Tuesday, 24 June 2025

'व्यंग्य चिंतन' शांति दूत डोनाल्ड ट्रम्प

व्यंग्य चिंतन 

'शान्ति दूत  'डोनाल्ड ट्रंप'

           ' मुझको चांद लाकर दो' !
      ट्रंप का इतना कहना था कि व्हाइट हाउस के तमाम दरबारी दौड़ पड़े ! लिस्ट बनाकर   न्यौता भेजने में रिस्क था, मेहमान लोग ईरान के शिकार बन सकते थे ! ट्रंप ने अपने पी ए  से पूछा, - 'रात के डिनर पर आज किसका भेजा खाना है'?
     ' पाकिस्तान के जनरल आसिम मुनीर को बुला लेते हैँ, कई दिनों से यहीं पड़ा हुआ है! '
   ' ठीक से समझा देना, प्रपोजल उसी को देना है !मैं तो नोबल पुरस्कार के सर्वथा योग्य हूँ, पर क्या मुनीर प्रपोजल के लायक है?'
     'भरोसा रखिए, वो इसी के लायक है! आप ज़मींदार हैं और आसिम मुनीर चारण, प्रपोजल के सर्वथा लायक ! हम उसका दिल दिमाग किडनी सब जांच चुके हैं, उस के चरित्र डाटा बेस में खुद्दारी का -  'ख'- भी नहीं है सर "!
 ट्रंप मुस्करा ते हुए बोले, -' मुझे शांति का नॉवेल पुरस्कार तो मिल जाएगा  न ' !
     ' काहे लघुशंका  करते हो सर ! अल्फ्रेड नोबल जिंदा होते तो असंभव था, खुदा उन्हें जन्नत दे!' 
             'और,,,अब '?
         ' अब  तो कोई  शंका नहीं,  गज़ा, यूक्रेन, आर्मेनिया से ईरान तक आपका डंका बज रहा है! ' 
       हमारे दत्तक पुत्र 'इजराइल का नाम क्यूँ नहीं लिया "?
     ' उसका क्या नाम लेना सर, वो तो आपका लाडला लठेत है, लेकिन इस बार 85 साल के खलीफा ने उसके नट बोल्ट खोल डाले,  पूरे बदन पर पट्टी बांधे घूम रहा है ! कल एक गाना गा रहा था, - ' ये क्या हुआ, कैसे हुआ,  कब हुआ,,,छोड़ो यह न पूछो-'!
        ' इसका मतलब याददाश्त चली गई '!
'इतनी पिटाई में तो 'ब्रैनहेमरज' भी हो सकता था सर ! सोचिए,  बुज़ुर्ग खलीफा के मिसाइल पूरे नौ स्पीड ब्रेकर पार कर के आते थे '!
    ' इसीलिए हमने  इतनी जल्दी सीज़ फायर करवा दिया , बस अब जल्दी से शांति का नोबेल पुरस्कार दिला दो- !  इस पुरूस्कार के लिए मैंने तीन तीन  'गुफ़ा भंजक' बम मारे थे ! बम भी हमारे- शांति भी हमारी-! फायर  और सीज़ दोनों में मोनोपोली-' !
     तभी ट्रंप का एक निजी खानसामा अंदर आकर बोला, - ' जनरल आसिम मुनीर आया है-'!
         ' डिनर तो रात में है, अभी क्यों आया है,  ख़ैर,,,,,आने दो '-!
   15 सेकंड बाद आसिम मुनीर अंदर आकर  ट्रंप के सामने फर्शी सलामी देते हुए बोले,  -' क्या हुक्म है मेरे आका '!
      ' आज रात के डिनर के साथ पत्रकार सम्मेलन है,  तुम्हें पता है न कि क्या प्रस्ताव रखना है-'!
      ' जी बंदा परवर !  आप जैसा  कोई मेरी जिन्दगी में आये तो बात बन जाए-'!
       ट्रंप के पी ए ने घूर कर देखा तो आसिम मुनीर की ट्यून बदल गई, - ' पूरी दुनियां में जंग करवाने और तुरंत शांति का कबूतर उड़ाने में,  आग लगाने और सीज फायर कराने में हमारे आका का जवाब नहीं,,,,,, तुम्हीं ने दर्द दिया है, तुम्हीं दवा देना-'!
     ' ज़्यादा पकाओ मत, मुद्दे पर आओ' -पी ए  धीरे से भुनभुनाया ,- 'पंच लाइन बोलो-'!
       ' हमारे आका के कैरेक्टर डाटा बेस में युद्ध और शांति दोनों के कीटाणु भरे पड़े हैं ! दिल के बहुत अच्छे हैं , इसलिए इनका दिल युद्ध के लिए हमेशा व्याकुल रहता है! जैसे ही जंग शुरू होती है,  ये फौरन शांति दूत बन कर युद्ध विराम करा देते हैं!  इतने महान हैं कि पूरी दुनियां खुशी के मारे कराह रही है ! आका जानते हैं कि 'सीज' करने के लिए "फायर' कितना जरूरी है! अभी देखा नहीं, जब इंडियन आर्मी हमें ढोल समझ कर पीट रही थी तो आका ने कैसे फोन करके हमें बचाया था ! हुकुम जी,  क्या मैं आपको पापा कह सकता हूं '!
       'नो' - ट्रंप ने सर हिलाया,- ' फिर तू  व्हाइट हाउस के आसपास झुग्गी डाल के बैठ जायेगा-'!
       पी ए ने मुनीर को डांट दिया, -' प्रेस कांफ्रेंस की बात करो , झुग्गी की नहीं '!
        ' मैं प्रपोजल दूँगा, - इस बार  का नोबेल पुरस्कार उस महात्मा को दिया जाए जिसके नस नस मे खून की जगह युद्ध, शांति और सीजफायर  दौड़ता रहता है! मेरा सुझाव है कि इस  बार का  नोबेल पुरस्कार उसी देव तुल्य महा मानव को दिया जाए-! इससे विश्व में  शांति और इन्सानियत का एक नया युग शुरू होगा-! '
        ' अब तो  महापुरुष का नाम बता दे - कब तक पकाएगा '! ट्रंप ने दांत पीसा ! 
   मुनीर अभी भी एक प्रोफेसनल चारण की  तरह बोल रहा था, -" यदा यदा ही  धर्मस्य,,,,, खैर छोड़िए,,जब जब पृथ्वी  पर 'फायर' का विकराल मॉनसून आएगा, तब तब  B 52  के साथ एक महापुरुष अवतार लेंगे, और सारे फायर को सीज कर देंगे ! इस युग में उन्होनें, डोनाल्ड ट्रंप के नाम से अवतार ले लिया है! इसलिये,  इस बार का नोबेल पुरस्कार जगत मुखिया महामहिम ट्रंप को दिया जाए,  कैसी कही हुकुम -'!
       'खूब कहीं'  ट्रंप ने ताली बजाई !
       डिनर में मुनीर वैसा ही किया , मगर अगले दिन सुबह न्यूज देखते ही उस ने सर पीट लिया ! शांति दूत के आदेश पर ईरान के 3 शहरों में स्थित परमाणु केंद्रों पर केब बस्टर बम गिरा दिया गया था ! इजरायल के विरोध में मुस्लिम जगत में चल रहे प्रदर्शनो में उबाल सा आ गया ! पाकिस्तान मे सरकार और जनरल आसिम मुनीर के विरोध में उग्र जनता सडकों पर उतर पडी ! आसिम मुनीर ने ट्रम्प के पैर  पकड लिए,- 'आपने तो कहा था कि दो हफ्ते के लिये कोई जंग नहीं, फिर ऐसा क्यों डिसाइड  किया दादा ! 
      ' नोबल प्राइज़ के लिए, बम गिराने के बाद ही शांति और सीजफायर का वैल्यू होता है, रोना पीटना बंद करो,  पाकिस्तान जाओ-"!
   " कैसे जाऊँ ! जनता जूते लिए सडकों पर मुझे ढूंढ रही है ! कल तक हमारी मीडिया ख़बर चला रही थी कि मेरे सुझाव पर आपने दो हफ्ते के लिए सीज फायर करवाया है ,  अब वो कह रहे हैं कि मेरे कहने से ही ईरान के एटॉमिक सेंटर पर बम गिराया गया ! घर वापसी कैसे  करूँ , पाकिस्तान की जनता मेरी किडनी निकाल लेगी ! मैं तो धोबी का कुत्ता बन गया,  घर का न घाट का !'
             इतना कहकर आसिम मुनीर गाना गाने लगे ,-' ऐ मेरी फॅमिली और रिश्तेदारों ! मिरी याद में तुम न आँसू बहाना , न दिल को जलाना- मुझे भूल 
    जाना,,,,'!

]       ट्रंप मुस्कराते हुए बोले - "डोंट वरी , तुम्हारी आवाज़ अच्छी है,  तुम भूखे नहीं मरोगे -!'

                [ Sultan Bharti ]


Monday, 26 May 2025

Sunday, 13 April 2025

व्यंग्य चिंतन। "कुछ बड़ा होने वाला है"

कुछ बड़ा होने वाला है 

       अब का  बताएं झुरहू काका।  न्यूज सुनकर ब्लड प्रेशर बढ़ गया है! चैनल वाला कह रहा है कि-' कुछ बड़ा होने वाला है '! कितना बड़ा? ये नहीं बता रहा, ! दूसरा खबरिया चैनल साइज़ बताने की जगह 'साइड इफेक्ट' बता रहा है, - 'पाकिस्तान थर थर कांप रहा है-'! तीसरा चैनल भी 'होने वाले बड़े '
पर रोशनी डालने की बजाय सस्पेंस बनाए हुए है, -' पाकिस्तान भीख मांग रहा-! ' चौथा चैनल स्टूडियो में बैठ कर ग्राउंड जीरो से आँखों देखी खबर दे रहा था, - 'वहां के रक्षा मंत्री को नींद नहीं आ रही है! पानी बंद हो जाने से नहाना तो दूर  'धोने' का संकट पैदा हो गया है! सारे मंत्री लोटा उठाए 'दिशामैदान' की ओर जाते नजर आ रहे हैं! एक ही लौटे से दो दो लोग फारिग होते देखे जा रहे हैं ! और अभी तो ये बस शुरुआत है-!'
        एक और चैनल  'लोटा संकट' पर प्रकाश डाल रहा था,- ' भारत द्वारा सिन्धु नदी का पानी रोक देने से नापाक  देश में अभूत पूर्व संकट गहरा गया है! वहाँ के प्रधान मंत्री पहले ही थर थर कांप रहे थे,  अब अमेरीका और चीन से पानी का टैंकर और आट्टा मांग रहे हैं! जब से  ट्रम्प ने बताया है कि- भारत कुछ बड़ा करने वाला है- पाकिस्तान के फौजी और मंत्री डाईपर बांधने लगे हैं,  बार बार पेट खराब हो रहा है! इस ग्रह दशा मे पानी की कमी कितना कष्ट देती है! पूरे पाकिस्तान में ब्लड प्रेशर के दवाई की सेल बढ गई है-'!

   
 

Tuesday, 1 April 2025

वक्फ बोर्ड "हंगामा सै नू बरपा"

 (व्यंग्य चिंतन)

 हंगामा सै नू बरपा
 बेक द

Saturday, 29 March 2025

(व्यंग्य 'चिंतन') - 'तोहफ़ा ए ईद '

 व्यंग्य 'चिंतन'
 'तोहफ़ा - ए - 'ईद '

      अब का बताई हो , ईद सर पर है और अभी तक कही से भी कोई  तोहफा नहीं आया ! वैसे पहले भी  कभी ईद पर कोई  तोहफा नही  आता था !  पर तब यह सोचकर सब्र कर लेते थे,  कि सरकार का काम मंहगाई और चुनाव देना है, तोहफ़ा  देना नहीं !  [ वैसे हमारी मंहगाई  भी किसी तोहफे से कम है क्या ! ] दरअसल बचपन के अलावा लाइफ मेें कभी ईद पर तोहफ़ा  मिला ही नही ! जब कुछ हासिल करने की उम्र थी तो नौकरी की जगह बीवी मिल गई, फिर उसके बाद चिरागों मेें रोशनी न रही ! बङे दिन बाद  ये पहली ईद है जब तोहफे का नाम सुना है !
      मिडिल स्कूल में जब पढृता था तो गणित के एक बङे 'मरकहा' मास्टर हुआ करते थे, गौरीशंकर 'पांङे' ! छात्रों पर बङा आतंक था उनका ! बांस की छङी से पीटते थे और दंड की इस प्रकृया को 'परसाद ' का नाम दे रखा था ! जब 'सुटकुनी' नाम की छङी हमारे हाथों पर पङती तो दो दिन तक बायें हाथ से पिछवाडा भी धोने में  दिक्कत आती थी ! वो प्रसाद पाने के लिए ईद की अनिवार्यता भी नही थी ! हमारे हर गणित के घंटे पर 'मास्साब' के 'परसाद' का आतंक होता था ! जिस दिन वो न आते वो हमारे लिए ईद का दिन लगता था ! हम अपने पिटने की शिकायत घर में  भी नही कर सकते थे ! उस दौर में गल्ती होने पर छात्रों को पीटना 'मास्साब' का जन्मसिद्ध अधिकार हुआ करता था ! एकाध बार मैने घर में शिकायत किया तो उलटे अब्बा ने मुझे ही पीटते हुए कहा था,- 'अच्छा ! उस्ताद की शिकायत करता है ! वहां भी बदमाशी किया होगा' -! आज तोहफा ए ईद सुनते ही 'परसाद' की याद ताजा हो गयी, [ कही  ये वो तो नहीं ? ]   का करें,  दूध का जला छाछ को भी फूंक मार कर पीता है ! बचपन के ईद जैसी लज्जत फिर कभी नही मिली ! जब पहली बार रोजा रखता तो भी तोहफा मिलता था ! दो पैसे से लेकर दो आने,,चार आने पाकर हम निहाल हो जाते ! अम्मा हमे एक रूपए देते हुए नसीहत भी करतीं, -' ईद में  सब मत खरचा करना'!  'कारून' के इस खजाने को ईद तक बचा के रखना कौन सा आसान काम था ! मै और मेरा छोटा भाई एक दूसरे की ईदी रखने के गुप्त ठिकाने की तलाश में बङी मेहनत करते थे ! बचपन  दरअसल  बसंत की तरह होता है ! उसके जाते ही खुशियों  पर पतझड छा जाता है, जो जवानी की दहलीज से गुजर कर बुढापे तक ख्वाब और खुशियों के सब्ज पत्तों को पीलापन देता रहता है ! फिर कोई तोहफ़ा  इस स्थायी मुहर्रम  को ईद का एहसास   नहीं दे पाता !
         कल ईद है, मेरे कई मित्र तोहफा ए ईद को लेकर मुझसे ज्यादा चिंतित हैं! वर्मा जी की चिन्ता इस बात को लेकर नहीे है कि ' तोहफे में क्या क्या है',- बल्कि वो इसलिए ज़्यादा चिंतित हैं कि तोहफ़ा ए ईद  किट कही मुझे न मिल जाए ! इस फिक्र में वह ठीक से सो भी नही रहे ! आज अलस्सुबह छै बजे उन्होंन मुझे फोन कर के जगा दिया, -'  किट मिल गयी तो सर के नीचे रखकर कैसे सुकन से सो रहे हो !आंखों का सारा पानी सूख गया क्या '? 
     किट के लिए उन्हे दांत किटकिटाते महसूस कर मुझे सचमुच बङी खुशी हुई ! मैने बङी गंभीरता पूर्वक कहा,-' मै तो सोच भी नही रहा था कि इतने सामान के साथ इतना बढ़िया तोहफ़ा मिलेगा ! पता नही किसने मेरा नाम सुझाया -'?
    बस वर्मा जी को क्रेडिट लेते देर न लगी,- ' इस पूरे शहर मेें  मेरे अलावा कोई  तुझे  पसंद  नही करता ! मैने ही भाजपा मंडल कार्यालय में तेरा नाम भेजा था ! वरना तुझे जानता कौन है -'!
    ' ओह ,,,मैं तो समझ रहा था कि सांसद जी ने भेजा है , फोन करके कन्फर्म कर लेता हूं !'
       वर्मा जी ने पल्टी मारी , ' अगर उनकी तरफ से ये किट आई है तो मेरी शिफारिस से आने वाली किट कभी भी आ सकती है ! उसे तुम  रख लेना !मै तेरे दरवाजे से बस दस मिनट दूर हूं ! ये किट मुझे दे दे भारती, तुझको रक्खे राम तुझको अल्ला रक्खे ! लेन-देन से सौहार्द हरा भरा रहता है-'!
     उनकी आतुरता देख मै चिल्लया, -'  मै तो मजाक कर रहा था, किट आयेगी तो पूरी ईमानदारी से आधी आपको सौंप दूंगा ! आखिर सौहार्द को हरा भरा रखने का सवाल है ! और वैसे भी इस मोहल्ल का सौहार्द तुम्हारे बगैर कभी भी मुर्झा सकता है' !
         उधर से वर्मा जी ने गम्भीर चेतावनी दी, - मुझे फौरन विडियोकॉल करो और सर के नीचे वाली तकिया को दिखाओ -!'
      इस कठिन अग्नि परीक्षण के बाद भी सुकून के लिए अभी एक और बाधा दौड़ की आशंका थी ! और वो आशंका शाम होते होते सच साबित हुई, जब चौधरी ने घर आकर मुझे घूरते हुए सवाल दागा,- ' उरे कू सुण भारती ! तमै उधार दूध दे दे कर मेरी दो भैंसन कू सदमा लग गयो, अर तू म्हारी पार्टी कौ तोहफा केले ही केले हजम कर रहो -! इब लिकाङ दे बोरी नै -'!
        ' कैसी बोरी -?'
   " ईदी वाङी बोरी आई है थारे धौरे , म्हारे जासूस काङोनी के कोने कोने मेें  मुसीबत  की  तरह  मौजूद सूं ! ये बोरी मन्ने दे दे भारती !'
    'नहीं'!
' के मतलब ?'
' तुम मेरे घर की तलाशी ले सकते हो, तोहफे वाली बोरी मिले तो तुम्हारी,  और न मिले तो तीन किलो उधार दूध कल सुबह मुझे चाहिए-!'
   ' पर वर्मा जी नू बोल्या अक वाने तमै पीठ पर बोरी ले जाते  दूर ते देखा हा !' 
     ' आटे की बोरी थी, जाकर देख लो'!
अब हम दोनों सदमें मे थे ! बङी देर बाद चौधरी के मुंह से निकला, -' तमै भी न मिली  'तोहफे वाङी' बोरी ! ता फिर या पैंतीस लाख ईदी के बोरे कितै गये -?'
         हम तीनों  के धोरे इस सवाङ का जवाब कोन्या ! इब तमै  पतो है ता फिर चौधरी और वर्मा जी कू बता दो ! दोनों घणे चिंतातुर सूं  !
      बहरकैफ, बगैर बोरी के भी आप सब को ईद की बहुत बहुत मुबारकबाद !

            [ सुलतान  'भारती' ]

Wednesday, 19 March 2025

व्यंग्य चिंतन " कृपया शान्ति बनाए रखें "

              [व्यंग्य चिंतन]

      "कृपया शांति बनाये रखें"

           अचानक शहर में दंगा हो गया ! रात भर दंगाई फूंक ताप करते रहे । बङी मेहनत का काम था, पब्लिक को अपने ही पडोसी का घर लूटने और फूंकने के लिए तैयार करना ! वो कठिन काम सफल रहा और शहर का 300 साल पुराना  दंगा न होने का रिकॉर्ड टूट गया ! शहर के  'फसादी लाल' को लक्ष्य और सुकून दोनों की प्राप्ति हुई ! अब दंगे के अगले चरण की बारी थी ! बगैर आराम किए 'फसादीलाल' जी प्रशासन की मदद करने के लिए अमन कमेटी के निर्माण में लग गगये ! अगले दिन  लाउडस्पीकर पर ऐलान होने लगा ,-' कृपया शान्ति बनाए रखें'- !  दंगे के बाद शांति बनाए रखने की कला में  फसादीलाल जी को महारत हासिल थी ! वो रुन्धे हुए गले से ऐलान कर रहे थे,- ' कृपया शांति बनाए रखे' ! हालांकि आध के लिए  ये आसान  काम नहीं है ! मुझे मालूम है कि आपका घर और दूकान यानि सुख और शान्ति र्दोनो लुट चुकी है, किन्तु  कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पङता है-'!
         प्रशासन भी शान्ति बहाल करने मे लगा था ! लेकिन शांति बहाल करने के लिए सबसे बङा प्रयास बङे चैनल शुरु कर चुके थे, - ' स्क्रीन पर  एक एंकर खुजली पीङित कुत्ते की तरह लगभग दौडते हुए बता रहा है, - ' दंगे के मास्टर माइंड की पहचान हो चुकी है, सबसे पहले उसकी तस्वीर आपको हमारे चैनल -'पीटता है भारत'- पर नजर आ रही है ! इसे गौर से देखिए, इसका पहनावा देख कर ही इसके गंभीर अपराध का पता चल जाता है ! खैर, अब प्रशासन से उम्मीद है कि इनका घर बुलडोज़ करने और परिवार को जेल भेजने में  विलंब नही किया जायेगा '-!
      'शान्ति' का विचित्र मानसून आया हुआ है ! पहले शांति को दौड़ाया जाता है'फिर उसको बहाल करने का समुद्र मंथन शुरू होता है ! इस तरह के अमृतकाल में बरामद  हलाहल को ही शांति का अमृत घोषित कर दिया जाता है, -अब,,, तुमको मिर्ची लगे तो मैं क्या करू ! पीडित लोगों के लिए शान्ति के महायज्ञ की व्यवस्था अमन कमेटी द्वारा की जायेगी ! तब तक रोना पीटना बंद कर शान्ति  बनाए रखे ! लुटा और जला हुआ घर देख कर यदि सांसारिक मोह माया के चलते रोने का मन करे तो पवित्र गीता का प्रवचन याद करे, - तेरा था क्या, जिसे खोने का शोक करता है- ! इसलिए,,,आंसू न बहा फरियाद न कर, दिल रोता है तो रोने दे-! शान्ति बनाए रखें- वही आप को मोक्ष दिलाएगी। 
     देर आयद लेकिन दुरस्त आयद, अब शान्ति स्थापित  करने वाले पाइथागोरस का प्रमेय मेरे भी समझ में आने लगा है ! मामले का छायावाद ये है कि - शांति 'स्थापित' करने के लिए  शांति का  'विस्थापित' होना जरूरी है ! अगर जहां  पहले से ही शांति पसरी पङी हो, तो क्या खाक शांति स्थापित होगी ! उल्टे इन्क्रोचमेंट का केस बन जायेगा ! इसलिए,  शांति को जनहित में, पहले उस जगह से खदेङा जाएगा- ! फिर  उसके  बाद वहां बुलडोज़र और पुलिस के सहयोग से शांति को स्थापित किया जाएगा ! शांति स्थापना के नये एपीसोड में कुमार कामरा ख़ामखा परेशान हैं! शांति बनाए रखने में कुर्सियां ही नहीँ  हड्डियाँ भी टूटती हैं ! [ पहले आओ पहले पाओ !] 
       विपक्ष चाहता ही नहीँ कि शान्ति बनी रहे, बल्कि बुलडोज़र तो जी जान से शांति बनाए रखने में लगा है ! इस उपक्रम में पुरानी, जईफ और जर्जर हो चुकी शांति को विस्थापित कर पुन: स्थापित किया जा रहा है ! नागपुर में शान्ति बनाए रखने के लिए बुलडोज़र काम पर लग गये हैं !  नागपुर की 300 साल की बुज़ुर्ग,  'वयोवृद्ध शांति' की प्राण प्रतिष्ठा इसलिए ज़रूरी थी ! अगर आपके आसपास भी कही ऐसी मरणासन्न शान्ति हो, तो आप फौरन संपर्क करें! इस मामले में विपक्ष रोडा जरूर अटकायेगा, मगर शान्ति बनाये रखने की राह में हम हर संकट से लडने को तैयार बैठे हैं! हम जनहित में शांति बनाए रखने के लिए कोई भी कुर्बानी दे सकते हैं! जब तक पूरे देश में शान्ति स्थापित नही  कर लेते, - हट जा ताऊ पाच्छे नै ! 
      हम इसी अभियान में लगे हैं! इसलिए ज्यादा चिल्ल पों मत करें , शान्ति बनाए रखे! ये जो शान्ति है न , बहुतै जरूरी है ! इसे लोग अलग-अलग तरीके से बनाए रखते हैं , हमारा अपना तरीका है ! मेरे वाले तरीके से कायम होने वाली शान्ति में विपक्ष को फाईबर नही नजर आता,हमारे भक्तो को तो सारा प्रोटीन  और  विकास इसी में नजर आता है ! मंहगाई ऐसी है कि कई सर्वसुलभ खाद्य पदार्थ थाली से उड गये, मगर बुलडोज़र वाले विकास को देख कर भक्त गा रहे हैं, - औरो का दुख देखा तो मैं अपना दुख भूल गया-! 
               तो,,,, शान्ति बनाए रखें ! कुछ भी हो जाए,  भूलकर भी कभी पत्थर न चलाएं ! इस जघन्य अपराध मे बगैर सबूत और गवाह के बुलडोज़र चलाने की परंपरा विकसित हो चुकी है ! अत: पहले घर तबाह होगा फिर आर्थिक तौर पर पूरा परिवार ! बेशक 10 साल बाद बाइज्जत बरी हो कर बाहर आ जाएं ! पर उस से मिलेगा क्या, जब चिङिया चुग गयी खेत -!

        इसलिए, हमको 'शान्ति' बनाने दें !वर्ना सद्भाव बनाने के जुर्म मेें हम तुम्हरे पीछे बुलडोज़र लगा देंगे!
                     [ सुलतान 'भारती']

Friday, 7 February 2025

5 Great Hafiz e Quran in Islam

The 5 Great Hafiz e Quraan in Islam 

1- Muaaz bin Jabal
2- Ubada
3- Abu Darda
4- Abu ayub Ansari
5- Ubai bin kaab