"नेता गिरा तराजू में"
मानसून घर से निकल चुका है! इधर मानसून निकला उधर एकनाथ शिंदे ने पिंजरा उठाया, बागी नेताओं को पिंजरे में डाला और मिल्खा सिंह की रफ्तार से सूरत निकल भागे ( नज़दीक में और कोई अभयारण्य नही नज़र आया!) जैसे ही 'गढ़ आला ' की खबर मिली, मीडिया मुगल सोहर गाने लगे, दुख भरे दिन बीते रे भैया, सतयुग आयो रे ! बाला साहेब वाला। हिंदुत्व लायो रे '! शिन्दे के इस महान् कृत्य पर छाती पीटने वालों के खिलाफ फेसबुकिया योद्धाओं की पूरी पलटन सोशल मीडिया पर उतर आई! महाराष्ट्र और रामराज के बीच की दूरी घटती देख सारे 'देवता' वरदान देने को आतुर थे !
दिव्य मीडिया उद्घव ठाकरे के कर्मपत्र पर टिप्पणी कर रही थी,- ' महाराष्ट्र में कोरोना और कानून व्यवस्था दोनों की हालत खराब हो गई थी '!
उधर एकनाथ शिंदे ने सच्चे समाज सुधारक होने का परिचय देते हुए बयान दिया,- मैं महाराष्ट्र में बाला साहेब ठाकरे वाला हिंदुत्व लाना चाहता हूं "!
और क्या चाहिए! (इसके बाद विकास के लिए और कुछ बचता ही नहीं !) अज्ञातवास काट रहे पांडव प्रमुख मीडिया को बयान देने लगे, - सत्य परेशान हो सकता है, पर सिंहासन से दूर नहीं रह सकता! अब सतयुग आएगा कलियुग जायेगा -!!
विपक्ष विलाप कर रहा है ! वह हृदय परिअर्तन को हॉर्स ट्रेडिंग कह रहा है! हृदय परिवर्तन पर इतनी हाय तौबा क्यों! ऐसा मानसून तो तुम्हें भी खूब रास आता था ! परिभाषा तो आपने ही सिखाई थी भ्राता श्री -समरथ को नहिं दोष गुसाईं-!
ये जो हृदय है न, i समर्थन के लिए काम, परिवर्तन के लिए ज़्यादा व्याकुल रहता है । अनुकूल मानसून पाते ही प्राणी की आस्था समर्थन के पलड़े से कूदकर विरोधी से गलबहियां होकर गाने लगती है, - ' तुमसे मिलने को जी करता है रे बाबा -' अब चाहे मां रूठे या पापा यारा मैंने तो हां कर ली '!
सियासत में हृदय परिवर्तन एक शाश्वत परंपरा है! पक्ष विपक्ष दोनों चुनाव के बाद तराजू लटका कर ऑफर वायरल कर देते हैं, ' खुला है मेरा पिंजरा आ मोरी मैना -'! मैना सूटकेस का साइज देखती है और आत्मा की आवाज़ से टेली करती है! आत्मा पर चढ़ी कार्बन की मोटी परत से आवाज़ आती है, - ' साक्षात गंगा स्नान का ऑफर है, स्वीकार कर ले !पाप धुल जाएंगे '-!! प्राणी का फौरन हृदय परिवर्तन हो जाता है, और एक घंटे बाद वो प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताता है, ". उस पार्टी में अभिव्यक्ति की आज़ादी का ऑक्सीजन लेवल बहुत कम था , सांस घुट रही थी ! अब ऑक्सीजन की मात्रा और आत्मसंतुष्टि दोनों में आत्मनिर्भर हो चुका हूं! गोवा है तो भरोसा है!"
सोशल मीडिया यूनिवर्सिटी में चहल पहल बढ़ गई है । पक्ष विपक्ष के वीर विद्वान ज्ञान पंजीरी बांट रहे हैं! ज्यादातर विद्वान महाराष्ट्र में कोरोना और कलियुग के लिए उद्धव ठाकरे को दोषी मान रहे हैं! कुछ सोशल मीडिया इतिहासकार कंगना रनौत के ऊपर हुए जुल्म को इस बगावत से जोड़ रहे हैं!. ऐसा लग रहा है किअगर अब भी बगावत न होती तो महाराष्ट्र गुफा युग में चला जाता ! शुभ मुहूर्त में हुए शिंदे के हृदय परिवर्तन से सत्य और न्याय का रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हो पाया, और बाला साहेब वाले हिंदुत्व की वापसी का मार्ग प्रशस्त हुआ ! आगे का काम 'मार्ग दर्शक' महापुरुषों का है !
हृदय परिवर्तन हो चुका है, अब आत्मा परमात्मा से मिलने के लिए व्याकुल है! आत्मा ही स्वामिभक्ति या बगावत के लिए ज़िम्मेदार है। आत्मा ही हृदय परिवर्तन कराती है और आत्मा ही बगावत ! इतनेअपराध करने वाली आत्मा को न तो आग जला सकती है न सुनामी डुबा सकती है ! क्योंकि आत्मा तो अजर अमर है! प्राणी नश्वर है ।(इन्ना लिल्लाहे वा इन्ना इलैहे राजेऊन) जो नश्वर है उसकी कोई गलती नहीं, जो सारी खुराफात की जड़ है उस आत्मा का कोई दोष नहीं।
क्या करें, आत्मा है कि मानती नहीं !!