Thursday, 27 May 2021

"छोटा आदमी - बड़ा आदमी"

                " छोटा आदमी - बड़ा आदमी "
 

            आज की दुनियां में सिर्फ दो तरह के आदमी बचे हैं, "छोटा आदमी'' और "बड़ा आदमी"! ( मैं  'कद' की  नहीं -  "कैश"  के मापदंड की बात कर रहा हूं! ) सुविधा हीन , फटेहाल और झुग्गी में रहने वाला आदमी भले छै फीट ऊंचा हो , कभी बड़ा आदमी नहीं माना जाता ! वैसे देखने में दोनों एक जैसे नज़र आते हैं, मगर कुंडली में जमीन आसमान का फ़र्क होता है !
                बडा आदमी कोरोना का सहोदर होता है! कोरोना में भी उसी का डीएनए है,इसलिए कोरोना की लाइफ लाइन वाला  "अमृत'' वो अपनी नाभि में रखता है ! अब कोरोना अजर अमर है और बड़ा आदमी धड़ल्ले से आत्मनिर्भर ! सारे ऑक्सीजन सिलेंडर और दवाएं छूमंतर ! 'सहोदर' को दीर्घजीवी करने के लिए वो कुछ भी करेगा - (अवसर मिला तो एंबुलेंस को आलू के खेत में छुपा देगा !) छोटा आदमी बीमार है और सरकारी अस्पताल में वॉर्ड ब्वॉय की डांट खा रहा है, -' इस स्ट्रैचर पर अभी दो मरीज और लोड करूंगा तभी चलूंगा, चुप होकर लेट जाओ ! इन्फेक्शन की चिंता मत करो ! यहां कोरोना इसलिए नहीं आता कि कहीं  अस्पताल की गंदगी से उसका ऑक्सीजन लेवल गिर न जाए "!
मरीज वार्ड ब्वॉय से घिघियाता है - " एक स्ट्रेचर पर तीन मरीज़,,,, सोशल डिस्टैंस का क्या होगा "?   वार्ड ब्वॉय भड़क उठता है,- " लोगों के बीच की आपसदारी इसी सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से खत्म हो गई ! इसी वजह से कुछ लोग बाप की अर्थी के करीब नहीं आते ! कई डॉक्टर तो नर्सों से छेड़खानी तक नहीं कर पा रहे हैं!"
              छोटा आदमी ऊंट पर बैठ कर भी छोटा ही रहता है , वहीं बड़ा आदमी वाकिंग करता हुआ भी बड़ा नजर आता है । बड़ा आदमी सबका फोन नहीं उठाता जब कि छोटा आदमी मिस्ड कॉल को भी पलट कर बतिया लेता है, ' कौन बोल रहे हैं भइया ?'
         " दुखीलाल बोल रहा हूं , फैज़ाबाद से - आप कहां से बोल रहे हैं भइया ?'', 
       " अरे भैया दिल्ली से दीन मुहम्मद बोलित अहै ! तुहरे बगल सुलतान पुर कै रहै वाला बाटी --. बुढ़वा गोमती किनारे वाला।"
            " कलेजा जुड़ाय गा भइया ! और सब परिवार मा बचवा लोग ठीक हैं ना भइया ? हमार बिटवा दिल्ली मा रहत हैं, उसी को मिला रहे थे , आपको मिल गया भइया "! 
             छोटा आदमी मिस्ड कॉल पर भी रिश्ते ढूढ लेता है, वहीं बड़ा आदमी अपने ही डीएनए को पहचानने से इंकार कर देता है, -" सेक्रेटरी ! किसका फोन है ?"
       " आपके भाई सुखचैन जी हैं, कह रहे हैं बड़े भाई साहब से बात कराओ !."
       " घर बनवा रहा है, ज़रूर पैसा मांगने आया होगा ! कह दो मैं घर और ऑफिस कहीं नहीं हूं "!
          छोटे आदमी और बड़े आदमी में बहुत फर्क होता है ! छोटा आदमी बेगुनाह होते हुए भी सजा काटता है , और बड़ा आदमी मुस्करा कर चुनौती देता है, " किसी का बाप भी मुझे गिरफ्तार नहीं कर सकता "! छोटे आदमी को स्वर्ग और संस्कार की बड़ी चिंता होती है। उसे लगता है कि '  चित्रगुप्त ' हर वक्त बही खाता लिए उसी की झुग्गी पर दूरबीन लगा कर बैठे हैं कि कब संस्कार से पैर फिसले और कब खाते में  नर्क का योग ' बने ! ( उधर इतनी देर में बड़ा आदमी कई बैंकों को गठरी में बांध कर विजय माल्या हो जाता है !)
            छोटा आदमी मरता है - बड़ा आदमी अमर होता है! बड़े आदमी को चंदन की चिता या कब्र पर गुलाब के फूलों की चादर मिलती है, छोटे आदमी को मोक्ष की जगह कभी कभी मगरमच्छ और कुत्ते मिलते हैं ! छोटा आदमी कुदाल और फावड़ा चलाता है और बड़ा आदमी देश चलाता है ! छोटा आदमी सोशल डिस्टेंसिंग करे तो भूख से मरता है और न करे तो पुलिस और कोरोना से !
बड़ा आदमी कोरोना प्रूफ होता है, बार बार  अस्पताल में भर्ती होकर भी वापस आ जाता है ! छोटा आदमी किडनी बेचता है और बड़ा आदमी ईमान ! बड़ा आदमी गुनाह करता है - छोटा आदमी सजा काटता है !
                            हरि अनंत हरि कथा अनंता,,,,,!
        छोटा आदमी वर्किंग करता है - बड़ा आदमी वॉकिंग ! छोटा आदमी शादी करता है और देश को अगला मजदूर देता है! बड़ा आदमी एक बीबी घर में और दो चार वेलेंटाइन फील्ड में रखता है ! छोटा आदमी गुटखा खाता है - बडे आदमी के मीनू मे सरकारी जमीन , पुल और फ्लाईओवर तक हो सकता है ! छोटे आदमी के कंधे पर देश और धर्म दोनों की जिम्मेदारी होती है, जबकि बड़े आदमी के पास सिर्फ़ " विकास" और  "विश्व गुरु " का टारगेट होता है !
          
            छोटा आदमी भक्त होता है - बड़ा आदमी ' भाग्यवान ' ! छोटा आदमी ज्योतिषी के उस 'तोते '  की तरह होता है जो दूसरों का भाग्य सुनहरा बना कर भी पूरा जीवन पिंजरे में गुजारता है !  बड़ा आदमी उस "कोयल" की तरह होता है, जो अपने कुकर्म का अंडा हमेशा किसी कौए के घोंसले में छुपाता है ! विधि का विधान देखिए , छोटा आदमी "यास" तूफान में तबाह हुई अपनी झोपड़ी को लेकर चिंतित है और बड़ा आदमी  "राहत पैकेज" को लेकर ! झोपड़ी बनते ही छोटा आदमी तीर्थ यात्रा करेगा और बड़ा आदमी विदेश यात्रा !

       ,,,,,,, तूने काहे को दुनियां बनाई !!

                 ( सुलतान भारती )


       

        

Wednesday, 19 May 2021

" महान होने की तमन्ना "

              '' महान होने की। तमन्ना"

       आज़ पानीपत से आए एक फोन ने मुझे बेमौसम सरसों के पेड़ पर बिठा दिया । हुआ यूं कि सुबह नौ बजे एक पाठक ने पानीपत से फोन करके पूछा , ' क्य आप मशहूर व्यंग्यकार सुलतान भारती बोल रहे हैं "? मेरे कानों में जैसे मलाई बहने लगी  थी ! ( अब तक मुझे भी अपने  "मशहूर" होने का पता नहीं था !) तब से मुझे एकदम से ब्लैक फंगस दयनीय और कोरोना बड़ा क्षुद्र जीव लगने लगा है ! हो सकता है अप्रैल में उसे पता ना रहा हो कि जिसके नाक में घुस रहा है वो " मशहूर " हो चुका है और अब "महान"होने की सोच रहा है ! यूपी वाले तो जेठ की भरी दुपहरी में भी शीतनिद्रा में चले जाते हैं! हमे तो दिल्ली वालों पर क्रोध आता है , इन्हें भी ख़बर नहीं हुई और हरियाना वालों को मेरे मशहूर होने की खबर मिल गई !
        जब से मुझे अपने मशहूर होने का पता चला है , मैंने फैसला किया है कि कैसे भी सही , अब मुझे 'महान '
होना है ! ( हालांकि इसके पहले कभी  हुआ नही था !) मेरे जान पहचान के अनंत लेखक हैं ! जिसमें जितनी कम प्रतीभा है ,वो उतना ज़्यादा गलतफहमी का
शिकार है । कई लेखक तो खुद को विदेशों में लोकप्रिय बताते हैं ! शायद देश मे लोकप्रिय होने में रिस्क ज़्यादा था !  (  रुकावट के लिए खेद है ! ) यहां अपने ही साहित्यिक मित्र  मशहूर या महान होने के रास्ते में  कोरोना बन कर खड़े हो जाते हैं ! जो जितना - विश्वत कुटुम्बकम - का राग अलापता है , उतना संकुचित सोच का लेखक है ! साहित्यकारों ने अपने अपने गैंग बना लिये हैं जो आपस में ही एक दूसरे को  ''मशहूर" और 'महान ' बना देते हैं ! ( अगले मुहल्ले का फेसबुक गैंग स्पेलिंग की गलती ढूंढ कर उनकी  " महानता" को ख़ारिज कर देता है !) अब ऐसे मे कोई दूसरे प्रदेश का प्राणी आपको मशहूर घोषित कर दे तो ऐसा लगता है जैसे किसी ने ऑक्सीजन सिलेंडर ऑफर किया हो !
                 मशहूर तो  मैं हो ही चुका था अब महान् होने की कसर थी ! काश अगला फोन यूपी से आ जाए ! यूपी में "महान' होना आसान है ! वहां ऐसे ऐसे लोग महान हो गए जो ठीक से मानव भी नहीं हो पाये थे। लेकिन जैसे ही महान होने का मानसून आया वो छाता फेंक कर खड़े हो गए ! ( इस दौर में मानव होने के मुक़ाबले ' महान ' होना ज़्यादा आसान है !)  अगली सीढ़ी '' भगवान" होने की है ! ऐसे कई महान् लोग हैं जो ठीक से इंसान हुए बगैर सीधे भगवान हो गए !  लेकिन मेरी ऐसी कोई योजना नहीं है! मैं महान् होकर रुक जाऊंगा , आगे कुछ और नहीं होना ! ( कुछ " भगवानों" की दुर्दशा देख कर ऐसा निर्णय लिया है !) मै अपने ईर्ष्यालु मित्रों की फितरत से वाकिफ हूं ! जैसे ही उन्हें मेरे " मशहूर '' होने की खबर मिलेगी , उनका ऑक्सीजन लेवल नीचे आ जायेगा !
                मैं जानता हूं कि महान होने के लिए अगर मैंने अपने साहित्यिक मित्रो से सलाह ली तो मेरा क्या हस्र होगा ! इसलिए मैने मुहल्ले की  ही दो  हस्तियों से  सलाह लेने की ठानी ! सबसे पहले मैंने फेसमास्क लगा कर ' वर्मा जी ' का दरवाजा खटखटाया ! चश्में में कसा वर्मा जी का काला चेहरा दरवाजे के बीच नजर आया ! इन्होंने मुझे ऐसे देखा, गोया मेरा फेसमास्क ही फर्जी 
हो - " सत्ताइस तारीख़ तक लॉक डाउन है "!
     उन्हें धकेल कर अंदर रखी कुर्सी पर बैठते हुए मैने कहा, " में तब तक इंतज़ार नहीं कर सकता "!
      '' क्यों ! क्या जांच में तुम्हारे अंदर ब्लैक फंगस पाया गया है ? ऐसी स्थिति में तुम्हें मेरे पास नहीं आना था "!
       " ज़्यादा खुश होने की ज़रूरत नहीं है, मै बिलकुल ठीक हूं और काफ़ी गुड फील कर रहा हूं "!
          वह फ़ौरन बैड फील करने लगे , " यहां किस लिए आए हो ?"
      " मुझे आज ही पता चला कि मैं मशहूर हो चुका हूं , अब मैं महान होना चाहता हूं"!
        " किसी ने फर्स्ट अप्रैल समझ कर फोन कर दिया होगा, ऐसी अफ़वाह मत सुना करो "!
    "अब समझा ,  तुम्हे मुझसे जलन हो रही है "!
               मै जानता था कि वर्मा जी को मुझ से कितना ' गहरा लगाव ' है! मैंने तो सिर्फ उनका वज़न कम करने के लिए सूचना दी थी ! वहां से निकल कर मैंने चौधरी को खुश खबरी दी, " मुबारक हो !"
   चौधरी ने संदिग्ध नजरों से मुझे देखा, '' सारी उधारी आज दे देगो - के ?"
      " जब तक उधारी है, तब तक आपसदारी है! मैं नहीं चाहता कि आपसदारी खत्म हो ! खैर तुम्हें ये जान कर बहुत खुशी होगी कि मैं मशहूर हो चुका हूं "!
           " कितै गया था चेक कराने ?"
   '' कहीं नहीं, मुझे बताना नहीं पड़ा - लोगों ने खुद ही मुझे फोन करके बताया"! " 
       " इब तू के करेगो  "?
'' मैं महान होना चाहता हूं !"
       चौधरी ने मुझे ऊपर से नीचे तक टटोलते हुए कहा , " घणा अंट संट  बोल रहो ! नू लगे - अक - कोई नई बीमारी आ - गी  काड़ोनी में।  तू इब तक घर ते बाहर हांड रहो ! या बीमारी  में मरीज कू ब्लैक फंगस जैसे खयाल  आवें सूं !"

        यहां कोई किसी को ' महान ' होते नहीं देता और चुपचाप रातों रात महान होने को लोग मान्यता नहीं देते ! जिएं तो जिएं कैसे ! चतुर सुजान प्राणी बाढ़, सूखा, स्वाइन फ्लू और कोरोना के मौसम में भी महान हो लेते हैं ! जिन्हें महान होने की आदत है वो विपक्ष में बैठ कर भी महानता को मेनटेन रखते हैं ! बहुत से लोग  तो कोरोना और ऑक्सीजन सिलेंडर की आड़ में भी महान हो गए हैं ! इस कलिकाल में भी नेता और पुलिस आए दिन महान हो रही है !

                   और,,,,एक मैं हूं जिसे  "महान" होने के लिए रास्ता बताने वाला कोई महापुरुष नहीं मिल रहा   है -. जाऊं तो जाऊं कहां !!
                                      ( सुलतान भारती)

         

Monday, 10 May 2021

"बहते मुर्दे" - चलते मुर्दे "

               मुर्दे बोल रहे हैं! मुर्दे आवाज़ उठा रहे हैं! मुर्दे पुकार रहे हैं ! मुर्दे मदद मांग रहे हैं और जिंदे लोग गांधी जी के बंदर हो चुके हैं, - मुर्दा मत देखो, जो गंगा में तैर रहे हैं उन्हे मुर्दा मत कहो और कोरोना पीड़ित अपना सगा बाप भी अगर दरवाजा पीटे तो मत सुनो ! कोरोना ने रिश्तों को कैसी कसौटी और पटकनी दी है। खूनी रिश्ते अपनो के कंधों के लिए तरस गए। सैकड़ों कंधे उस कौम के काम आए, पूरी ज़िंदगी जिसकी परछाईं से परहेज़ का जहर ढोते रहे! कुछ मुर्दे साइकल पर ढोए गए , किसी के ऊपर पुलिस वाले को दया आई तो श्मशान भूमि तक पहुंछाया ! गांव के छप्पर पर सूखती लौकी और बाप की लाश में उपेक्षा का एक जैसा समाजवाद नज़र आ रहा था ! 
                मुर्दे गंगा में बहाए जा रहे हैं। कानपुर से गाजीपुर तक मुर्दों की कतार ! मुर्दे रिश्तों पर थूक रहे हैं! मुर्दे फादर्स डे और मदर्स डे पर अपने कलियुगी बेटों के फर्जी पोस्ट की अर्थी लेकर बह रहे हैं ! मुर्दों की खामोशी में गज़ब का शोर है ! लोग घरों से निकल कर घाट पर आ गए हैं ! ये चलते फिरते मुर्दे हैं जो तैरते मुर्दों से अलग कपड़े पहने हुए हैं ! बस्ती के मुर्दों को आते देख बहने वाले मुर्दे आपस में बतियाने लगे, -' थोडा रुक कर बहते हैं ! शायद हमारे लिए आए हैं !'
         " काहे किनराते हो , जो परिवार के थे वो कुत्तों के हवाले कर गए ! ये तो गैर हैं"!
       '' इस त्रासदी में गैर ही तो काम आए हैं"!
एक दर्जन लाशें उथले पानी की रेती में स्थिर हो गईं.!. ज़िंदा लाशें थोड़ी दूर पर रुक कर आपस में बात करने लगीं, - " ये लाशें किस जाति की हो सकती हैं ?"
       " कैसे पता चलेगा ? कफन तो बडा सस्ते वाला लगता है "  । 
    " कई कफ़न तो फटे हुए है, किसी काम के नहीं हैं"!

  पहले वाला लाशों की जाति को लेकर अभी भी चिंतित था , " जानें कौन सी जाति के हैं, गंगा मैया को गंदी करने चले आए "!
       लाशें घबरा कर फिर बहने लगीं !दो किलो मीटर आगे गंगा के किनारे तीन युवा कुत्तों का एक गैंग आपस में बात कर रहा था, ' अब तो और कुछ खाने का मन ही नहीं करता ''!
        '' मेरे अंदर तो शाकाहारी फीलिंगआने लगी थी," एक और कुत्ता बोल पड़ा '.अब जाके आया मेरे बेचैन दिल को करार"!
        कुत्तों का मुखिया बोला, '' वैसे जिन्होंने अपने परिजनों को हम कुत्तों के हवाले किया है, उनका ज़रूर हम कुत्तों से पूर्व जन्म का नाता है"!
    '' बेशक! इतना तो कोई अपना ही केयर करता है "!
'' इंसान का कैरेक्टर हम कुत्तों से भी गया गुजरा है, इस दौर ने साबित कर दिया है"!!
      मै न्यूज देख रहा हूं, दरिया गंज ( दिल्ली) में तीन व्यापारी गिरफ्तार।! रेमडेसीवीर इलेक्शन दस गुना से अधिक दाम पर बेच रहे थे ! ऑक्सिमीटर और ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी का क्या कहना! आपदा को अवसर में बदलने का हुनर इन्ही के पास है! क्या इनके अंदर ईमान,  दया, गुनाह, इंसानियत या दर्द का कोई भी एहसास नहीं होता ? तो,,,,, ये ज़िंदा कहां हैं ! दूसरों की आपदा को अपने लिए अवसर बनाने के लिए ये जीते जी मर जाते हैं ! अब ये.आंसू,  दया और धर्म की तुच्छ सांसारिक सोच से मुक्त होकर जिंदों के बीच आराम से विचरते हैं! ऐसे बहुत सारे मुर्दे आपके आसपास आबाद हैं, जिनकी वजह से मुर्दे तैर रहे हैं!
               हम नई परिभाषा नहीं तलाशते, पुरानी को दुहरा कर संतुष्ट हैं! गंगा में तैरती लाश के साथ सड़ते रिश्तों से पहले हमें सरकार की नाकामी नजर आने लगती है! हम खुद पर कोई दोष नहीं लेते, ऐसा करने से हमारे ज़िंदा होने की आशंका बढ़ जाती है! इसलिए हम हालाते हाजरा की जलवायु सूंघ कर मुर्दों के साथ बहने लगते हैं ! इल्जाम लेना बड़ी हिम्मत का काम है, इसलिए हम जोखिम उठाने की अपेक्षा दूसरों को दोषी साबित करने में लगे होते हैं!

                  मुर्दे बह रहे हैं, कथित जिंदे गंगा के किनारे खड़े अफसोस कर रहे हैं ! मुर्दे लावारिस हैं, उनके वारिस रात में उन्हें गंगा के हवाले कर मोक्ष के प्रति आश्वस्त हैं! मोक्ष और मुर्दों के बीच में कुत्ते खड़े हैं ! मुर्दे बह रहे हैं, तट पर खड़े मुर्दे अपने भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त कर रहे हैं, " मै मुर्दों को नहीं, इन कुत्तों को लेकर चिंतित हूं!  कल को ये कुत्ते हमारी बस्ती में आकर मानव मांस तलाशेंगे ! सरकार को कुछ करना होगा"!

    मुझे एक शे'र याद आ रहा है !

साहिल के  तमाशाई  हर डूबने वाले पर !
अफसोस तो करते हैं इमदाद नहीं करते !!

            ( सुलतान भारती)