर से बेटे ने फोन करके बताया -" पापा ! फोन नाई की दूकान पर छूट गया था ! आज दो दिन बाद उसने दूकान खोली तो नंबर देखकर फोन किया है ! जा रहा हूं फोन लाने "!
    "क्या हुआ यजमान ?" शंकित होकर बाबा ने पूछा !!
" कुछ नहीं, जिन्न और प्रेत फोन लेकर नाई की दूकान पर बैठे हैं - मुझे बुलाया है !!"

                   बाबा को काटो तो खून नहीं !!

              ( सुलतान भारती)

       

1 comment:

  1. तोता पिंजरे के अंदर से मुझे तिरछी नजरों से ताड़ रहा था! मैंने जान बूझ कर ज़ोर से कहा, - ' कोरोना के सीजन में इतना मंहगा तोता कैसे अफोर्ड कर रहे हैं आप? मैं एक ऐसा तोता दिलवाता हूं जो मिर्ची की जगह सिर्फ ऑक्सीजन लेता है "!
    शास्त्री जी जाने कब से ऐसे ही तोते की तलाश में थे, ऑफर सुनते ही वो फौरन धर्मसंकट में पड़ गए, खतरा भांप कर तोता चिल्लाया, - " यजमान ! यजमान !!"
    बहुत बढ़िया लिखते हो मज़ा आ गया। 💐💐💐💐

    ReplyDelete