Tuesday, 21 July 2020

"आम आदमी" बनाम "ख़ास आदमी"!

           आम आदमी और ख़ास आदमी की काया एक जैसी होती है, लेकिन कुंडली डिफरेंट होती है। बनावट एक जैसी किस्मत  और कानून बिलकुल अलग । पैदा होने से परलोक सिधारने तक और क्रंदन से कब्र तक ढेरों फर्क! या इलाही ये माजरा क्या है !
      खास आदमी के पैदा होने की दो मख्सूस जगह होती है, वह प्राइवेट अस्पताल में पैदा होना पसंद करता है या प्राइवेट नर्सिंग होम में ! ( वैसे पैदा होने की उसकी पहली प्रायोरिटी विदेश में होती है, जिससे वो ग्रीनकार्ड का हकदार बन सके ! ) इसके मुकाबले आम आदमी को पैदा होने के लिए बेशुमार ऑप्शन होते हैं, सबै भूमि गोपाल की ! वो झाड़ी,जंगल,नदी,नाला, थर्ड क्लास ट्रेन का डब्बा,सड़क,खेत, खलिहान फैक्ट्री आदि कहीं भी पैदा हो सकता है!( बहुत किस्मत वाला हुआ तो सरकारी अस्पताल में आंख खोलता है।)
        आम आदमी के पैदा होने पर सिर्फ मा बाप खुश होते हैं! ( कभी कभी रिश्तेदार भी खुश होते हैं।) ख़ास आदमी के पैदा होने पर मां बाप से ज़्यादा अस्पताल का स्टाफ खुश होता है, भिखारी और मंदिर का पुजारी दोनोंखुश होते है,और कुछ पड़ोसी बाप से भी ज़्यादा खुश होते हैं ! आम आदमी की पढ़ाई सरकारी स्कूल और हिंदी मीडियम से शुरू होती है, और ख़ास आदमी की पढ़ाई प्राइवेट स्कूल और इंग्लिश मीडियम से ! ( जाने फिर क्यों सताती है दुनियां मुझे,,,,,,!!)
      अगला एपिसोड , पढ़ाई खत्म - आम आदमी मजदूर बनता है और ख़ास आदमी मिल मालिक ! आम आदमी की किस्मत में आम बीमारियां दाख़िल होती हैं- जैसे टीबी, खांसी, बुखार, हैजा ,हाथी पांव, भुखमरी, शोषण, खराद मशीन का बुरादा और अकाल मौत ! खास आदमी की बीमारी भी ख़ास और इंपोर्टेड होती है, जैसे - सिफ्लिस, गिनोरिया, एड्स, हाई ब्लड शुगर और स्वाइन फ्लू आदि ! ( वर्तमान में लाई गई आयातित बीमारी कोरोना भी ख़ास आदमी की दें है!)
       आम आदमी अरेंज मैरिज करता है, ख़ास आदमी लव मैरेज ! आम आदमी " एको नारी ब्रह्मचारी " का पालन करता है, ख़ास आदमी की लाइफ में अक्सर बीबी कम वैलेंटाइन ज़्यादा होती हैं !आम आदमी की बीबी कम कपड़े पहने तो मजबूरी, ख़ास आदमी की वाइफ लंगोट में घूमे तो मॉडल कहलाए !
        आम आदमी कमाता है, ख़ास आदमी खाता है । आम आदमी वोट देता है, ख़ास आदमी सरकार बनाता है! आम आदमी बस चलाता है- ख़ास आदमी बी एम डब्लू! आम आदमी मालिश करता है ख़ास आदमी करवाता है ! आम आदमी कानून से डरता है ख़ास आदमी कानून से खेलता है ! आम आदमी को " विकास दूबे" बना कर कभी कभी ख़ास आदमी उसे जुर्म की दुनियां का सितारा बनाता है और रोल खत्म होने पर उसके ज़िंदगी की गाड़ी को उलट देता है !
      आम आदमी धार्मिक होता है , ख़ास आदमी धर्माधिकारी ! आम आदमी को संतोषम परम सुखम् की शिक्षा दी जाती है! सारी नैतिक मूल्यों की स्थापना और रखवाली उसी की ज़िम्मेदारी है ! आम आदमी पेट काटकर बैंक में पैसा जमा करता है, ख़ास आदमी बैंक की आबरू लूटकर" विजय माल्या" हो जाता है!
     हरी अनंत हरि कथा अनंता,,,,,,!  आम आदमी जमूरे हो कर जी रहा है और ख़ास आदमी मदारी ! ख़ास आदमी के कहने पर आम आदमी ताली, थाली और घंटा बजा कर कोरोना को आकर्षित कर रहा है ! कालचक्र जारी है,- आम आदमी (अपने अनजान पाप को धोने के लिए ) तीर्थ यात्रा पर जा रहा है,और,,, ख़ास आदमी ( अपने पाप की गठरी को स्विस बैंक में जमा करने के लिए) विदेश यात्रा पर जा रहा है!!शायद,,,,,,
       यही विधि का विधान है !!

Saturday, 11 July 2020

'बही खाता"!

विकास दूबे ' उज्जैन' से ( गाड़ी के) ' उलटने' तक!!

        अब हंगामा है क्यों बरपा , गाड़ी ही तो पल्टी है! काहे छाती पीटते हैं, क्या भारतीय पुलिस ने पहली बार ऐसा कोई कारनामा अंजाम दिया है जो उसके चरित्र की शाश्वत परंपरा के विपरीत है ! तब काहे शीत निद्रा से उठ बैठे मान्यवर ! 
       कालिदास जीवित होते तो आज गाड़ी के पलटने की इस मोहक अदा पर लिखते -" गाड़ी पलटी- आया बसंत "! ( बेशक जुलाई में बसंत का नहीं कोरोना का क्लाइमैक्स चल रहा है, किंतु गाड़ी के पलटने से कई महारथियों की कुंडली पलटने से बच गई , और द्रुत गति से आता हुआ पतझड़ बसंत में बदल गया !)
         कुछ अति बुद्धिजीवी प्राणियों ने इस बात पर भी सवाल  उठाया कि उज्जैन में तथाकथित पकड़े जाने पर विकास दूबे ज़ोर ज़ोर से चिल्ला कर ये क्यों कह रहा था कि-' मै विकास दुबे हूं, कानपुर वाला ?' क्या वाहियात सवाल है! अरे भैया, देश में एक और मोस्ट वांटेड ""विकास" है - जिसे पिछले कई सालों से विपक्ष तलाश रहा है ! वह भी नजर नहीं आ रहा है! दूबे ने सोचा होगा कि कहीं वहीं विकास समझ कर भीड़ ने छोड़ दिया तो आत्मसमर्पण खटाई में पड़ जायेगा ! इसलिए उसने  ज़ोर देकर कहा " कानपुर वाला"! शंका समाधान ज़रूरी था!
                        गाड़ी उज्जैन से चली तो गाड़ी ठीक थी, लेकिन गाड़ी वालों का जिया बेकरार था! बार बार "आकाशवाणी" हो रही थी- " आगे दिशा शूल है"! लेकिन मध्य प्रदेश  की सीमा तक सड़क एयरपोर्ट के रनवे की तरह ए वन थी , लिहाज़ा चाहकर भी गाड़ी पलट ना सकी ! गाड़ी के पलटने में एक और गतिरोध था, पीछे पीछे मीडिया की गाड़ियां सा रही थीं !
     और फिर,,,, वो घड़ी आ गई जब गाड़ी को पूरी श्रद्धा से पलटना था। कानपुर आ चुका था,  पहुंची वहीं पे ख़ाक जहां का खमीर था! विकास दूबे और कानपुर सामने सामने थे । स्थानीय पुलिस ने मीडियकर्मियों की गाड़ियों को रोक दिया ताकि विकास दूबे वाली गाड़ी बगैर घबराहट के उलट सके ! शुभ मुहूर्त आ चुका था, लिहाज़ा गाड़ी ने पूरे भक्तिभाव से उलट कर पटकथा पूरी की ।
         गाड़ी पलटी तो विकास दूबे की बुद्धि उछल कर बाहर जा गिरी । उसने  "मेजबान" का ही रिवाल्वर छीन कर बुलडोजर से गिराए गए अपने घर की ओर दौड़ लगा दी। एस टी एफ वालों को मेहमान की ये हरकत पसंद नहीं आई, लिहाज़ा ललकारा। ऐसे सीक्वेंस में विकास दूबे ने वही किया जो हर मरने को लालायित अपराधी करता है, उसने पुलिस पर गोली चलाई । एस टी एफ द्वारा "आत्म रक्षा" में चलाई गई गोली से विकास दूबे मारा गया! ( दर असल- यूपी पुलिस जब भी आत्मरक्षा में गोली चलाती है, वो हमेशा निशाने पे लगती है ! पता नहीं विकास दूबे के घर पर गई पुलिस की गोली उस दिन कैसे चूक गई थी !)
      अथ श्री विकास दूबे कथा,,,,,,लेकिन एक ज़िक्र के बग़ैर विकास दूबे की कथा अधूरी रह जाती है। जिस वक्त पुलिस और सियासत का पाला हुआ भस्मासुर विकास दूबे अपने घर पर गई पुलिस पार्टी पर गोली चला रहा था तो घायल और घिरे पुलिस वालों ने चिल्ला कर कहा था, " हमें मत मारो! हमें मारोगे तो तुम मारे जाओगे "! ये शब्द अपराध और प्रशासन की गठजोड़ का खुलासा है! पुलिस वालों के इस कथन का एक सीधा मतलब ये है कि - पुलिस के अलावा तुम किसी को भी मार दो , बच सकते हो! मगर पुलिस को मार कर नहीं ! थाने में विधायक की हत्या करने के बाद भी साठ मुकदमों का घोषित अपराधी ज़मानत पर घूम रहा था
        तो,,,, भस्मासुर विकास दूबे मारा गया ! मिशन पूरा हुआ !लेकिन एक यक्ष प्रश्न उठता है- क्या गारंटी है कि भविष्य में पुलिस और प्रशासन के कुछ घिनौने चेहरे अपने आर्थिक, सामाजिक और सियासी मक़सद के लिए फिर किसी देसी बहेरी आम को जुर्म की दुनियां का " दशहरी आम" नहीं बनाएंगे,- विकास दूबे की तरह !!

       (   -  सुलतान भारती )