" खड़क सिंह' मरा नहीं "
आप को 'बाबा भारती' और उनका घोड़ा सुल्तान तो याद होंगे? जी हाँ वही कहानी जिसमें खड़क सिंह 'बीमार' बनकर बाबा को लूटता हैं! कालजयी कहानी की यही खूबी होती है, कि ऐसी कहानी के पात्र कभी मरते नहीं! और आजकल तो अमृत काल चल रहा है इसलिए मरने का मतलब ही नहीं है, इसलिए देश में तमाम 'खड़क सिंह' 'समस्याओं का स्वांग' लिए " बाबा भारती" को ठग रहे हैं ! संविधान, समय और समाज के मुताबिक ये गिरगिट की तरह रंग बदल कर परिवेश में घुलमिल कर अवसर पाते ही "बाबा भारती" को इमोशनल कर उनकी जमापूजी (सुल्तान) को लेकर फरार हो जाते हैँ! भारती को उस दिन बाबा बनाने के लिए खड़क सिंह ने बीमारी का बहाना बनाया था ! Vo सतयुग का दौर था, जब बाबा भारती की आबादी ज्यादा और खड़क सिंह कम हुआ करते थे, इसलिए न्यूज वाइरल हो गई ! आज आंकड़ा वाला पांसा पलट चुका है!
आज आपको कदम कदम कदम पर खड़क सिंह टकरा रहे हैं, जो दरअसल बाबा भारती की तलाश में आवाज़ लगाते रहते हैँ, - 'तू छुपा है कहां, ढूंढता मैं यहां-' ! कहावत है कि ढूढ़ने से भगवान भी बरामद हो जाते हैँ ! शक्कर खोर को कठिन परिश्रम करना पड़ता है, पर 'बाबा भारती' जाल में फंस ही जाते हैं! सतयुग वाले खड़क सिंह को ज़्यादा मेहनत करनी पडी थी, आज कलियुग तो इन्हीं खड़क सिंह से हाउसफुल चल रहा है! ये घातक परजीवी अपने शिकार की रेकी करने के बाद उसके सगे बनने में देरी नहीं करते, फिर उचित मॉनसून पाते ही बाबा भारती को चर लेते हैँ!
आजकल तो खड़क सिंह की प्रजाति आवारा सांड की तरह इतने बढ़ गए हैं कि बाबा भारती का आर्तनाद देख कर सरकार को साइबर थाना बनाना पड़ा ! लेकिन ओरिजिनल खड़क सिंह तो आपके आस्तीन में घुसकर आपको निपटा देंगे, बानगी देखिये- मैं भी भुक्तभोगी हूँ!
ये हैं 'फरेब खान' ! काया के साथ किरदार भी काला है! मैग्ज़ीन के संपादक का खोल ओढ़ कर 3 साल पहले मिले। मुझे अपनी कार से घुमाता भी था, एक साल मेरा विश्वास जीतने में खर्च किया ! फिर मेरे द्वारा मेरे एक सांसद मित्र से लेटर के जरिए विज्ञापन हासिल कर खोल से बाहर आ गया ! आज भी उसकी तरफ मेरा 25 हज़ार निकलता है और अब वो ऑफिस और घर खाली कर कहीं और किसी 'भारती' को 'बाबा' बनाने की जुगत में लगा होगा ! [ बाद में एक और संपादक ने खुलासा किया कि, - 'उसकी जो कार है, वो मुझे ठगने के बाद लिया होगा' ! उन्होंने कोर्ट में केस कर रखा है ! उनकी रकम लाखों में है ] विश्वास और भरोसे को चरने वाले ये परजीवी धड़ल्ले से इसी समाज में रह रहे!
विपक्ष की चिंता वोट चोरी को लेकर है, बाबा भारती का घोड़ा, आये दिन खड़क सिंह चुरा रहा है! सतयुग वाला डाकू हयादार ! उसने इमोशन होकर घोड़ा लौटा दिया था ! आज के खड़क सिंह पहले घोड़ा चुराते फिर पुलिस के सहयोग से बाबा भारती की कुटी से 375 बोर का कट्टा बरामद करवा कर 'अंदर' करवा देते ! फिर खुद खड़क सिंह उनकी जमानत कराता और,,,गांजे की वज़ह से खराब हो रही अपनी किडनी के बदले बाबा की किडनी मांग लेता ! जब तक 'बाबा भारती' की प्रजाति है, खड़क सिंह फलते फूलते रहेंगे!
एक और 'खड़क सिंह' इसी साल मई की गर्मियों में जंतर-मंतर पर बरामद हुए ! 26 अक्टूबर तक उनका खानदान और खलिहान दोनों हरा भरा रहा, फिर अचानक उनका फ़ोन आया, -' भारती जी, मेरी काफी बड़ी रकम कहीं फंस गई है, परसों तक आ