Wednesday, 19 May 2021

" महान होने की तमन्ना "

              '' महान होने की। तमन्ना"

       आज़ पानीपत से आए एक फोन ने मुझे बेमौसम सरसों के पेड़ पर बिठा दिया । हुआ यूं कि सुबह नौ बजे एक पाठक ने पानीपत से फोन करके पूछा , ' क्य आप मशहूर व्यंग्यकार सुलतान भारती बोल रहे हैं "? मेरे कानों में जैसे मलाई बहने लगी  थी ! ( अब तक मुझे भी अपने  "मशहूर" होने का पता नहीं था !) तब से मुझे एकदम से ब्लैक फंगस दयनीय और कोरोना बड़ा क्षुद्र जीव लगने लगा है ! हो सकता है अप्रैल में उसे पता ना रहा हो कि जिसके नाक में घुस रहा है वो " मशहूर " हो चुका है और अब "महान"होने की सोच रहा है ! यूपी वाले तो जेठ की भरी दुपहरी में भी शीतनिद्रा में चले जाते हैं! हमे तो दिल्ली वालों पर क्रोध आता है , इन्हें भी ख़बर नहीं हुई और हरियाना वालों को मेरे मशहूर होने की खबर मिल गई !
        जब से मुझे अपने मशहूर होने का पता चला है , मैंने फैसला किया है कि कैसे भी सही , अब मुझे 'महान '
होना है ! ( हालांकि इसके पहले कभी  हुआ नही था !) मेरे जान पहचान के अनंत लेखक हैं ! जिसमें जितनी कम प्रतीभा है ,वो उतना ज़्यादा गलतफहमी का
शिकार है । कई लेखक तो खुद को विदेशों में लोकप्रिय बताते हैं ! शायद देश मे लोकप्रिय होने में रिस्क ज़्यादा था !  (  रुकावट के लिए खेद है ! ) यहां अपने ही साहित्यिक मित्र  मशहूर या महान होने के रास्ते में  कोरोना बन कर खड़े हो जाते हैं ! जो जितना - विश्वत कुटुम्बकम - का राग अलापता है , उतना संकुचित सोच का लेखक है ! साहित्यकारों ने अपने अपने गैंग बना लिये हैं जो आपस में ही एक दूसरे को  ''मशहूर" और 'महान ' बना देते हैं ! ( अगले मुहल्ले का फेसबुक गैंग स्पेलिंग की गलती ढूंढ कर उनकी  " महानता" को ख़ारिज कर देता है !) अब ऐसे मे कोई दूसरे प्रदेश का प्राणी आपको मशहूर घोषित कर दे तो ऐसा लगता है जैसे किसी ने ऑक्सीजन सिलेंडर ऑफर किया हो !
                 मशहूर तो  मैं हो ही चुका था अब महान् होने की कसर थी ! काश अगला फोन यूपी से आ जाए ! यूपी में "महान' होना आसान है ! वहां ऐसे ऐसे लोग महान हो गए जो ठीक से मानव भी नहीं हो पाये थे। लेकिन जैसे ही महान होने का मानसून आया वो छाता फेंक कर खड़े हो गए ! ( इस दौर में मानव होने के मुक़ाबले ' महान ' होना ज़्यादा आसान है !)  अगली सीढ़ी '' भगवान" होने की है ! ऐसे कई महान् लोग हैं जो ठीक से इंसान हुए बगैर सीधे भगवान हो गए !  लेकिन मेरी ऐसी कोई योजना नहीं है! मैं महान् होकर रुक जाऊंगा , आगे कुछ और नहीं होना ! ( कुछ " भगवानों" की दुर्दशा देख कर ऐसा निर्णय लिया है !) मै अपने ईर्ष्यालु मित्रों की फितरत से वाकिफ हूं ! जैसे ही उन्हें मेरे " मशहूर '' होने की खबर मिलेगी , उनका ऑक्सीजन लेवल नीचे आ जायेगा !
                मैं जानता हूं कि महान होने के लिए अगर मैंने अपने साहित्यिक मित्रो से सलाह ली तो मेरा क्या हस्र होगा ! इसलिए मैने मुहल्ले की  ही दो  हस्तियों से  सलाह लेने की ठानी ! सबसे पहले मैंने फेसमास्क लगा कर ' वर्मा जी ' का दरवाजा खटखटाया ! चश्में में कसा वर्मा जी का काला चेहरा दरवाजे के बीच नजर आया ! इन्होंने मुझे ऐसे देखा, गोया मेरा फेसमास्क ही फर्जी 
हो - " सत्ताइस तारीख़ तक लॉक डाउन है "!
     उन्हें धकेल कर अंदर रखी कुर्सी पर बैठते हुए मैने कहा, " में तब तक इंतज़ार नहीं कर सकता "!
      '' क्यों ! क्या जांच में तुम्हारे अंदर ब्लैक फंगस पाया गया है ? ऐसी स्थिति में तुम्हें मेरे पास नहीं आना था "!
       " ज़्यादा खुश होने की ज़रूरत नहीं है, मै बिलकुल ठीक हूं और काफ़ी गुड फील कर रहा हूं "!
          वह फ़ौरन बैड फील करने लगे , " यहां किस लिए आए हो ?"
      " मुझे आज ही पता चला कि मैं मशहूर हो चुका हूं , अब मैं महान होना चाहता हूं"!
        " किसी ने फर्स्ट अप्रैल समझ कर फोन कर दिया होगा, ऐसी अफ़वाह मत सुना करो "!
    "अब समझा ,  तुम्हे मुझसे जलन हो रही है "!
               मै जानता था कि वर्मा जी को मुझ से कितना ' गहरा लगाव ' है! मैंने तो सिर्फ उनका वज़न कम करने के लिए सूचना दी थी ! वहां से निकल कर मैंने चौधरी को खुश खबरी दी, " मुबारक हो !"
   चौधरी ने संदिग्ध नजरों से मुझे देखा, '' सारी उधारी आज दे देगो - के ?"
      " जब तक उधारी है, तब तक आपसदारी है! मैं नहीं चाहता कि आपसदारी खत्म हो ! खैर तुम्हें ये जान कर बहुत खुशी होगी कि मैं मशहूर हो चुका हूं "!
           " कितै गया था चेक कराने ?"
   '' कहीं नहीं, मुझे बताना नहीं पड़ा - लोगों ने खुद ही मुझे फोन करके बताया"! " 
       " इब तू के करेगो  "?
'' मैं महान होना चाहता हूं !"
       चौधरी ने मुझे ऊपर से नीचे तक टटोलते हुए कहा , " घणा अंट संट  बोल रहो ! नू लगे - अक - कोई नई बीमारी आ - गी  काड़ोनी में।  तू इब तक घर ते बाहर हांड रहो ! या बीमारी  में मरीज कू ब्लैक फंगस जैसे खयाल  आवें सूं !"

        यहां कोई किसी को ' महान ' होते नहीं देता और चुपचाप रातों रात महान होने को लोग मान्यता नहीं देते ! जिएं तो जिएं कैसे ! चतुर सुजान प्राणी बाढ़, सूखा, स्वाइन फ्लू और कोरोना के मौसम में भी महान हो लेते हैं ! जिन्हें महान होने की आदत है वो विपक्ष में बैठ कर भी महानता को मेनटेन रखते हैं ! बहुत से लोग  तो कोरोना और ऑक्सीजन सिलेंडर की आड़ में भी महान हो गए हैं ! इस कलिकाल में भी नेता और पुलिस आए दिन महान हो रही है !

                   और,,,,एक मैं हूं जिसे  "महान" होने के लिए रास्ता बताने वाला कोई महापुरुष नहीं मिल रहा   है -. जाऊं तो जाऊं कहां !!
                                      ( सुलतान भारती)

         

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