Wednesday, 18 September 2024

('व्यंग्य' चिंतन ) "सितंबर में- हम कू हिन्डी मांगटा"

(" व्यंग्य" चिंतन)

' सितंबर में- हम कू हिंडी  मांगटा'

           अब यही समस्या है दुरंत ! "ऊपर" से आदेश है कि मंत्रालय के बाहर एक बैनर लगा दिया जाए कि हम हिन्दी पखवारा मना रहे हैं! आज से 15 दिन  तक लगातार हम सारे काम हिन्दी में करेंगे ! इसमें चाहे जितनी बाधा आए, हम 15 दिन पीछे नहीं हटेगे, आखिर हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है-'!
इसके बाद हिन्दी के प्रति मोह और माया दोनों बंधन मुक्त होकर बैनर में छलकने लगे ! कई ऑफिस और बैंक के गेट पर हिन्दी प्रेम साफ साफ चुगली कर रहा था, - कि  ये तो कुछ ज्यादा हो गया-! एक बैंक के सामने बैनर लगा था,- हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा है, आओ इसे विश्व भाषा बनाएं-! (और ये महान काम भी उन्हें सितंबर में ही याद आता है !)
अक्टूबर लगते ही वो तमाम मोह माया से मुक्त हो कर अपने बच्चों के लिए ' इंग्लिश स्कूल ' ढूँढने में  लग जाते हैँ-!
        कमाल तो ये है कि हिंदी पखवारा मनाने का ऐसा बैनर दिल्ली के वो सरकारी अस्पताल भी   पूरी दिलेरी से  लगाते हैं जिनका एक भी डॉक्टर दवाई का नाम हिन्दी में नहीं लिखता ! इसके बावजूद हिन्दी के प्रति उनकी अगाध आस्था देखिये,  वो सितंबर का पूरा एक पखवारा  हिन्दी को विश्व भाषा बनाने में खर्च कर देते हैं ! अपने देश का डॉक्टर हिन्दी सिर्फ घर में बोलता है! ड्यूटी पर तो  छींक भी आ जाए तो अँग्रेजी में 'सोरी' बोल कर खेद व्यक्त करता है! इस से हिन्दी के प्रति उसके 'समर्पण' और अँग्रेजी के प्रति  'कर्त्तव्य' का पता चलता है! पार्टी में अँग्रेजी बोल कर वो गर्वित होकर टोह लेता है कि मौजूद लोगों पर उसकी विद्वता की कितनी छींटे पडी हैं ! कुछ लोग तो अपने अनपढ़ घरेलू नौकरो को भी अंग्रेज़ी में  डान्टते हैं ! इसके दो फायदे हैं, - एक- नौकर पर रोब ग़ालिब होता है, और नौकर को चूंकि अंग्रेज़ी नहीं आती,  इसलिए वो उतना बुरा नहीं मानता ! ( रिंद के रिंद रहे,  हाथ से जन्नत न  गई-!)
    हिन्दी पखवारा चल रहा है,  लोग घर में अंग्रेज़ी अखबार पढ़ रहे हैं! वर्मा जी अपने बेटे को अगस्त महीने में ही  सलाह दे रहे थे, -'  घर में अँग्रेजी बोलने की कोशिश करोगे तभी इंटरव्यू क्लीयर कर पाओगे ! लेकिन तुम्हारे कान पर तो ताला लगा है ! अगले महीने हिन्दी दिवस है, मैं चुप रहूँगा, किंतु गांधी जी के महीने में अगर अंग्रेज़ी बोलने से अना कानी की तो कान उखाड़ लूँगा--'
  " मगर हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा है"!
" मुझे कोई एतराज़ नहीं हैं,  बस तुम अंग्रेज़ी बोलना शुरू कर दो-"!
      " अब तो हिन्दी में भी इंटरव्यू होने लगा है!"
' तो तुम्हें अंग्रेज़ी पसंद नहीं है?'
      " हिन्दी में जो मिठास है, वो अंग्रेज़ी में कहा !"
  "अंग्रेज़ी के बग़ैर कैरियर से मिठास उड़ जायेगी "!
      " आप तो घर में अंग्रेज़ी नहीं बोलते "!
 " मेरे बाप ने मुझे गावं में बढ़ाया था ! वो अंग्रेज़ और अँग्रेजी दोनों के दुश्मन थे "!
 " लेकिन पिछले हिन्दी दिवस पर आप मंच पर लोगों को शपथ दिला रहे थे कि हिन्दी को विश्व भाषा बना कर दम लेंगे-"!
    वर्मा जी गुस्से में लाल हो गये, -' बहुत ज़बान चलने लगी है, बाप से ज़बान लड़ाता है,  चल उन्तालिस का पहाड़ा सुना-'! 
 बेटे ने अँग्रेजी का कड़वा घूट गले के नीचे उतारा !
       'बुद्धि जीवी' जी हिंदी के मंचपछाड़ कवि हैं, उनकी कविताओं से पीड़ित शहर की साहित्य सभा ने उन्हें मंच से बनवास दे रखा है ! लेकिन बुद्धिजीवी जी नें हार नही मानी ! वो बग़ैर बुलाए मंच पर रचना समेत पहुंचने लगे ! उन्हें देखते ही समस्त साहित्यकारों में कोरोना जैसा आतंक फैल जाता ! दो तीन कवि सम्मेलन में अराजकता और असफलता के बाद आयोजक और बुद्धिजीवी जी में आखिरकार इस बात पर सहमति हो गयी कि उन्हें भी पारिश्रमिक दिया जाएगा,लेकिन वो उस दिन कवि सम्मेलन से दूर रहेंगे ! बुद्धिजीवी जी को इस सौदे में कोई खोट नजर आया ! 
         साउथ इंडिया के रहने वाले एक मंत्री जी साहित्य सम्मेलन में राष्ट्र भाषा हिन्दी की खूबसूरती पर प्रकाश डाल रहे थे , -' हिन्दी स्पीकिंग और रीडिंग  बहुत इजी ! हिन्दी दिवस वेरी गुड ! हिंदी पखवारा में गुड फीलिंग्स आता ! ये अभी हमारा नैशनल लैंग्वेज,  बट विश्वगुरु होने के बाद वर्ल्ड लैंग्वेज बनेगी- यू नो ? चलो इस बात पर ताली बजाने का ! एक स्लोगन रिपीट करने का-

सितंबर  मंथ का क्या पहचान !
'हिन्दी    भाषा    बने    महान' !!

      सितंबर खत्म, बैनर वापस आलमारी में! अलविदा हिन्दी पखवारा ! ये 15 दिन सरकारी बाबुर्ओं पर कितना भारी पड़ता है! वहीं हम हिन्दी  प्रेमी उत्तर भारत के लोगों का खोया हुआ मनोबल वापस आ जाता है ! शायद हम यूनिवर्स में पहले ऐसे लोग हैं जो अपनी राष्ट्रभाषा को पूरा साल देने की जगह एक पखवारा देते हैं ! कल 30 सितंबर है,  तो अलविदा हिन्दी पखवारा ! कुर्बानी के इसी 15 दिन से साल भर काम चलाओ ! अपना हीमोग्लोबिन दुरुस्त करो ! 'कथित हिन्दी प्रेमी' अगले सितंबर में फिर राष्ट्र भाषा के लिए पूरे एक पखवारे की कुर्बानी देंगे !

    तब तक के लिए हिन्दी के प्रति उनका मोह 'कोमा' में रहेगा !

                      [ सुल्तान भारती]