Wednesday, 1 November 2023

(व्यंग्य चिंतन) " फिर भी नेता मुस्कराता है"!

"व्यंग्य चिंतन "

'फिर भी,,, नेता मुस्कराता है'!

     आज सुबह ही सुबह टीवी पर न्यूज देखा , एक  महान नेता मुस्कराता हुआ हाथ हिला रहा था! मैंने समझा चुनाव जीता है, मगर न्यूज रीडर बता रहा था  कि सैकड़ों करोड़ रुपये के घोटाले में ई डी ने सम्मन जारी किया है,और जांच एजेंसी चाहती है कि  आरोपी जांच में सहयोग करे ! ( आरोपी भी "अपने खिलाफ जांच' में सहयोग करते हैं"- ये ज्ञान मुझे स्तब्ध कर रहा था ! )  एजेंसी की जांच शायद आरोपी के सहयोग के बगैर आत्मनिर्भर नहीं हो पा रही थी ! शायद इसीलिए नेता मुस्करा रहा था। 

       आम आदमी और खास आदमी में यही  तो फर्क है! जेल की कल्पना मात्र से आम आदमी के प्राण सूख जाते हैं! प्राणी मुस्कराने की जगह रुआँसा हो जाता है! लेकिन सत्ता का सूप पी रहा "खास" आदमी"  जेल  की कल्पना मात्र से मुस्कराने लगता है! जांच एजेंसी उसकी जांच से  पहले उससे विनम्र निवेदन करती है कि  वो जांच में सहयोग करे !  'जांच में सहयोग' बड़ा  बहुआयामी शब्द है ! किसी छोटे मोटे गरीब या कुपोषित चोर, गिरहकट अथवा झपटमार से जांच में  सहयोग की अपील नहीं की जाती,बल्कि कुछ ऐसे केस मे भी उसे नत्थी कर दिया जाता है कि चोर खुद से सवाल पूछने लगता है, - ' वो चोरी मैंने कब की थी! क्या मुझे नींद में चोरी करने की बीमारी है' ? पुलिस उससे जांच में सहयोग की बजाय "पिटने" में सहयोग की मांग करती है! छोटी चोरी पर ज्यादा पिटना बेचारे का मुकद्दर है!
        न्यूज चौधरी ने भी देखा था ! आरोपी नेता को मुस्कराते देख चौधरी भी हैरान था ! उसने अपनी  हैरत  मुझ  से शेयर की,- ' उरे कू सुन भारती !'
      ' जी भाई!' 
 " टीवी वाड़ा नेता कौ बारे में नू कह रहो अक वा पै घोटाले कौ इल्ज़ाम सै , पर नेता घबराने की बजाय मुस्कराता हुआ हाथ हिला रहो -!'
     ' तुम इतने हैरान क्यों हो?'
     " उसकू डर न लग रहो कदी !"
          " क्यों डरे ! वो कोई शरीफ आदमी है क्या जो थाना पुलिस से डर जाए ! अव्वल तो अभी जांच जारी है! अगर जांच में दोषी साबित भी हो  गये तो भी चिंता की कोई बात नहीं है-'!
   ' पुड़िस पकड़ लेगी '!
   '  पुलिस चोर , गिरहकट और  शरीफ को पकड़ने के लिए है, इतने बड़े चोर को पकड़ने के लिए उनकी 'आत्मा'  तैयार नहीं होती ! नीरव मोदी से लेकर विजय माल्या तक कोई गिरफतार हुआ ?'
      " मन्ने के  बेरा ?"
     " कोई नहीं पकड़ा गया !"
            ' लेकिन क्यूँ-''!
     " क्योंकि  वो चोर नहीं डॉन  हैं ! और  डॉन के बारे में अमिताभ बच्चन बोल चुके हैं,- डॉन की तलाश तो ग्यारह मुल्कों की पुलिस कर रही है-! पुलिस को डॉन की  सिर्फ तलाश करना होता है , गिरफ्तारी नहीं ! पुलिस  को अगर चोर की तलाश होती तो अब तक एक की  जगह  चार को पकड़ लेती ! चोर के मामले में "जांच" और  सहयोग की बाध्यता भी नहीं होती !"
        " कोई नू कह रहो  अक दारु में घोटाला हुआ है! तू बता भारती , 'सकल' ते यू नेता भला आदमी लग  रहो !"
       " शक़्ल देखकर अपराध नहीं तय होता, एक शे'र  है- भोले भाली सूरत वाले होते हैं 'सैयाद' भी' !
          " इतना बड़ा इल्ज़ाम लग लिया, अर नेता हंसता हुआ हाथ हिला रहो!"
          " एक आत्म निर्भर नेता की यही पहचान है! वो इल्ज़ाम को भी भुना लेता है! ट्रेजडी देखिए, उसी पार्टी के दो निहायत ईमानदार नेता जेल काट रहे हैं और मुखिया बाहर खड़ा मुस्करा रहा है, "खांसी" सर्दी  न  मलेरिया हुआ-!"
        " विपक्ष साथ खडा सै !"
 " इजराइल ने गाजा में हज़ारों नागरिक के अलावा चार हजार के करीब बच्चे मार दिए ! मगर अमेरिका सहित पूरा यूरोप उसके साथ खडा है! इससे क्या इजराइल के पाप धुल जाते हैं "!
      " पर  नू बता भारती ! नेता हंसा क्यों ?"
   "  पहले जनता भी हंस लेती थी, अब सिर्फ नेता ही विपरीत परिस्थितियों में हंस पाता है ! वो अपनी चतुराई और जनता के  भोलेपन पर हंसता है ! चौधरी समझा करो !"
   " चतुराई ! मैं समझा कोन्या ?"
 " जनता को ये समझाना कि परिवार की तंदुरूस्ती और खुशहाली के लिए 'मोहल्ला क्लिनिक' जरूरी है और  मोहल्ला क्लिनिक की खुशहाली के लिए दारू की दुकान ज़रूरी है,- रिंद के रिंद रहे हाथ से  जन्नत न गई-!'
          ' वर्मा  नु  कह रहा-अक् -दारू वाड़े ने पैसा देकर नेता कू फंसा दई -"! 
        " फंसाया होता तो वो ऐसे  न मुस्कराते ! उनकी मुस्कराहट बताती है जैसे उनका नाम घोटाले में नहीं, नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया हो- "!
            चौधरी का चेहरा बता रहा था कि वो अभी भी नेता की मुस्कराहट को लेकर चिंतित है!

              ( Sultan bharti journalist)