[व्यंग्य चिंतन]
" तुम्हारे लिए खुशखबरी है बबुआ "
प्रचंड कलिकाल की बेला है! विकास की बयार चल रही है, किंतु, विरोध में आस्था रखने के कारण, विपक्ष उसे मृग मारीचिका बता रहा है! अच्छे दिन के चबूतरे पर खड़ा सत्ता पक्ष विकास का सूर्योदय देख रहा है और विपक्ष उसे ग्रहण बता रहा है! 'विकास पुरूष' आपदा में भी अवसर की वकालत कर रहे हैं, और सत्ता का वनवास काट रहे विपक्ष को अपना आपदाकाल दीर्घायु होता नज़र आ रहा है! अवसर है कि कुंडली में आता ही नहीं ! इस आपदा और अवसर के चक्रव्यूह में पिसकर पब्लिक मोह माया से मुक्त होकर निर्गुण गा रही है
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